राजस्थान में 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के घोषित उम्मीदवारों की पहली सूची में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कई करीबियों को टिकट नहीं मिला। राजस्थान राज्य इकाई में अभूतपूर्व बगावत की आशंका पैदा हो गई। ऐसे में जब दूसरी सूची आई तो उसमें न केवल नरपत सिंह राजवी का नाम शामिल था ।
- राजस्थान में 25 नवंबर को होगा मतदान
- बीजेपी के उम्मीदवारों का बढ़ रहा विरोध
- पहली सूची में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का नाम
- राजे के कई करीबियों को नहीं मिला टिकट
- राजस्थान में अभूतपूर्व बगावत की आशंका
नरपत की सीट राजकुमारी दीया कुमारी के हवाले
पहली सूची में नरपत की सीट बीजेपी ने राजसमुंद से सांसद राजकुमारी दीया कुमारी को दे दिया था। अब वसुंधरा राजे खुद झालरापाटन से चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर वे 2003 से जीतती आ रही हैं। जैसे ही झालरापाटन से वसुंधरा राजे के टिकट का ऐलान हुआ, उन्हें बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार के तौर पर गिना जाने लगा है। दरअसल राजस्थान की सियासत में वसुंधरा का कद ही ऐसा है। वे दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। काफी समय से उन्हें साइडलाइन माना जा रहा था लेकिन बीजेपी की ओर से अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ गया। इसकी बड़ी वजह यह है कि पार्टी को उनका वोटर कनेक्ट चाहिए था। यह उनका मतदाताओं से घनिष्ठ नाता है। ऐसे में बीजेपी को यह स्वीकार करना पड़ा कि कांटे के मुकाबले में वसुंधरा को अलग-थलग करना पार्टी के लिए बहुत महंगा पड़ सकता है।
बीजेपी को बदलना पड़ रहा रणनीति
राजस्थान की सियासत में वसुंधरा का कद ही ऐसा है। वह दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। काफी समय से उन्हें साइडलाइन माना जा रहा था लेकिन बीजेपी को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि राजस्थान में दोनों ही पार्टियों में टिकट न मिलने से कार्यकर्ताओं ने नाराजगी देखने को मिल रही है। कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने अपनी अपनी पार्टियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बीजेपी को 24 और कांग्रेस को करीब 15 सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। मनाने के प्रयास जारी हैं लेकिन बागी अडिग है। बागी पीछे हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में दोनों ही दलों की डैमेज कंट्रोल की कोशिशें फेल नजर आ रही है। बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी की अध्यक्षता में असंतुष्ट नाराज नेताओं को मनाने के लिए समिति गठित की है। समिति को फिलहाल नाराज नेताओं में मनाने में अब तक विफल ही रही है। वहीं पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की माने तो बीजेपी एक बड़ा और विशाल परिवार है। पार्टी में सामूहिकता से निर्णय़ लिसे जाते हैं। उन्होंने टिकट वितरण के दौरान जो नाराजगी मिली है उसे मिलजुलकर सुलझा लेंगे।
कांग्रेस में दूसरी सूची के बाद कलह
कांग्रेस में दूसरी सूची में जारी उम्मीदवारों का विरोध शुरू हो गया है। सचिन पायलट के समर्थक मंत्री मुरारी लाल मीना के खिलाफ कांग्रेस के बागी राधेश्याम नांगल ने मोर्चो खोल दिया है। टिकट नहीं मिलने से नाराज राधेश्याम ने निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वहीं दौसा जिले की महुआ सीट से निर्दलीय विधायक ओपी हुडला को टिकट देने पर कांग्रेस का कार्यकर्ता नाराज हो गए है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बैठक में हुडला के खिलाफ नाराजगी जताई। वहीं पूर्व प्रत्याशी अजय बोहरा के साथ पूर्व जिला प्रमुख अजीत सिंह ने पार्टी आलाकमान को चेतावनी दी है।
बीजेपी में थम नहीं रहा विरोध
बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के गृह जिले चित्तौड़गढ़ में विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी है। निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। बीजेपी ने यहां से नरपत सिंह राजवी को टिकट दिया है। जबकि बस्सी में बीजेपी प्रत्याशी और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी चंद्रमोहन मीणा का विरोध हो रही है। वसुंधरा राजे के करीबी जितेंद्र मीणा ने समर्थकों के साथ मीटिंग कर ही निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। जबकि बूंदी में बीजेपी प्रत्याशी अशोक डोगरा का विरोध शुरू हो गया है। टिकट मिलने के विरोध में बीजेपी कार्यकर्ताओें ने नारेबाजी और विरोध-प्रदर्शन किया। नीमकाथाना में टिकट के दावेदार रघुवीर सिंह तंवर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। वहीं छबड़ा से सातवीं बार बीजेपी प्रत्याशी बनाए गए प्रताप सिंह सिंघवी के खिलाफ भी कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल दिया है।