छत्तीसगढ़ साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना हैं। जिसके लिए सभी सीटों में हल्की सियासी गर्माहट महसूस की जाने लगी है। 2018 में 15 साल बाद सत्ता से बेदखल हुई बीजेपी पूरा जोर लगा रही है। सिर्फ सरगुजा संभाग की 14 सीटों की बात करें। तो यहां 14 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। जिला मुख्यालय की सीट से खुद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव विधायक हैं। बाकी की सीटों पर भी सिंहदेव का प्रभाव माना जाता है।
- सरगुजा में कांग्रेस की 14 सीटों पर बीजेपी की नजर
- क्या सरगुजा में मंत्री सिंहदेव दोहराएंगे पुराना प्रदर्शन?
- अक्टूबर नवंबर में होंगे छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव
- राज्य की सभी सीटों पर हल्की चुनावी गर्माहट
- इस बार भी बीजेपी के लिए आसान नहीं हैं ये चुनाव
- सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
- पीएम आवास योजना को बना सकती है बीजेपी बड़ा मुद्दा
- भपूेश सरकार नहीं दे पाई पीएम आवास के लिए अपना हिस्सा
- सरगुजा संभाग से हैं भूपेश कैबिनेट में तीन मंत्री
चार प्रदेशों से घिरा है सरगुजा संभाग
सरगुजा संभाग छत्तीसगढ़ का वो इलाक़ा जो चार प्रदेशों से घिरा है। यहां की सियासत भी तमाम मुद्दों से घिरी रहती है। बात करें 2018 विधानसभा चुनावों की तो यहा पर ऐसे तमाम मुद्दे थे जिनकी वजह कांग्रेस ने यहां की सभी 14 विधानसभा में क़ब्ज़ा कर लिया। दरअसल चुनाव के वक्त भले ही कांग्रेस की तरफ़ से मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं था पर संभाग मुख्यालय से विधायक और मंत्री टीएस सिंहदेव के सीएम बनने की चर्चा आम हो गई थी। ऐसे में यहां से कांग्रेस को बहुत फ़ायदा मिला। सरकार बनने के नारे के साथ कांग्रेस ने सरगुज़ा की सभी सीटें भी फ़तह कर ली।
काम कर गया था सिंहदेव का बनाया घोषणा पत्र
दूसरे मुद्दे की बात करें तो वो कांग्रेस का घोषणा पत्र था। जिसमें जनता से तमाम लोक लुभावने वादे किए गए थे। जिसे टी एस सिंहदेव की अध्यक्षता वाली एक कमेटी ने तैयार किया था। लेकिन क्या इस बार टीएस सिंहदेव पिछले चुनाव की तरह प्रदर्शन कर सकेंगे। क्या संभाग की सभी 14 सीटों पर वे कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत दिला सकेगे। क्योंकि पिछले साढ़े चार साल में विकास के नाम पर ऐसा कोई माइल स्टोन खड़ा नहीं किया, जिससे कांग्रेस फिर से 14 की 14 सीट जीत सके। क्योंकि बीजेपी के पास इस बार पीएम आवास योजना में धांधाली एक सबसे बड़ा मुद्दा है। दरअसल पीएम आवास के लिए राज्य सरकार अपना हिस्सा नहीं दे पा रही है और सरकार पर पूरे चार साल तक सरगुजा को पूरी तरह अनदेखा करने का आरोप लगा है। जबकि इलाक़े से एक नहीं तीन तीन केबिनेट मंत्री भूपेश सरकार में शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस के कई विधायक नाराज़ रहे हैं।
बीजेपी को ले डूबी थी एंटी इकमबेंसी
इसके अलावा इलाक़े में बीजेपी के पास 2018 में कोई दमदार चुनावी मुद्दा नहीं था। जिसके दम वो कांग्रेस के क़िले में सेंध लगा सके। साथ ही 15 साल की एंटी इनकमवेंसी भी थी। जिसकी वजह से भी सरगुजा को सभी 14 सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। यहां पूरे संभाग में बीजेपी का सूपड़ा ही साफ़ हो गया था। इन सबके मुद्दे से हटकर एक सबसे बड़ी वजह ये भी थी कि पन्द्रह साल की सरकार में बीजेपी के मंत्री, विधायक और नेतााअेों ने ज़मीन छोड़ दी थी। ऐसे में यहां के लगभग सभी वर्ग के लोग बदलाव चाहते थे। और चुनाव में उन्हें मौका मिल गया।
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