मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 65 सीटें…इसलिए हो रही सीएम के चेहरे में देरी…

Assembly Elections Madhya Pradesh Rajasthan Chhattisgarh Lok Sabha 65 Seats

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में तीन राज्य में बीजेपी ने परचम लहराया है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। लेकिन तीन दिसंबर को हुई मतगणना के बाद इन तीनों राज्य में सीएम कौन होगा इस पर परिणाम की घोषणा को एक सप्ताह बाद भी सस्पेंस बना हुआ है। बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व अभी इन तीन राज्यों में मिली बंपर जीत के बाद भी सीएम का चेहरा घोषित नहीं कर सका है। हिन्दी भाषी इन राज्यों में सीएम के चेहरे को लेकर बीजेपी की ओर हो रही देरी की वजह कहीं लोकसभा चुनाव तो नहीं। क्योंकि इन तीन राज्यों में लोकसभा की 65 सीटें आती हैं। जिनमें से सबसे अधिक मध्यप्रदेश में 29, राजस्थान में 25 और छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 11 सीटें हैं।

दरअसल पार्टी की नजर अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी है। जिसे लेकर रणनीति बनाई जा रही है। विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। सेमीफानल का रिजल्ट आ चुका है। बीजेपी ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीगढ़ में बंपर जीत हासिल की है। हालांकि इन तीनों ही राज्य में जीत हासिल करने के बाद भी टीम के नए कैप्टन का ऐलान अब तक नहीं हो पाया है। बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व की तरफ अभी तक तीनों राज्यों के सीएम को लेकर कोई एक नाम सामने नहीं आया है। जो भी नाम चल रहे हैं या सुर्खियों में हैं वे सिर्फ मीडिया रिपोर्ट में ही चल रहे हैं और अब भी इन तीनों राज्यों में कई नामों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म ही है। बीजेपी आलाकमान की ओर से इस पर अबतक कोई संकेत नहीं दिये गये हैं। सियासी रणनीतिकारों की माने तो पार्टी की नजर अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है। जिसकी वजह से मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा में इतनी देरी हो रही है।

बीजेपी की परिपाटी के उलट

हालांकि मुख्यमंत्री के नामों की घोषणा में हो रही यह देरी बीजेपी की पूर्व से चली आ रही परिपाटी के खिलाफ है। क्योंकि ऐसा बहुत कम सामने आया है कि जब बीजेपी की ओर से चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री का नाम घोषित करने को लेकर इतनी देरी हो रही हो। यह संस्कृति अब तक कांग्रेस में ही देखने को मिलती थी। कांग्रेस में चुनाव जीतने के बाद राज्यों में बैठकों का दौर चलता था। अलग-अलग विधायकों के गुटों की बैठकें होती थी और आखिर में फैसला पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया जाता है। लेकिन इस बार शायद कांग्रेस वाली कहानी की कमोबेश बीजेपी में दिखाई दे रही हैं। क्योंकि कांग्रेस ने तेलंगाना चुनाव में बहुमत हासिल किया और चुनाव जीतने के तत्काल बाद सरकार का गठन भी कर दिया। बीजेपी ने एक और परिपाटी बदली है वो हे चुनाव से पहले सीएम का चेहरा। बीजेपी सीएम के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ती रही है। लेकिन पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो बीजेपी में यह परिपाटी अब बदल सी गई है। इस बार बीजेपी की ओर से इन तीनों राज्यों में किसी भी नाम को आगे नहीं किया था। इस बार चुनाव सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर ही लड़ा गया था। हालांकि बीजेपी को इसका लाभ भी मिला। प्रधानमंत्री के चेहरे से इन राज्यों में बीजेपी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा और शानदार तरीके से जीत भी हासिल की।

सीएम के रुप में बीजेपी तलाश रही सर्वमान्य चेहरा

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बीजेपी की ओर से सीएम का चेहरा घोषित करने में देरी की वजह क्या है। इसे लेकर राजनीतिक विश्लेषकों और पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि पार्टी की नजर अगले 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है। ऐसे में पार्टी सीएम के रूप में ऐसे चेहरे को चुनना चाहती है जिसमें 2024 के लोकसभा चुनाव में मौजूदा प्रदर्शन को दोहराने की क्षमता हो। पार्टी यह नहीं चाहती कि किसी तरह की जल्दबाजी फेसला लिया जाए और ऐसा चेहरा विधायकों पर थोप दिया जाए जिससे पार्टी में मतभेद की आशंका हो। यही वजह है कि मध्यप्रदेश से लेकर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में शिवराज सिंह चौहान से लेकर वसुंधरा राजे और रमन सिंह ऐसे नेता हैं जो मुख्यमंत्री के रूप में दो कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव क्योंकि पीएम के चेहरे पर ही लड़ा गया था। ऐसे में लोगों ने पीएम मोदी के चेहरे पर भरोसा जताया और पार्टी बहुमत में आई। ऐसे में बीजेपी अब सीएम के रूप में ऐसा चेहरा सामने लाना चाहती है जो 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के साथ ही पार्टी नेताओं के भरोसे को भी कायम रखने में सफल हो। साल 2024 में होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर बीजेपी जातिगत समीकरणों पर भी मंथन करने में जुटी है। इसके अलावा बीजेपी ऐसा चेहरा तलाशने में जुटी है जिसे लेकर सभी में स्वीकार्यता हो।

विधायकों का मन टटोल रहे 9 पर्यवेक्षक

यही वजह है कि तीनों प्रदेश में पार्टी फूंक फूंक कर कदम रख रही है। इन तीनों राज्यों में नौ पर्यवेक्षक अब कड़ी मशक्कत करते नजर आ रहे हैं। पर्यवेक्षकों में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ही हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा जैसे बड़े नाम शामिल हैं। ये पर्यवेक्षक संबंधित राज्यों की राजधानी पहुंच चुके हैं। जहां से पर्यवेक्षक विधायकों से मिलकर उनका मन टटोलने का काम करेंगे। इससे पहले विधायकों को पार्टी शीर्ष नेतृत्व की राय भी बताई जाएगी। फिर विधायक दल की बैठक के बाद पार्टी आलाकमान को रिपोर्ट सौंपेंगे। रिपोर्ट मिलने के बाद ही शीर्ष नेतृत्व से किसी नाम पर हरी झंडी मिलने की उम्ममीद है। इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा की जाएगी।

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