उच्च-शिक्षा में देश के प्रतिष्ठित तकनीकी शिक्षण संस्थानों में शुमार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) का जल्द ही तंजानिया में पहला ‘विदेशी कैंपस’ खुल सकता है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर अगले सप्ताह अफ्रीकी महाद्वीप के इस देश की यात्रा करेंगे। उस दौरान वह इस संबंध में जरूरी घोषणा कर सकते हैं। इसके अलावा जयशंकर की यात्रा में दोनों देशों के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे। सूत्रों ने बताया कि तंजानिया में आईआईटी संस्थान की स्थापना को लेकर दोनों देशों के बीच व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया जा चुका है। ये एक प्रकार से अफ्रीकी महाद्वीप में विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करने को लेकर भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। यहां बता दें कि शिक्षा के मामले में अफ्रीकी छात्रों के लिए भारत एक पसंदीदा देश है। यहां के कई विश्वविद्यालयों में अफ्रीकी महाद्वीप के कई छात्र शिक्षा ले रहे हैं।
शिक्षा क्षेत्र में तंजानिया को मिलेगी मदद
गौरतलब है कि तंजानिया भारतीय छात्रवृत्तियों और शिक्षा संबंधी सहायता के मामले में सबसे बड़ा लाभार्थी है। वर्तमान में तंजानिया के कई छात्र भारत में पढ़ते हैं। इनमें से कई स्वयं वित्त पोषित हैं। आईआईटी का कैंपस खुलने से न केवल वहां के स्थानीय छात्रों को बढ़ी हुई शैक्षणिक सुविधाएं प्रदान करने में मदद मिलेगी। बल्कि यह कैंपस पूर्वी अफ्रीका के इस देश के समूचे विकास में भी योगदान करेगा।
कैंपस नवाचार को मिलेगा बढ़ावा
सूत्रों ने बताया कि आईआईटी का यह कैंपस प्रतिभाओं के विकास, नवाचार को बढ़ावा देने के साथ ही तंजानिया की तकनीकी मजबूती में भी मददगार साबित होगा। दोनों देश कई क्षेत्रों में अपने आपसी संबंधों को मजबूत बना रहे हैं। इसमें रक्षा सहयोग मुख्य रूप से शामिल है। हाल ही में भारत और तंजानिया के बीच संयुक्त रक्षा सहयोग समिति की एक बैठक हुई थी। जिसमें पंचवर्षीय रक्षा सहयोग को लेकर एक रोडमैप तैयार किया गया है। इस रोडमैप में समुद्री सहयोग, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, रक्षा उपकरण और तकनीक का संयुक्त विकास शामिल है।
अफ्रीकी देशों का बड़ा मददगार भारत
गौरतलब है कि इस वर्ष अप्रैल महीने में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने युगांडा (जिंजा) में पहले नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) का कैंपस खोलने की घोषणा की है। एनएफएसयू का कैंपस खोलने के पीछे पिछले साल 2022 में युगांडा के राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को की गई अपील का मुख्य योगदान है। जिसके बाद इस संबंध में भारत द्वारा त्वरित गति से कार्रवाई की गई है।