अनुच्छेद-370 पर सुप्रीम फैसला…SC ने बरकरार रखा केन्द्र सरकार का फैसला

Article 370 Supreme Court decision

अनुच्छेद 370 हटाने के चार साल बाद आज भी जम्मू कश्मीर को लेकर सवाल थमा नहीं है। 2019 में केंद्र सरकार ने संविधान संशोधन करके जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य के दर्जे से हटा दिया था। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर को दो भागों में बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी। जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने 2019 में केंद्र सरकार की ओर से लिये गये फैसला को सही ठहराया है। सीजेआई ने अपने फैसले में कई बड़ी बातें कहीं। उन्होंने कहा हम चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देते हैं। साथ ही सीजेआई ने कहा कि केंद्र के इस कथन के मद्देनजर कि जम्मू-कश्मीर को अपना राज्य का दर्जा फिर से मिलेगा।

अब गुपकार गैंग का क्या होगा

जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने की जरूरत नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सियासी हल्को में चर्चा इस बात की है कि अब गुपकार गैंग का क्या होगा। क्योंकि गुपकार गैंग के गठन का उद्देश्य ही जम्मू और कश्मीर विधानसभा का चुनाव बहिष्कार करना और जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देना था। उधर, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर फैसला आने से पहले ही घाटी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। दो दिन पहले ही पुलिस ने तमाम संवेदशील जगहों पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है। सड़क से लेकर इंटरनेट पर कड़ी नजर रखी जा रही है। भड़काऊ पोस्ट करने वाले पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इस बीच पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने जम्मू कश्मीर पुलिस पर तानाशाही का बड़ा और संगीन आरोप लगाया है। सीजेआई ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश की जरुरत नहीं थी। अनुच्छेद 370 को हटाने का अधिकार जम्मू-कश्मीर के एकीकरण के लिए ही है। किसी तरह की असाधारण परिस्थितियों को छोड़ दें तो अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ अपील में सुनवाई नहीं की जा सकती। सीजेआई ने कहा दुर्भावनापूर्ण तरीके से इसे रद्द नहीं किया जा सकता है।

अनुच्छेद 370 खत्म करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास

सीजेआई ने यह भी कहा है कि जम्मू-कश्मीर के पास कोई आंतरिक संप्रभुता भी नहीं थी। इसका संविधान भी भारतीय संविधान के अधीन ही था। वहीं राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 370 खत्म करने की शक्ति थी। ऐसे में अनुच्छेद 370 को स्थायी व्यवस्था कहने वाली याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।

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