मध्य प्रदेश के विंध्य और महाकौशल इलाके को लेकर कांग्रेस सक्रिय हो गई है। दरअसल यहां इस बार आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता चुनावी रैली करने जा रहे हैं। उनकी नजर महाकौशल की 38 और विंध्य की 30 सीटों पर है। ऐसे में कांग्रेस महाकौशल का अपना किला बचाने तो विंध्य में बीजेपी का किले पर कब्जा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। सिंगरौली से महापौर का चुनाव जीतने के बाद आप को विंध्य इलाके में अपने लिए अच्छी संभावना नजर आ रही है। इसी वजह से वह लगातार विंध्य और उससे लगे महाकौशल इलाके में फोकस कर रही है। ऐसे में कांग्रेस पूरी ताकत झोंक दी है। राहुल गांधी के बाद अब प्रियंका गांधी यहां महाकौशल के मंडला में रैली करने आ रही हैं। क्या है महाकौशल की 38 सीटों का सियासी समीकरण आइये जानते हैं।
महाकौशल क्षेत्र का सियासी समीकरण
- 2018 के चुनावों में कांग्रेस का महा-कौशल
- छिंदवाड़ा जिले की सभी सीटों पर कांग्रेस जीती
- जबलपुर की आठ में से 4-4 सीटें दोनों को मिली
- 2013 में जबलपुर में बीजेपी 6 और कांग्रेस 2 सीट
- स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी मिली हार
- महाकौशल क्षेत्र की तीनों सीट बीजेपी हारी थी
- 18 साल बाद जबलपुर में कांग्रेस मेयर का चुनाव जीता
एमपी में विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। यहां एक चरण में 230 सीटों पर 17 नवंबर को वोटिंग होगी। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां एक एक सीट पर अलग अलग रणनीति बनाकर काम कर रही हैं। हम बात कर रहे हैं महाकौशल क्षेत्र की। महाकौशल के चुनावी नतीजे हमेशा चौकाने वाले रहे हैं। 2018 के चुनाव में बीजेपी को महाकौशल इलाके से निराशा का सामना करना पड़ा था। इसकी बड़ी वजह आदिवासियों वर्ग की नाराजगी मानी गई थी। इस बार क्षेत्र की 38 सीटों पर किसकी फतह होगी। सत्ता की तिजोरी किसे मिलेगी ये 3 दिसंबर को स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन इससे पहले जानते हैं इलाके का चुनावी समीकरण।
इन पांच अलग अलग चाबियों से खुलता है सत्ता का ताला
मध्य प्रदेश में सत्ता की चाबी पांच इलाकों में बंटी है। यानी सत्ता का ताला खालने के लिए सभी पांच चाबी का होना जरुरी है। मध्यप्रदेश को भौगोलिक रूप से महाकौशल, ग्वालियर-चंबल, मध्य भारत, निमाड़-मालवा, विंध्य और बुंदेलखंड इलाकों में बांटा गया है। इन इलाकों में जातीय और सामाजिक समीकरण अलग-अलग हैं। दोनों दलों के क्षत्रपों का प्रभाव भी है। 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पेश है महाकौशल इलाके का राजनीतिक विश्लेषण।
2013 महाकौशल की 38 सीटों पर दारोमदार
- 2023 के चुनाव में महाकौशल का महत्व
- 2018 में बीजेपी को मिली थी मात्र 13 सीट
- 2018 में कांग्रेस के खाते में गई थी 24 सीट
- एक सीट कांग्रेसी विचारधारा के उम्मीदवार ने जीती
- 2013 में बीजेपी 24 और कांग्रेस को 13 सीट मिली
- एक सीट पर निर्दलीय ने जीत का परचम लहराया
- महाकौशल का जातिय समीकरण
महाकौशल में 38 सीटों का महागणित
- महाकौशल के सहारे सत्ता की तलाश में बीजेपी कांग्रेस
- महाकोशल क्षेत्र में 38 विधानसभा सीट
- आदिवासी सीटों की संख्या-13
- जिलों की संख्या- 8
- जबलपुर,कटनी,डिंडौरी,मंडला
- नरसिंहपुर,बालाघाट,सिवनी,छिंदवाड़ा
2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम
कांग्रेस को मिली 24 सीटें
13 आदिवासी सीटों में कांग्रेस को 11 मिली
बीजेपी को मिली -13 सीट
बीजेपी को मिले आदिवासी सीट- 2
निर्दलीय – 1 सीट
2013 के विधानसभा चुनाव के परिणाम
बीजेपी को मिली- 24 सीट
कांग्रेसे को मिली- 13 सीट
निर्दलीय को मिली– 01 सीट
महाकौशल के चुनावी नतीजों ने हमेशा चौकाया
- 2018 में बीजेपी को महाकौशल से मिली निराशा
- बीजेपी को भारी पड़ी थी आदिवासियों की नाराजगी
- कमलनाथ को सीएम फेस बनाने का कांग्रेस को मिला लाभ
- कमलनाथ के गृह जिला है छिंदवाड़ा
- छिंदवाड़ा की सभी 7 सीट कांग्रेस ने जीती
- जबलपुर में कांग्रेस को 8 में से 4 सीट मिली
- क्या कांग्रेस दोहरायेगी 2018 का प्रदर्शन
- क्या इस चुनाव में बीजेपी को बड़ी सफलता मिलेगी?
- महाकौशल में कांग्रेस के सामने हैं कई चुनौतियां
- कांग्रेस के सामने 2018 का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती
- बीजेपी को प्रभाव बढ़ाने के लिए करना होगी मेहनत
- पूर्व सीएम कमलनाथ महाकौशल इलाके से आते हैं
- महाकौशल के नतीजे तय करेंगे किसे मिलेगी सत्ता
- किसे मिलेगी सत्ता संग्राम में अगली सरकार की चाबी
2013 महाकौशल के चुनावी मुद्दे
- बीजेपी कर रही सत्ता विरोधी लहर का सामना
- 2013 के प्रदर्शन को दोहराने के लिए करना होगी मेहनत
- बीजेपी से आदिवासी वोट बैंक छिटका है
- चरम पर महंगाई, बेरोजगारी और कर्मचारियों की नाराजगी
- नए वोटर की तलाश में सक्रिय है बीजेपी
- बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही कर रही मेहनत