पनामा पेपर्स से जुड़ा है कंपनी संचालक का नाम
तेलंगाना में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति यानी TRS के कल्याण मंत्री गंगुला कमलाकर सहित कई ग्रेनाइट सप्लायरों के ठीकानों पर छापेमारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने कई खुलासे किए हैं। ईडी ने दावा किया है कि लीक हुए पनामा पेपर्स में नामित एक व्यक्ति के स्वामित्व वाली एक चीनी कंपनी से तेलंगाना स्थित ग्रेनाइट व्यवसायों को अवैध धन भेजा गया। जिसमें कमलाकर का भी नाम शामिल है। इतना ही नहीं ईडी की ओर से कहा है कि ये कंपनियां चीन, हांगकांग और अन्य देशों को कच्चे ग्रेनाइट ब्लॉकों का निर्यात कर रही हैं। कई बार घोषित बैंक खातों में निर्यात आय दिखाई नहीं गई।
बता दें प्रवर्तन निदेशालय ने जांच में पाया है कि तेलंगाना में ग्रेनाइट कंपनियांए जिनमें राज्य के मंत्री गंगुला कमलाकर से जुड़ी कंपनियां भी शामिल हैं के संबंध ली वेनहुओ के स्वामित्व वाली चीनी इकाइयों से हैं। जिनका नाम पनामा पेपर लीक में सामने आया था। ईडी ने फेमा उल्लंघनों से संबंधित सबूतों की जांच और पता लगाने के लिए करीमनगर और हैदराबाद में छह ग्रेनाइट कंपनियों के कार्यालयों और घर की तलाशी ली थी। ईडी की ओर से कहा गया कि तलाशी कार्रवाई से पता चला कि चीनी संस्थाओं से भारतीय संस्थाओं में बिना दस्तावेजों के हस्त ऋण के रूप में धन भेजा गया है।
1.08 करोड़ की बेहिसाबी नकदी बरामद
ईडी ने तलाशी कार्रवाई के दौरान 1.08 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी बरामद कर जब्त की है। कथित तौर पर हवाला चैनल के माध्यम से निर्यात में वृद्धि हुई और खदानों से 10 वर्षों के विशाल ग्रेनाइट प्रेषण डेटा को भी जब्त कर लिया। जांच एजेंसी ने 9 और 10 नवंबर को स्वेता ग्रेनाइट्स, स्वेता एजेंसियों, श्री वेंकटेश्वर ग्रेनाइट्स प्राइवेट लिमिटेड, पीएसआर ग्रेनाइट्स प्राइवेट लिमिटेड, अरविंद ग्रेनाइट्स, गिरिराज के कार्यालयों और आवासीय परिसरों में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम फेमा की धाराओं के तहत तलाशी ली थी। कुछ कंपनियां राज्य के नागरिक आपूर्ति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री गंगुला कमलाकर और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी हैं। ईडी की टीम ने करीमनगर स्थित उनके आवास की भी तलाशी ली। ये कंपनियां चीन, हांगकांग और अन्य देशों को कच्चे ग्रेनाइट ब्लॉकों का निर्यात कर रही थीं।
कर्मचारियों के नाम बेनामी खाते
ईडी ने तलाशी के दौरान ग्रेनाइट निर्यातकों के कर्मचारियों के नाम से कई बेनामी बैंक खाते भी उजागर किये। जिनमें अवैध ग्रेनाइट निर्यात के बदले मिली नकदी जमा की जा रही थी। ईडी की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार के सतर्कता और प्रवर्तन विभाग की एक रिपोर्ट के आधार पर अवैध ग्रेनाइट खनन और फेमा उल्लंघन की जांच शुरू की गई थी। जिसमें तेलंगाना के करीमनगर जिले में खदान पट्टा क्षेत्रों से ले जाया गया ग्रेनाइट ब्लॉकों पर बड़े पैमाने पर सेग्नियोरेज शुल्क की चोरी की गई थी। रेल मार्ग से समुद्री बंदरगाहों का पता लगाया गया। चोरी की गई रॉयल्टी की मांग उठाई गई लेकिन निर्यातकों की अेर से भुगतान नहीं किया गया।
क्या है पनामा पेपर्स?
पनामा पेपर्स बताते हैं कि किस तरह से अरबपति ऐसी जगह पर अपना पैसा लगाते हैं। जहां टैक्स का कोई चक्कर ही नहीं हो। इसे टैक्स चोरी का स्वर्ग भी कहा जा सकता है। इसमें जिन 143 राजनेताओं के बारे में जिक्र किया गया है। उनमें से 12 तो अपने अपने देशों के राष्ट्राध्यक्ष हैं। उनके परिवार और नजदीकी लोग इससे जुड़े हैं।
पत्रकारों के समूह ने किया पनामा पेपर्स का खुलासा
बता दें इंटरनेशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वैस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स यानी आईसीआईजे नाम के पत्रकारों के समूह एनजीओ ने मोसेक फोंसेका कंपनी की ओर से किये गये हुए भ्रष्टाचार पनामा पेपर्स के नाम से ख़ुलासा किया था। समूह ने क्रमश: करीब 1 करोड़ 10 लाख दस्तावेजों का खुलासा किया। जिसमें 70 देशों के 370 रिपोर्टरों ने इनकी जांच की और यह जांच करीब 8 महीने तक की गई। दुनिया भर के 190 खोजी पत्रकारों के इस समूह में 76 देशों के 109 मीडिया संस्थान शामिल रहे। जांच में जो डेटा सामने आया वह लगभग 40 साल का है।