छत्तीसगढ़ कांग्रेस का कहना है कि देश के रेलवे स्टेशनों को इसलिए सजाया-सवारा जा रहा है क्योंकि उसे बड़े उद्योगपतियों को बेचना है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री समेत प्रदेश के सभी कांग्रेस नेताओं के यही बयान हैं। जबकि बीजेपी का कहना है कि देश की प्रगति की रफ्तार को बढ़ाने के लिए रेलवे इन्फास्ट्रकचर को ठीक किया जा रहा है।
- रेलवे स्टेशन को बेहतर बनाने पर सियासत
- कांग्रेस ने लगाया केंद्र सरकार पर आरोप
- कहा-सरकार बेचेगी रेलवे स्टेशन
- छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल का आरोप
- सजेंगे स्टेशन,बिकेंगे स्टेशन!
- उद्योगपति होंगे क्रेता,सरकार विक्रेता!
- सजेगा स्टेशन,तभी तो बिकेगा स्टेशन!
- बीजेपी ने बताया इसे बड़ी सौगात
- बीजेपी का बयान,यात्रियों के लिए बड़ी सौगात!
- ठीक होगा इन्फास्ट्रकचर..बढ़ेगी देश की रफ्तार!
दरअसल रविवार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशभर के 508 रेलवे स्टेशन को बेहतर बनाने के लिए 25 हजार करोड़ रूपए की योजना का शिलान्यास किया था। 508 रेलवे स्टेशन में से 32 रेलवे स्टेशन छत्तीसगढ़ के भी शामिल हैं। जिन पर रेलवे की ओर से करीब दो हजार करोड़ रूपए खर्च किए जायेंगे। अकेले 470 करोड़ रूपए की लागत से राजधानी रायपुर के रेलवे स्टेशन को सजाया-सवारा जाएगा। राज्य की मुख्य विपक्षी दल बीजेपी का कहना है कि यह देश में रेलवे से यात्रा करने वाले लोगों के लिए बड़ी सौगात है। साथ ही छत्तीसगढ़ के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
केन्द्र सरकार की योजना पर कांग्रेस को शंका
वहीं दूसरी तरफ राज्य की सत्ताधारी दल कांग्रेस केन्द्र सरकार के इस फैसले को शंका भरी नजरों से देख रही है। कांग्रेस का कहना है कि केन्द्र सरकार देश भर के रेलवे स्टेशन को इसलिए चमका रही है क्योंकि इसे सजा-सवांरकर बड़े उद्योगपतियों को बेचना है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत पूरी कांग्रेस पार्टी के यही स्वर है। राज्य के आदिम जाति कल्याण मंत्री मोहन मरकाम का कहना है कि केन्द्र सरकार सभी रेलवे स्टेशन को अपने उद्योगपति मित्रों को बेचना चाह रही है इसलिए रेलवे स्टेशन को संजाया सवारा जा रहा है। बता दें अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत अमृत स्टेशनों की तर्ज पर छत्तीसगढ़ को भी सौगात मिली है। छत्तीसगढ़ में 7 रेलवे स्टेशन योजना में शामिल करते हुए उनके पुर्न विकास के लिए प्रधानमंत्री ने शिलान्यास किया है। लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस पर संदेह हो रहा है। उनका बड़ा बयान सामने आया है। भूपेश बघेल ने कहा है कि देश के रेलवे स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है। जिस तरीके से एयरपोर्ट को भी आधुनिक बनाने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए। बाद में एयरपोर्ट निजी हाथों में दिये। अब देश के रेलवे स्टेशन पर भी करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं। ऐसे में उन्हें डर है कि कहीं देश के रेलवे स्टेशनों को भी निजी हाथों में ना सौंप दिया जाए।
विकास के मुद्दे को सियासी चश्मे से देखना गलत
देश में अब हर मुद्दे पर राजनीति होती है। विकास के मुद्दे को भी राजनितिक चश्मे से देख जाता है। देखा जाता है कि कहीं दूसरे पक्ष को मुद्दे का राजनीतिक लाभ न मिल जाए। यही वजह है कि पीएम जब देश के रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण के लिए 25 हजार करोड़ की सौगात दे रहें है तो उसे भी राजनीतिक नजरिए से देखते हुए यह टिप्पणी की जा रही है कि रेलवे स्टेशन को बेचने के लिए सजाया सवारा जा रहा है। तो क्या वाकई रेलबे स्टेशन का आधुनिकीकरण और उसे सजाया सवारा इसलिए ही जा रहा है कि उसे बेचा जाना है। या इसके पीछे वाकई विकास की ही मंशा है।