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Home शहर और राज्य दिल्ली

Manipur Violence: जानें क्यों जा​तीय हिंसा की आग में झुलस रहा मणिपुर… ड्रोन से हमले…कहीं चीन का सपोर्ट तो नहीं…!

DigitalDesk by DigitalDesk
September 3, 2024
in दिल्ली, मुख्य समाचार, राजनीति, स्पेशल
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Ethnic violence in India northeastern state of Manipur drone attacks
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भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में जातीय हिंसा की आग में जलते हुए करीब तीन महीने से अधिक का समय हो गया है, लेकिन जातीय हिंसा का समाधान अभी तक कुछ निकला नहीं है। शांति बहाली की तमाम कोशिशें की गईं लेकिन बात नहीं बन पा रही। कुकी और मैतेई की बीच शुरु हुई हिंसा पिछले 15 महीने से लगातार जारी है। इस बीच मणिपुर स्थित कोत्रुक गांव में पिछले रविवार 1 सितंबर को यहां हैवी फायरिंग के बाद ड्रोन से बम बरसाए। इस हमले में एक महिला समेत दो लोग की जान चली गई। वहीं 2 बच्चों के साथ 10 लोग घायल बताए जा रहे हैं। पहली बार मणिपुर में ड्रोन से हमले किये गये। जिसमें आशंका जताई जा रही है कि कहीं इसके पीछे चीन का सपोर्ट तो नहीं है।

  • कभी जंग का मैदान बना तो बना कभी हिंसा का मैदान
  • आजादी के दो साल बाद भारत में शामिल हुआ था मणिपुर
  • कभी एक रियासत हुआ करती थी मणिपुर
  • 1947 में हुआ मणिपुर में लोकतांत्रिक सरकार का गठन
  • मणिपुर के महाराजा को बनाया गया था कार्यकारी प्रमुख
  • 1949 में हुआ था मणिपुर का भारत में विलय
  • ड्रोन से हमले में कहीं चीन का समर्थन तो नहीं

ड्रोन से किये गये हमले का आरोप कुकी उग्रवादियों पर लगा है। बता दें यह पहला मौका है जब मणिपुर के किसी गांव पर इस तरह ड्रोन से हमला किया गया है। कोत्रुक गांव में एन. रोमेन कहते हैं उनके घर जला दिये गये। उनके घर पर भी ड्रोन से बम गिराया था।
मणिपुर में पिछली बार तीन मई से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा का दौर शुरु हुआ था जो अब तक जारी है। मैतेई समुदाय जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहा है, इसके खिलाफ हिंसा भड़क गई। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार तब से इस हिंसा में अब तक करीब 156 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

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जातीय हिंसा और हिंसा का लंबा इतिहास

बता दें मणिपुर एक ऐसा राज्य रहा है जहां जातीय हिंसा और हिंसा का लंबा इतिहास रहा है। यहां दूसरे विश्व युद्ध के समय भी जापान के सैनिकों ने लगातार दो साल तक जमकर बमबारी भी की थी। 1960 के दशक में यहां मैतेई समुदाय ने एक बड़ा विद्रोह भी किया था। इस दौरान दावा किया था कि साल 1949 में मणिपुर को धोखे से भारत में शामिल किया गया था।
आजादी के पहले अंग्रेजी शासन के समय मणिपुर एक रियासत हुआ करती थी। साल 1947 में मणिपुर के महाराजा को कार्यकारी प्रमुख बनाया गया था। इसके बाद एक लोकतांत्रिक सरकार का यहां गठन किया गया। लेकिन साल 1949 में मणिपुर को आजाद भारत में विलय किया गया। 21 जनवरी 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।

जानिए मणिपुर हिंसा की वजह क्या है

मणिपुर की जनसंख्या करीब 38 लाख के आसपास है। तीन प्रमुख समुदाय यहा रहते हैं। जिनमें नगा, मैतेई और कुकी। मैतेई अधिकांश हिंदू हैं। नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं जो एसटी वर्ग में आते हैं। इनकी जनसंख्या करीब 50 प्रतिशत है। राज्य के करीब 10 प्रतिशत इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90 प्रतिशत इलाके में रहते हैं।

आखिर कैसे शुरू हुआ जा​तीय विवाद

मैतेई समुदाय भी जनजाति का दर्जा मांग रहा है। इस समुदाय ने अपनी मांग के साथ ही मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है। मैतेई समुदाय का कहना है 1949 में मणिपुर का जब भारत में विलय हुआ था तब उससे पहले जनजाति का उन्हें दर्जा मिला था। इसके बाद हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार से यह सिफारिश की कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति ST में शामिल किया जाए।

यह है नगा-कुकी विरोध की वजह

मणिपुर में मैतेई को छोड़कर दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने का विरोध कर रही हैं। इनका तर्क है कि राज्य की करीब 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से ही मैतेई बहुल इंफाल घाटी में स्थित हैं। ऐसे में यदि मैतेई को ST वर्ग में भी आरक्षण मिलेगा तो उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। बता दें मणिपुर की 60 विधानसभा में से 40 सीटों पर मैतेई विधायक हैं। बाकी 20 सीट पर नगा-कुकी जनजाति के विधायक हैं। मणिपर में अब तक 12 मुख्यमंत्री में से दो ही जनजाति वर्ग से रहे हैं।

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Tags: # India northeastern state# Manipur drone attacks#Ethnic violencemanipur violence
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