राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा प्रभु श्री राम सबके साथ न्याय करते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों को ही देख लीजिए। जिन्होंने राम की भक्ति की थी, लेकिन उनमें धीरे-धीरे अहंकार आ गया था। उस पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी घोषित कर दी और जो राम के विरोधी थे वो दूसरे नंबर पर रह गये।
- संघ और बीजेपी के बीच क्या बढ़ रही है दूरियां…!
- रामरथ अयोध्या यात्रा दर्शन पूजन समारोह में बोले इंद्रेश
- कहा- प्रभु श्री राम सबके साथ न्याय करते हैं
- जिन्होंने राम की भक्ति की थी, लेकिन उनमें धीरे-धीरे अहंकार आ गया
- जो अहंकारी बन गए थे उन्हें राम ने 241 पर रोक दिया
- जो राम विरोधी हैं उन्हें 234 पर रोक दिया
- यह प्रभु श्री राम का का न्याय है
- RSS की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं इंद्रेश कुमार
लोकसभा चुनाव के नतीजे को लेकर बीजेपी में अंदरुनी तौर पर घमासान थम नहीं रहा है। इस बीच संघ नेता इंद्रेश कुमार का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने भाजपा को आईना दिखाते हुए कहा कि जिस पार्टी ने राम की भक्ति की। लेकिन अहंकारी हो गए। इसलिए भगवान राम ने उस पार्टी को 241 पर रोक दिया। इंद्रेश कुमार ने कहा कि चुनाव में वे सबसे बड़ी पार्टी तो बने लेकिन बहुमत हासिल नहीं कर सके। वहीं राम का विरोध करने वाले सत्ता से दूर है। सब एकजुट हुए लेकिन नंबर दो ही रह गए। इंद्रेश कुमार का कहना है यह ईश्वर का सच्चा न्याय है।
भगवान ने अहंकार के कारण रोक ली बहुमत शक्ति
बता दें RSS नेता इंद्रेश कुमार राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास कानोता में आयोजित रामरथ अयोध्या यात्रा दर्शन पूजन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान इंद्रेश कुमार ने कहा कि अभी 2024 में राम राज्य का विधान देखिए। लोकतंत्र की परंपरा कैसी है। जिसने राम की भक्ति की थी पर धीरे-धीरे उसमें अहंकार आ गया। श्री राम उसे पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी घोषित कर दिया लेकिन उस पार्टी को जो बहुमत शक्ति मिलना चाहिए थी वह भगवान ने अहंकार के कारण रोक ली। जिन्होंने राम का विरोध किया उनमें से किसी को भी शक्ति नहीं मिली। नंबर एक से नंबर दो पर खड़ा कर दिया। यह प्रभु का न्याय सच्चा है और आनंददायक है।
परिणाम के बाद संघ प्रमुख ने भी की थी तल्ख टिप्पणी
दरअसल इस बार लोकसभा चुनाव में यूपी, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में बीजेपी की बड़ी हार हुई है। पिछली बार इन राज्यों ने बीजेपी का भरपूर समर्थन दिया था। जिससे उसे अपने दम पर बहुमत मिल गया था। लेकिन इस बार इन राज्यों में हार के चलते बीजेपी 2019 की तुलना में 2024 के चुनाव में बहुमत के लिए जरुरी 272 सीटों से पीछे रह गई। बहुमत का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी। जिससे अब उसे एनडीए के घटक दलों पर निर्भर रहना होगा। यह पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौती होगी। दूसरी और संघ से संबंधों को लेकर भी समस्या हो सकती है। हाल ही में दोनों के बीच तनाव बड़ा है। जिसके चलते संघ ने बीजेपी के लिए हर बार जितने उत्साह से चुनाव में काम किया वह इस बार नहीं किया। यह भी कई राज्यों में पार्टी को निराशा जनक प्रदर्शन का एक बड़ा कारण बना। सबसे पहले इसे उजागर करने वाले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा थे। नड्डा ने कहा था कि भाजपा को अब संघ की जरूरत नहीं। चुनाव प्रचार के बीच यह धमाका नड्डा ने किया था। जिससे उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बड़ा झटका लगा जो संघ को अपना मार्गदर्शक मान कर काम कर रहे थे।
चुनाव के बाद संघ प्रमुख डॉक्टर मोहन भागवत की पहली टिप्पणी ने भी पुष्टि कर दिया कि भाजपा संघ के संबंधों में तनाव आ गए हैं। भागवत ने अहंकार को लोक सेवक के लिए अनुचित बताया और कटु चुनाव प्रचार के दौरान शिष्टाचार की कमी पर भी दुख जताया। साथ ही उन्होंने संसद चलाने के लिए आम सहमति की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
दरअसल संघ की विचारधारा थोड़ी अलग है। उसे पर्सनालिटी कल्ट की शैली जरा भी पसंद नहीं आती। अटल और आडवाणी ने भी इस शैली को नहीं अपनाया था। उन्होंने राज्य के नेताओं को पोषित किया और राजनीति में आगे बढ़ाया था। वास्तव में नरेंद्र मोदी भी ऐसे ही एक क्षेत्रीय नेता थे। अटल और आडवाणी ने अपने उत्तर अधिकारियों को तैयार करके गए थे। बीजेपी और संघ के कार्यकर्ता इसी मॉडल को लेकर काम करने के आदी हैं। उनके लिए कांग्रेस जैसी दिखने वाली बीजेपी में काम करना थोड़ा मुश्किल हो रहा है। ऐसे में अगले चार महीने के भीतर तीन महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव होना है। झारखंड और हरियाणा शामिल हैं। फिर 2025 में दो और दूसरे राज्यों में चुनाव होना है। जिसमें बिहार और दिल्ली शामिल हैं। आगे की चुनौतियों से निपटने के लिए बीजेपी को जल्द ही अपने कार्य प्रणाली में सुधार लाना होगा।