सुप्रीम कोर्ट ने महिला और उसके दूसरे पति को छह छह महीने जेल में रहने की सजा सुनाई है। दरअसल महिला ने पहले पति से तलाक लिए बिना ही दूसरा विवाह कर लिया था। ऐसे में उसके खिलाफ पहले पति ने पत्नी के साथ ही सास-ससुर और पत्नी के दूसरे पति के खिलाफ भी केस दर्ज कराया था। यह मामला सेशन कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।
- सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
- बिन तलाक दूसरी शादी की ये सजा
- अब जेल में रहना होगा दोनों को 6 6 महीने
- 6 महीने दूसरा पति रहेगा जेल में
- पति की सजा के बाद पत्नी जेल में रहेगी 6 महीने
- दोनों का है 6 साल का बेटा
- बेटे की देखभाल के लिए अगल अलग सजा
जिस पर जस्टिस सीसी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की संयुक्त बेंच ने अपना फैसला सुनाया है। फैसले में कहा गया है कि महिला और उसके दूसरे पति को एकसाथ जेल नहीं भेजा जाएगा। सजा के तौर पर पहले महिला का दूसरा पति छह महीने जेल की सजा काटेगा, जेल में रहेगा। जब पति की सजा पूरी होगी इसके दो हफ्ते के भीतर ही महिला को पुलिस थाने में आत्मसमर्पण करना होगा।
दरअसल कोर्ट की ओर से यह फैसला इसलिए सुनाया गया है क्योंकि कपल का 6 साल का बेटा भी है। सुप्रीम कोर्ट की साझा बेंच ने कहा कि बच्चे की देखभाल सही तरीके से होती रहे। इसलिए ही पति और पत्नी दोनों को अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है।
हाईकोर्ट के आदेश को बेंच ने बदला
दरअसल याचिकाकर्चा महिला का पहला पति ने यह आरोप लगाया था कि पत्नी से उसका तलाक का मामला चल रहा था। लेकिन पत्नी ने उसके साथ तलाक होने से पहले ही दूसरी शादी भी कर ली। ऐसे में याचिकाकर्ता ने पत्नी और पत्नी के दूसरे पति के साथ पत्नी के माता-पिता यानी अपने सास ससुर के खिलाफ भी केस दर्ज कराया था। पहले पति का यह भी आरोप था कि पत्नी को उसके माता पिता ने ही दूसरी शादी के लिए उकसाया था।
ट्रायल कोर्ट ने महिला के माता-पिता को कर दिया था बरी
मामले की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में हुई थी। कोर्ट ने महिला के माता-पिता को इस मामले में बरी कर दिया था। लेकिन महिला और उसकी दूसरे पति को आईपीसी की धारा 494 के तहत 1-1 साल जेल की सजाई सुनाई थी और 2 हजार रुपए का जुमार्ना भी लगाया था। ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला के पहले पति ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई हुई और मद्रास हाईकोर्ट की ओर से महिला और उसके दूसरे पति को केवल अदालत उठने तक का कारावास और बीस हजार रुपए के अर्थ दंड की सजा ही सुनाई थी। ऐसे में महिला के पहले पति ने मद्रास उच्च न्यायालय के इस फैसले से नाखुश होकर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के इस फैसले को पलट दिया। इसके साथ ही महिला को उसके दूसरे पति सहित 6-6 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। साथ ही 20 हजार रुपए के अर्थ दंड को घटाकर 2 हजार रुपए कर दिया था।