Lok Sabha Election लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सारे राजनीतिक दल कमर कस चुके हैं। कांग्रेस इस बार बदलाव के साथ मैदान में है। राहुल गांधी की अगुआई में पार्टी की भारत जोड़ा यात्रा पूरी हो चुकी है। लगभग दो दशकों बाद मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में पहली बार गांधी परिवार के बाहर का कोई शख्स पार्टी की कमान संभाल रहा है।
- जनवरी 2023 में सी वोटर ने ‘मूड ऑफ इंडिया’ नाम से चुनाव सर्वे किया गया है
- इसमें 2024 चुनाव को लेकर जनता का मिजाम समझने की कोशिश की गई है
- सर्वे के अनुसार, अगर आज चुनाव होते हैं तो कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए को 153 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है
- यह कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है क्योंकि उसका अपना वोट शेयर 22 प्रतिशत तक दिखाया गया है, जबकि यूपीए का वोट शेयर 30 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान लगाया गया है
वोट बराबर लेकिन सीटें कम
वैसे, मुख्य सवाल यह है कि कांग्रेस का वोट तो 2009 से 2019 तक बराबर रहा, लेकिन उसकी सीटों में 150 से ज्यादा की कमी हो गई।आखिर दो लोकसभा चुनावों में जब कांग्रेस को बराबर वोट मिले तो उसकी सीटों में इतना भारी अंतर कैसे आया?
- 2009 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 11.9 करोड़ वोट मिले थे और कांग्रेस को 206 सीटें हासिल हुई थीं
- उसकी प्रतिद्वंद्वी बीजेपी को 7.8 करोड़ वोट मिले थे और उसे 116 सीट मिली थी, आखिरकार 2009 में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की सरकार बनी थी
- 2014 में कांग्रेस का वोट पिछली बार के मुकाबले एक करोड़ नीचे खिसककर 10.6 करोड़ हो गया, लेकिन उसे बुरी तरह हार मिली और उसकी सीटें 44 पर सिमट गईं
- बीजेपी को 17.1 करोड़ वोट मिले लेकिन उसकी सीटें बढ़कर 282 हो गईं
- 2019 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के वोटर बढ़कर 2009 के बराबर पहुंच गए लेकिन सीटों की संख्या सिर्फ 8 बढ़ी और पार्टी को 52 लोकसभा सीट मिलीं
- हालांकि, 2009 के बराबर ही वोट पाने वाली कांग्रेस की सीटें 154 की संख्या से कम हो गईं, वहीं बीजेपी को वोट 22.9 करोड़ मिले थे और उसने 303 सीटें जीत लीं
कांग्रेस की यह दुर्गति क्यों हुई
कांग्रेस के वोट में कमी नहीं हुई तो पार्टी का इतना बुरा हाल कैसे हुआ? दरअसल, 2014 के बाद क्षेत्रीय पार्टियों के वोट बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुए और रीजनल पार्टी कमजोर हो गयीं। कांग्रेस के वोटर तो उसके साथ बने रहे लेकिन चुनाव में उसका वोट शेयर सिकुड़ने लगा। 2009 से 2019 तक तीन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी का वोट शेयर लगातार बढ़ता रहा। 2009 में यह 18.8 प्रतिशत था जो 2014 में बढ़कर 31.34 प्रतिशत और 2019 में 37.76 प्रतिशत पर पहुंच गया।
ताजा सर्वे और नीतीश कुमार का बयान
नीतीश कुमार ने हाल ही में कांग्रेस को एक नसीहत दी। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के फैसले का इंतजार कर रहे हैं कि उन्हें साथ मिलकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ना है या नहीं। दरअसल, इस सर्वे में बिहार की लोकसभा सीटों को लेकर सामने आए आंकड़ों ने नीतीश कुमार की हिम्मत बढ़ा दी है। बीते साल अगस्त में हुए इसी सर्वे में यूपीए को बिहार में शून्य सीटों के साथ महज 5 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन हालिया सर्वे में यूपीए को बिहार में 47 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान जताया गया है। बीजेपी को बिहार में भारी नुकसान होनेवाला है और यूपीए 25 सीटें तक जीत सकती हैं। पिछली बार बिहार से यूपीए का सूपड़ा साफ था, वह केवल एक सीट जीत सकी थी।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी को 100 सीटों से कम में समेटने का दावा भी शायद इसी सर्वे को देखकर किया है। साथ ही, वह कांग्रेस को सीख दे रहे हैं, क्योंकि खुद को पीएम के लिए प्रोजेक्ट करना चाहते हैं।