मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का एलान होने के साथ् ही सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दल एक-एक विधानसभा सीट पर तैयारियों में जुटे हैं। प्रचार के लिए नेता सड़क और गलियों में दिखाई देने लगे रहे हैं। हम बात कर रहे हैं निमाड़ क्षेत्र में आने वाली हरसूद विधानसभा सीट की। यह बीजेपी का गढ़ मानी जाती है क्योंकि यहां बीजेपी पिछले 33 सालों से जीत हासिल करती आ रही है। यहां पर आदिवासी गोंड और कोरकू समाज के वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं। फिलहाल यहां भाजपा के कुंवर विजय शाह विधायक हैं। जीएफएक्स के जरिए हम बता अब तक कौन कौन यहां से विधायक रहे। इसके साथ जान सकेंगे यहां के विजेता और कौन रहा।
2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम
- 2018-हरसूद में कुल 52 प्रतिशत वोटिंग हुई
- बीजेपी के विजय शाह रहे विजेता,80556 वोट मिले
- सुखराम साल्वे कांग्रेस दूसरे स्थान पर रहे
- कांग्रेस के साल्वे को 61,607 वोट मिले
- बीएसपी से विजय सिंह चौथे स्थान पर रहे
- 18,949 वोट से जीते थे विजय शाह
हरसूद सीट का राजनीतिक इतिहास
- खंडवा जिले में आती हरसूद विधानसभा सीट
- बीजेपी का मजबूत किला है हरसूद सीट
- 1993 से 2018 तक विधायक रहे विजय शाह
- 1985 में कांग्रेस को मिली आखिरी बार जीत
- 1977 में अजजा के लिए हुई रिजर्व घोषित
- 2018 में 7वीं बार विधायक चुने गए विजय शाह
- हरसूद में अजेय हैं विजय शाह
- 1985 के बाद से हरसूद में नहीं जीती कांग्रेस
- पिछले 14 चुनावों में 8 बार बीजेपी जीती
- 3-3 बार कांग्रेस और स्वतंत्र पार्टी रही हरसूद में विजय
हरसूद का क्या है जातीय गणित?
- आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट है हरसूद
- आदिवासी गोंड और कोरकू मतदाता सबसे ज्यादा
- यहां कुछ सामान्य वर्ग के वोटर्स भी हैं
- चुनाव में हावी रहते हैं जातिगत मुद्दे
- कोरकू,ब्राह्मण,राजपूत और यादव
- बंजारा और मुस्लिम मतदाता भी हैं
- हरसूद सीट का जातिगत समीकरण
हरसूद विधानसभा सीट की खास बात यह है कि इस चुनाव क्षेत्र में पहले विकास के मुद्दों पर जमकर बहस होती थी। लेकिन चुनाव आते-आते इस सीट पर जातिगत मुद्दे काफी हावी होने लगते हैं। हरसूद की विधानसभा सीट एक आरक्षिक विधानसभा सीट है। यहां पर आदिवासी गोंड और कोरकू समाज के मतदाता सबसे ज्यादा है। हालांकि यहां कुछ सामान्य वर्ग के मतदाता भी हैं।
हरसूद के क्षेत्रीय मुद्दे?
- हरसूद में क्या हैं जनता के मुद्दे
- अबकी बार किसका होगा हरसूद?
- हरदूस विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे
- विस्थापन से लगातार जूझ रहे हैं यहां लोग
- 2011 में एनबीडीए ने दिखाया था रहवासियों को सपना
- न्यू चंडीगढ़ की तरह बसाने का सपना अधूरा
- आज भी लोग करते हैं अपने डूबे घर का जिक्र
- कई लोगों के पास नहीं है रहने का स्थाई ठिकाना
- शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में पिछड़ा है हरसूद
- पिछले कई साल से जीतती आ रही है बीजेपी
- विकास, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य बड़ा मुद्दा
- व्यापारिक और रोजगार की स्थिति
1977 से 2018 तक का चुनावी इतिहास
- 2018 विजय शाह BJP विजेता 80,556 वोट मिले
- 2018 सुखराम साल्वे कांग्रेस 61,607 वोट मिले
- 2013 कुंवर विजय शाह बीजेपी विजेता 73,880 वोट मिले
- 2013 सूरजभानू सोलंकी कांग्रेस दूसरे स्थान पर रहे
- 2008 कुंवर विजय शाह बीजेपी विजेता 56,401 वोट मिले
- 2008 प्रेमलता क़स्दे कांग्रेस दूसरे स्थान पर रहे
- 2003 पारस जैन बीजेपी विजेता 50,595 वोट मिले
- 2003 प्रेमलता क़स्दे कांग्रेस दूसरे स्थान पर रहे
- 1998 योगेश्वर राज सिंह कांग्रेस विजेता 52,950 वोट मिले
- 1998 डॉ.रमन सिंह बीजेपी दूसरे स्थान पर रहे
- 1993 डॉ.रमन सिंह बीजेपी विजेता 29,430 वोट मिले
- 1993 शशि प्रभा देवी कांग्रेस दूसरे स्थान पर रहे
- 1990 डॉ.रमन सिंह बीजेपी विजेता 31,366 वोट मिले
- 1990 जगदीश सिंह कांग्रेस दूसरे स्थान पर रहे
- 1985 आश्रम पेटू पटेल कांग्रेस विजेता 15,694 वोअ मिले
- 1985 बाबूलाल गुंगा पटेल बीजेपी दूसरे स्थान पर रहे
- 1980 मोतीलाल मानंग बीजेपी विजेता 12,988 वोट मिले
- 1980 मंगल सिंह कोर्कू गुलारी कांग्रेस दूसरे स्थान पर रहे
- 1977 सूरज माल बलू जेएनपी विजेता 16,593 वोट मिले
- 1977 मंगल सिंह मोतीराम कोर्कू कांग्रेस दूसरे स्थान पर रहे