लोकसभा का मौजूदा सत्र नीट परीक्षा की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। इसको लेकर सदन की कार्यवाही बाधित हो रही है। मंगलवार को भी जब कामकाज शुरू हुआ है। लेकिन विपक्ष के तेवर वैसे के वैसे ही बने हुए हैं। राहुल गांधी के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एनडीए सरकार और पीएम मोदी पर जोरदार हमला बोला।
अखिलेश यादव ने लोकसभा में बोलते हुए ने EVM को लेकर एनडीए सरकार पर बड़ा हमला बोला है। अखिलेश ने कहा उन्हें EVM पर कल भी भरोसा नहीं था और आज भी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर वे यूपी की 80 में से सभी 80 सीट भी जीत जाऊं तो भी EVM पर भरोसा नहीं होगा।
- राहुल के बाद अखिलेश ने बोला सदन में हमला
- कहा बनारस के लोग तलाश रहे हैं क्योटो
- गंगा जिस दिन होगा साफ बन जाएगा क्योटो
- मूलभूत जरुरतों के लिए समाधान जरुरी
अखिलेश ने कहा बनारस में लोग क्योटो की तलाश कर रहे हैं। अखिलेश ने कहा गंगा जिस दिन साफ होगा क्योटो बन जाएगा। इससे पहले राहुल गांधी ने भी जोरदार तरीके से अपनी बात सदन में रखी थी। बीते दिनों के कामकाज पर नजरें दौड़ायें तो संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण भी गौरतलब है। क्योंकि इसमें आमतौर पर आने वाले पांच वर्ष के लिए सरकार की नीतियों और योजनाओं को रेखांकित गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संयुक्त सभा में जो कुछ कहा वह कई लिहाज से अहम है। यह संबोधन तब आया जब नरेंद्र मोदी का बतौर पीएम तीसरा कार्यकाल शुरू कर रहे हैं लेकिन यह वह कार्यकाल है जिसमें एनडीए गठबंधन के साझेदारों की भूमिका बहुत अहम है। पिछले दो मौकों पर 2014 और 2019 की तरह इस बार भाजपा अपने दम पर बहुमत में नहीं है।
व्यापक सामाजिक-राजनीतिक बहस के अनुसार देखें तो यह अभिभाषण ऐसे समय हुआ है जब विपक्ष नीट परीक्षा और रोजगार खासकर युवा बेरोजगारी के अहम मुद्दे को हवा दे रहा है। घरेलू तथा विदेशी कारोबारियों का निवेश कमजोर नजर है। ऐसे में इस भाषण से उम्मीद की जा रही थी कि इसमें जो बातें की जाएंगी वह नीतिगत दिशा को लेकर अहम होंगी। अभिभाषण में सरकार के पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बात की गई। इस बात पर जोर दिया गया कि कैसे भारत 10 साल पहले की दुनिया की 11वीं बड़ी अर्थव्यवस्था था जो अब उठकर पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन चुका है। इस समय हमारा देश दुनिया की सबसे तेज विकसित होती अर्थव्यवस्था वाला देश है। इन परिस्थतियों का श्रेय ‘रिफॉर्म, परफॉर्म ऐंड ट्रांसफॉर्म’ को दिया गया। आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर क्रोविड के बाद 2021 से 2024 के बीच वृद्धि का दायरा सालाना 8 फीसदी रहने की बात को रेखांकित किया गया।
राजनीतिक दृष्टि से अभिभाषण में सभी विषयों को छुआ
यानि राष्ट्रपति के अभिभाषण में राजनीतिक नजरिये से भी सभी जरूरी विषयों और मुद्दों को छुआ गया। सरकार के गरीबी निवारण पर ध्यान केंद्रित करने, पर्यावरण के अनुकूल अर्थव्यवस्था, किसानों और महिलाओं के सशकीकरण आदि विषयों को रेखांकित किया गया। उन विषयों का भी उल्लेख किया गया जिनका अतीत में काफी विरोध हुआ है। उदाहरणार्थ सरकार ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत नागरिकता प्रदान करने का जिक्र किया तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का चुनाव में खरा उतरने तथा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की बातें हुई। आपातकाल का जिक्र भी उभरा। बड़ी और दिलचस्प बात यह है मानी जा सकती है कि अभिभाषण में नीट परीक्षा संबंधी संस्थाओं में बड़े स्तर पर बदलाव के बाद से भी पीछे नहीं हटा गया है।
बजट के लिए बचा कर रखी गई क्षमता
अभिभाषण में इस बात के संकेत हैं कि सरकार आगामी आम बजट के लिए अपनी क्षमताएं बचाकर रुख रही है। साफ बताया गया कि कैसे आगामी बजट सरकारी दूरगामी और भविष्यदर्शी नीतियों और दृष्टिकोण का एक प्रभावी दस्तावेज होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि बजट सुधारों की गति को तेज करेगा और ऐसा देश के लोगों की तेज विकास की आकांक्षा के अनुसार ही होगा। लोक सभा के मौजूदा स्वरूप में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जोरदार बहस की उम्मीद है, विपक्ष के पास भी मौका है कि वह रचनात्मक रूप से सरकार की कमियों को सामने रखें और देशहित में व्यापक चर्चा के बाद एक ठोस कार्ययोजना को बनवाए।