नई दिल्ली। अमेरिका और भारत के बीच आजकल हालात तल्ख हैं, लेकिन यह सरकारों की मेहरबानी से नहीं है, वहां के अरबपति के बयान की वजह से है। अमेरिकी अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस द्वारा अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी आने के बाद से माहौल गरम है। भाजपा नेताओं ने सोरोस की छीछालेदर तो की ही, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बाद अब जयशंकर ने भी सोरोस की क्लास ली है।
- सोरोस के पहले बीबीसी की एक डॉक्युमेंट्री पर भी यही हाल हुआ था, तब तो सरकार ने उसे बैन ही कर दिया था, हालांकि मोदी-विरोधी जितनी उम्मीद कर रहे थे, जनता ने वैसा और उतना रिस्पांस नहीं दिया है
- सोरोस के बयान के बाद केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पलटवार किया है, उन्होंने कहा कि सोरोस कुछ भी बोलते हैं, वह मानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री लोकतांत्रिक नहीं हैं
- जयशंकर ने कहा कि कुछ समय पहले ही सोरोस ने सरकार पर आरोप लगाया था कि हम करोड़ों मुस्लिमों की नागरिकता छीनने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि जाहिर तौर पर नहीं हुआ
- जयशंकर ने कहा कि मिस्टर सोरोस एक बुजुर्ग, अमीर और राख रखने वाले व्यक्ति हैं, जो कि अभी न्यूयॉर्क में बैठे हैं और सोचते हैं कि उनके विचारों से फैसला होना चाहिए कि पूरी दुनिया कैसे चलेगी
- जयशंकर ने कहा, ‘मैं सोरोस को सिर्फ बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाला कहकर रुक सकता हूं, लेकिन वे बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाले के साथ खतरनाक भी हैं
इससे पहले स्मृति ईरानी कर चुकी हैं बयानबाजी
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार यानी 17 फरवरी को अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस पर तीखा निशाना साधते हुए कहा कि विदेशी ताकतें भारत के लोकतंत्र को ध्वस्त करने की कोशिश कर रही है। स्मृति ईरानी के मुताबिक जॉर्ज सोरोस का पहला लक्ष्य भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं और वे मोदी सरकार को सत्ता से हटाकर देश में एक ऐसी सरकार लाना चाहते हैं जो उनके हितों की रक्षा करे।
आज ईरानी की बात को ही जयशंकर ने आगे बढ़ाया और कहा, जब ऐसे लोग और संस्थान विचार रखते हैं, तो वे अपने संसाधनों को नैरेटिव गढ़ने में लगा देते हैं। जयशंकर ने कहा कि सोरोस जैसे लोगों को लगता है कि चुनाव तभी अच्छे हैं, जब उनकी पसंद का व्यक्ति जीत जाए और अगर चुनाव का नतीजा कुछ और होता है तो वह उस देश के लोकतंत्र को त्रुटिपूर्ण कहने लगते हैं। यह सोरोस जैसे लोगों की समस्या है।
इससे पहले ईरानी ने कहा था कि जॉर्ज सोरोस ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को ध्वस्त करने के लिए फंड का ऐलान किया है और यह सबको पता है कि वो किसे फंडिंग देते हैं?
क्या था सोरोस का बयान?
बता दें जॉर्ज सोरोस ने हाल ही में अडानी मुद्दे पर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा था। दावोस में बोलते हुए उन्होंने कहा था कि मोदी इस मुद्दे पर शांत हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों के जवाब देने होंगे। उन्होंने कहा था कि यह मुद्दा भारत की संघीय सरकार पर मोदी की पकड़ को काफी कमजोर कर देगा। सोरोस ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत में एक लोकतांत्रिक परिवर्तन होगा।
भाजपा के साथ कांग्रेस भी नाराज
सोरोस के इस बयान के बाद काफी हंगामा हुआ था। भाजपा नेताओं ने तो सोरोस की भर्त्सना की ही, कांग्रेस ने भी जयराम रमेश से बयान दिलवाकर डैमेज-कंट्रोल की कोशिश की। जयराम ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इसकी अपनी प्रक्रिया के तहत यहां परिवर्तन होंगे, किसी के बताने से नहीं। जाहिर तौर पर कांग्रेस खुद को टूलकिट-परिवार से अलग दिखाना चाहती है और वह यह संदेश देना भी चाहती है कि राष्ट्रहित के मसले पर वह राजनीति नहीं करेगी।
इससे पहले स्मृति ईरानी ने कहा कि भारत एक राष्ट्र-राज्य के रूप में ‘दुनिया की फार्मेसी’ बन गया है। हम एक राष्ट्र-राज्य के रूप में एक अमृत काल बजट के गवाह हैं, जिसमें रक्षा के लिए सबसे अधिक आवंटन है।
स्मृति ईरानी ने कहा कि जॉर्ज सोरोस ने ऐलान किया है कि वो हिंदुस्तान में अपनी विदेशी ताकत के अंतर्गत एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जो हिंदुस्तान नहीं बल्कि उनके हितों का संरक्षण करेगी। स्मृति ईरानी ने तो देशवासियों का आह्वान भी किया कि सभी लोग एक सुर में सोरोस जैसों को जवाब दें।