चंद्रयान-2 की असफलता का अफसोस या कोरोना संक्रमण काल, देश के वैज्ञानिकों का हौसला और दिन-रात की कड़ी मेहनत का ही ये परिणाम है कि भारत ने एक बार फिर चांद पर तिरंगा फहरा दिया है।
चंद्रयान 3 की सफलता ने देश का मस्तक गर्व से उंजा कर दिया है। भारत विश्व में ऐसा पहला देश बन गया है जो चंद्रमा के दक्षिणी धुव्र पर पहुंचने में कामयाब रहा। इसरो के वैज्ञानिकों की टीम के साथ इंजीनियरों और तकनीशियनों ने चंद्रयान-3 मिशन को सफल बनाने में दिन-रात काम किया। उनकी जिंदगी चंद्रयान 3 मिशन के इर्द-गिर्द ही घूमती रही। मिशन चंद्रयान 3 की टीम में मध्यप्रदेश की धरती से भी कुछ प्रतिभाशाली चेहरे शामिल हैं। आइए जानते हैं इस महत्वपूर्ण मून मिशन के मध्यप्रदेश से जुड़े प्रमुख चेहरे कौन-कौन से हैं।
- चंद्रयान 3 की टीम में मध्यप्रदेश के भी वैज्ञानिक शामिल
- मून मिशन से जुड़े हैं मध्यप्रदेश के युवा वैज्ञानिक
- हरदा की श्रीमती स्मिता देव
- भोपाल के सचिन कुमार और नितिन भारद्वाज
- नेविगेटर के रुप में जुडे बालाघाट के प्रमोद सोनी
- इसरो में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं प्रमोद सोनी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की ओर से चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के पीछे मध्यप्रदेश के भी प्रतिभाशाली युवाओं का योगदान है। चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 की इसरो की टीम में हरदा की बेटी स्मिता देव का भी योगदान रहा है। पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राध्यापक रहे स्वर्गीय देव सर की बेटी श्रीमती स्मिता देव इस टीम का हिस्सा हैं। यह हरदा ही नहीं पूरे प्रदेश के लिए हर्ष और गर्व की बात है।
भोपाल के सचिन कुमार और नितिन भारद्वाज
भोपाल के दो युवाओं को हम कैसे भूल सकते हैं जिनका इस मिशन में अहम योगदान रहा है। इसरो के मिशन चंद्रयान-3 के क्रियान्वयन में उन्होंने महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया। जिनके नाम अरेरा कॉलोनी के नितिन भारद्वाज और अध्योध्या नगर क्षेत्र में रहने वाले सचिन कुमार मालवीय हैं। नितिन ने चंद्रयान-3 की क्रियान्वयन टीम के सदस्य के रूप में अपनी उपयोगिता को साबित किया।
बालाघाट के प्रमोद सोनी थे नेविगेटर
इसरो के महान वैज्ञानिकों की टीम ने जिस चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद तक पहुंचाकर इतिहास रचा है। उसमें बालाघाट के वैज्ञानिक प्रमोद सोनी का भी समर्पण अहम है। बालाघाट में पले-बढ़े प्रमोद सोनी चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग में नेविगेटर यानी मार्गदर्शक की भूमिका में थे। प्रमोद सोनी ने 12वीं तक की पढ़ाई बालाघाट जिले के कटंगी तहसील से ही पूरी की थी। उनके पिता नीलकंठ सोनी पीडब्ल्यूडी से एसडीओ के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। फिलहाल उनका परिवार सिवनी में निवास कर रहा है। बता दें चंद्रयान-3 की सफलता में प्रमोद सोनी और उनकी लाइट डायनामिक टीम की भी अहम भूमिका रही है। प्रमोद सोनी के परिचित बताते हैं कि वे इसरो में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर पदस्थ हैं। उनकी टीम का काम चंद्रयान-3 की दिशा की जानकारी देना था।