लोकसभा चुनाव में राजनैतिक दलों की सर्वाधिक नजर उत्तर प्रदेश पर होती है। चॅूकि दिल्ली की सत्ता के लिए यूपी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है। यही कारण है कि तमाम दल उत्तरप्रदेश को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बना रहे हैं। बसपा प्रमुख मायावती भी इसमें पीछे नहीं हैं। भले ही बसपा फिलहाल बहुत ज्यादा बयानबाजी नहीं कर रही है और न मीडिया के सामने आ रही है। इसका मतलब यह कतई नहीं है बसपा कुछ कर नहीं रही है। गांव गांव में पार्टी अपने कार्यकर्ताओं में उत्साह जगाने के लिए न केवल बैठकें कर रही है बल्कि विभिन्न आयोजनों पर भी जोर दे रही है।
भाजपा से अकेले मुकाबला करेगी बसपा
भले ही भारतीय जनता पार्टी का उत्तर प्रदेश में बोलबाला माना जा रहा है। सीएम योगी की लोकप्रियता का डंका बज रहा है। इसके बाद भी बसपा अकेली दम पर सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की हुंकार भर रही है।इसके लिए बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने अपने पार्टी के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ कई समीक्षा बैठक की। इसमें निर्देश दिया कि अब बूथ स्तर तक हमें अपने कार्यकर्ताओं को तैनात करना है।
अगस्त से मैदान में डटेंगे बसपा कार्याकर्ता
उत्तरप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की ताकत को नकारा नहीं जा सकता है। यहां कार्यकर्ता अपने काम को पूरा करने में जुट रहे हैं। अगस्त तक बसपा प्रदेश भर में सेक्टर व बूथ कमेटी का रिव्यू कर उनका पुनर्गठन करेगी। इसमें जिनकी परफॉर्मेंस खराब है उनको पार्टी बाहर का रास्ता दिखाएगी। बसपा हाईकमान ने निर्देशित किया है कि नई कमेटियों में पुराने कार्यकर्ताओं के साथ ही 50 फ़ीसदी युवाओं की भी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। मतलब साफ है कि वरिष्ठ नेताओं के अनुभव और युवाओं की ऊर्जा के साथ 2024 पर जीत हासिल की जाएगी। इसके बाद सितंबर महीने से सदस्यता अभियान की शुरूआत करेगी। इस सदस्यता अभियान को गांव-गांव, घर-घर तक चलाया जाएगा। इस सदस्यता अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष, मंडल प्रभारी, जोन इंचार्ज, मंडल अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष समेत सभी छोटे–बड़े पदाधिकारियों को दिया गया है।