Russ-Ukrainian War के बीच दोनों देशों के लोग भारत में रहकर महाकुंभ में शांति का संदेश देते नजर आ रहे हैं। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच दोनों देशों से करीब 70 लोग यहां संगम नगरी प्रयागराज पहुंचे हुए हैं। युक्रेन के गिरिजी महाराज और रुस की आनंद माता दोनों विश्व शांति और युद्ध से प्रभावित देशों के लिए हर दिन विशेष प्रार्थना करते हैं। दोनों देश युद्ध और संघर्ष में लगे हुए हैं, जिससे दोनों पक्षों को अब तक भारी जान-माल का नुकसान हुआ है।
एक ओर रूस — युक्रेन के बीच लंबे समय से युद्ध चल रहा है, दूसरी तरफ इन दोनों देशों के संन्यासी यूपी की संगम नगरी प्रयागराज महाकुंभ में मौजूद हैं। दोनों देशों के संन्यासी शांति का संदेश दे रहे हैं। बता दें करीब तीन साल से रूस — युक्रेन दोनों देशों के बीच युद्ध चल रहा है। इस भीषण युद्ध के दौरान अब तक कई लोग मारे जा चुके हैं ,लेकिन दोनों में से कोई पीछे हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में इन दोनों देश के संन्यासी भारत में आकर शांति का संदेश दे रहे हैं। एक ओर जहां रूस — यूक्रेन के बीच खूनी संघर्ष जारी है तो वहीं दूसरी ओर इन दोनों देशों के लोग एक ही शिविर में शांति और सद्भाव के साथ रह रहे हैं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह अध्यात्म बताई जा रही है।
यूक्रेन के स्वामी विष्णुदेवानंद गिरिजी महाराज और रूस की आनंद लीला माता प्रयागराज महाकुंभ में शामिल होने के लिए पहुंचीं हैं। प्रयागराज में ये दोनों ही एक मंच पर बैठकर प्रेम, शांति और करुणा पर प्रवचन देते नजर आ रहे हैं। बता दें यूक्रेन के स्वामी विष्णुदेवानंद गिरिजी महाराज और रूस की आनंद लीला माता दोनों सेक्टर 18 में पायलट बाबा के शिविर में प्रतिदिन प्रवचन देते हैं। इन दोनों देशों के करीब 70 से अधिक लोग एक ही शिविार में एक साथ शांति की खोज में लगे हैं। प्रयागराज मेला प्रशासन की ओर से उम्मीद जताई जा रही है कि कम से कम 100 लोग और इन दोनों देशों से आएंगे।
बता दें यूक्रेन के विष्णुदेवानंद गिरिजी महाराज को पहले वैलेरी के नाम से पुकारा जाता था। वे यूक्रेन स्थित खार्किव शहर के रहने वाले हैं। अब वे जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हैं। गिरिजी महाराज का कहना है वे दोनों देशों में शांति चाहते हैं। “विश्व शांति के लिए उन्होंनेे संदेश दो शब्दों में व्यक्त किया है। “लोकसंग्रहम” सार्वभौमिक भलाई और “अरु पदै” यानी सार्वभौमिक ज्ञान। उनका कहना है हमें ‘लोक: समस्त: सुखिनो भवन्तु’ मंत्र का स्मरण रखना चाहिए, जो सभी जीवों की भलाई के साथ खुशी की कामना करता है।
इधर रूस की रहने वालीं आनंद माता का नाम पहले ओल्गा था, ओल्गा पश्चिमी रूस के निजनी नोवगोरोड की रहने वाली हैं। उनका कहना है महाकुंभ मेले में यह उनकी पांचवीं यात्रा है। पहली बार वे यहां महाकुंभ में महामंडलेश्वर पायलट बाबाजी के निमंत्रण पर आईं थी। साल 2010 में उन्होंने महामंडलेश्वर का पद स्वीकार किया था। इसके बाद से वे लगभग हर कुंभ मेले में आती रहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब रूस और यूक्रेन दोनों देशों के लोग सद्भाव में एक साथ बैठते हैं तो यह एक उदाहरण पेश करता है कि किस तरह आध्यात्मिक खोज राष्ट्रीय पहचान से परे होकर लोगों को एकजुट कर सकती है।