नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार 31 जनवरी को बजट सत्र के दौरान इकोनॉमिक सर्वे पेश किया। सर्वे में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद ( GDP) ग्रोथ रेट के 6.5% होने का अनुमान लगाया है जो कि पिछले 3 साल में सबसे धीमी विकास-दर होगी। वहीं वित्त वर्ष 2023 के लिए वास्तविक GDP का अनुमान 7% है।
- सर्वे में भारत के दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बने रहने की बात है
- पर्चेजिंग पावर पैरिटी के मामले में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है
- एक्सचेंज रेट के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है
क्या होता है सर्वे और क्यों होता है?
सर्वे में भारतीय अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद, महंगाई दर का अनुमान, विदेशी मुद्रा भंडार और व्यापार घाटे की जानकारी शामिल होती हैं। हमारे घरेलू हिसाब-किताब के लेखाजोखा की तरह ही इकोनॉमिक सर्वे को समझा जा सकता है। इस लेखाजोखा में पिछले साल का पूरा हिसाब होता है। हमारी इकोनॉमी के सामने क्या चुनौती है, उसकी वास्तविक हालत क्या है, ये सब इकोनॉमिक सर्वे से समझा जा सकता है।
- सर्वे से पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी रही है
- इसमें बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए चुनौतियों का जिक्र और समाधान रहता है
- इसको बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है
- सरकार सर्वे को पेश करने और इसमें दिए गए सुझावों या सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य नहीं है
- इसकी अहमियत है, क्योंकि इससे बीते साल की अर्थव्यवस्था का लेखा-जोखा पता चलता है
- देश का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में केंद्रीय बजट के एक भाग के रूप में पेश किया गया था, लेकिन 1964 के बाद से सर्वे को केंद्रीय बजट से अलग कर दिया गया
- पहले यह एक ही खंड में आता था, लेकिन 2014 से इसको दो खंडों में पेश किया जाता है
इस साल का सर्वे क्या कहता है?
सर्वे के एक हिस्से में पिछले वित्तीय वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था ने कैसा परफॉर्म किया इसकी जानकारी होती है। दूसरे खंड में गरीबी, सामाजिक सुरक्षा, मानव विकास, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन जैसे मसले होते हैं।
सकल घरेलू उत्पाद से अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को जांचते हैं। GDP का मतलब साल भर में देश के अंदर उत्पादित सभी सामानों और सेवाओं के मूल्य के बराबर होता है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां उत्पादन करती हैं, वे भी शामिल होती हैं। भारत की अर्थव्यवस्था इस दशक की शेष अवधि में बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार है। बैंकों की बैलेंस शीट में सुधार है और गैर बैंकिंग और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में अब हेल्दी बैलेंस शीट है। महामारी से उबरने की बात करने की जगह आगे बढ़ना होगा। 2022 में कृषि में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी पिछले 12 साल में सबसे ज्यादा रही है।
महंगाई रिजर्व बैंक के लक्ष्य से दूर
पिछले साल यानी 2022 में रिटेल महंगाई RBI के सोचे हुए लक्ष्य से दूर रही है। आरबीआई ने 2%-6% इसे रखने का सोचा था। सबसे ज्यादा महंगाई पिछले साल अप्रैल में थी, जो 7.79% थी। 300 सामानों की की कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।भविष्य के लिए उम्मीद है कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की ग्रीन एनर्जी की ओर ट्रांजीशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। डोमेस्टिक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) मार्केट 2022 और 2030 के बीच 49% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
प्रकाश कुमार पांडेय