प्रशांत किशोर गए जेल…नहीं मांगी बेल: छात्र आंदोलन के रुप में बिहार की धरती से उठता एक राजनीति गुबार…किंग मेकर की छवि वाले पीके क्या बनेंगे राजनीति में किंग

बिहार में प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी के बाद राज्य की सियासत गरमा गई है। बीपीएससी के स्टूडेंट के समर्थन में जन सुराज पार्टी संस्थापक प्रशांत किशोर अनशन पर बैठे थे। जिनकी गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक माहौल गर्म हो चुका है। दरअसल सोमवार देर रात बिहार की राजधानी पटना में अनशन कर रहे पीके को राज्य की पुलिस ने गिरफ्तार किया और कोर्ट में पेश कर दिया।

अब जेल में भी अनशन करेंगे प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने बीपीएससी छात्र आंदोलन का समर्थन करते हुए अनशन को जारी रखने का ऐलान किया है। उन्होंने जमानत लेने से मना कर दिया। अब प्रशांत किशोर जेल में भी अनशन करेंगे। इससे साफ जाहिर है कि बिहार में छात्र आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश करने वाले दूसरे दल और नेताओं को यह अच्छा नहीं लग रहा होगा।

कभी बिहार के चंपारण से नील की खेती करने वाले किसानों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ सत्याग्रह करने पहुंचे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उस समय अदालत में जमानत लेने से इनकार कर दिया था। इसके बाद में हारकर अदालत ने उन्हें बिना जमानत के ही जेल से रिहा करने का आदेश सुनाया था। बिहार के चंपारण में मिली म​हात्मा गांधी की इस सफलता ने ही गांधी को राष्ट्रीय स्तर का नेता बनाने में मुख्य भूमिका निभाई थी। अब महात्मा गांधी को अपना आदर्श बताने वाले प्रशांत किशोर भी उसी रास्ते पर चलते नजर आ रहे हैं।

पीके ने बीपीएससी को बनाया सियासी मुद्दा

बता दें प्रशांत किशोर ने हाल ही में बीपीएससी के स्टूडेंट के साथ नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ धरना दिया था। इसके बाद रात को उनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। राजनैतिक पंडितों की माने तो प्रशांत किशोर को इस धरने का पॉलिटिकल माइलेज मिल सकता है। दरअसल प्रशांत किशोर ने अक्टूबर में जन सुराज पार्टी की स्थापना की है। इसके बाद से प्रशांत किशोर लगातार नीतीश ही नहीं लालू यादव और उनकी पार्टी के खिलाफ भी हल्ला बोलते नजर आ रहे हैं। आइए आपको बताते है कि कैसे पब्लिक हैल्थ की पढ़ाई करने के बाद प्रशांत कुमार राजनीति में अपना परचम लहराने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रशांत किशोर मतलब की पीके। पीके को एक अच्छे राजनैतिक रणनीतिकार के तौर पर देखा जाता है। कहा जाता है कि पी के सबसे पहले बीजेपी के लिए रण्नीति बनाई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चुनावों रणनीति तैयार की थी। पीके की प्रांरभिक शिक्षा बक्सर में हुई। इसके बाद से वे हैदराबाद इंजीनियरिंग की पढाई करने चले गए। पब्लिक हेल्थ में पीजी करने के बाद पीके ने पब्लिक हेत्थ एक्सपर्ट के तौर पर यूनाइटेड नेशन्स में काम किया। यहां पीके ने अलग अलग राज्यों में कुपोषण की क्या स्थिति और कैसे सुधार हो उसे लेकर रिसर्च की। यहीं से 2011 में उनकी मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई। मोदी उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
साल 2014 के आम चुनावों में बीजेपी के लिए तैयार होने वाली रणनीति में पीके का अहम रोल रहा है। पी के ने बीजेपी को न्यू मीडिया सोशल मीडिया पर कैपेनिंग कैसे की जाती है यह सिखा दी। 3 डी रैली चाय पर चर्चा, मंथन जैसे चीजों से पीके ने बीजेपी को आमजन के साथ साथ सीधे तौर पर युवा वर्ग से जोड़ दिया। हांलाकि इसके बाद पीके ने अलग अलग राजनैतिक दलों से लिए काम किया। इसमें नीतिश कुमार की जनता दल के साथ साथ ममता बेनर्जी की टीएमसी, केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और स्टालिन के लिए भी पीके काम कर चुके हैं।

प्रशांत किशोर की पार्टी का एजेंडा

पीके का ताल्लुक बिहार के रोहतास जिले से है। अब तक राजनीतिक पार्टियों के लिए पर्दे के पीछे रहकर बड़ी भूमिका निभाकर सत्ता की चाबी दिलाने वाले पीके अब खुद राजनीति के फ्रंट पर आ गए हैं। राजनैतिक दलों की सफल रणनीति बनाने के बाद अब प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2024 में एक राजनौतिक दल की स्थापना की। बिहार से शुरू हुए इस दल का नाम जन सुराज रखा गया और अब प्रशांत किशोर बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रहे हैं। पीके यानी प्रशांत किशोर भारतीय राजनीति में अपने रणनीतिक कौशल के साथ विभिन्न चुनाव अभियानों के लिए जाने और पहचाने जाते हैं। पीके की पार्टी जन सुराज का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक राजनीति से अलग हटकर आमजन की आवाज को सामने लाना है। विकास और समृद्धि के साथ पारदर्शिता पर आधारित सत्ता स्थापित करना है। एक राजनैतिक रणनीतिकार की पार्टी चुनावी मैदान में कितने और कैसे झंडे गाड़ेगी इसका इंतजार सभी को है।

पीके के समर्थम में AIMIM

AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने बड़ा आरोप लगाया है। पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा प्रशांत किशोर को थप्पड़ मारे जाने की बात सामने आ रही है। ईमान ने कहा अगर ऐसा किया गया है तो यह बेहद ही शर्मनाक बात है। यह थप्पड़ प्रशांत किशोर को नहीं बल्कि लोकतंत्र के गाल पर मारा गया है।

प्रकाश कुमार पांडेय

Exit mobile version