भाजपा हाईकमान ने बीते दो दिनों तक घंटों बैठक कर पार्टी के राष्ट्रीय संगठन में कई अहम पदों पर बदलाव पर मंथन किया। सूत्रों के अनुसार इस साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं वहां के सियासी हालात पर भी चर्चा हुई साथ ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों की राजनैतिक गतिविधियों पर भी बैठक में आंकलन किया गया। बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह तथा संगठन महासचिव बीएल संतोष के अलावा कुछ अन्य पार्टी पदाधिकारी भी मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय के आवासीय परिसर में हुई इस बैठक में कर्नाटक चुनाव नतीजे के बाद दक्षिण भारत में गठबंधन के लिए मजबूत साथी तलाशने पर भी चर्चा हुई। सूत्रों का दावा है कि इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए हैं जिसमें कुछ प्रदेश अध्यक्षों को बदलने की तैयारी है। साथ ही साथ कई प्रदेश के प्रभारियों को भी बदला जा सकता है। कई नेताओं को संगठन की जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है।
4 हजार विधानसभाओं में टिफिन बैठकें
पार्टी के केंद्रीय संगठन में लम्बे समय से जमे कुछ पदाधिकारियों की जगह तेजतर्रार युवा चेहरों को जगह देने पर भी चर्चा हुई ताकि चुनावों के मद्देनजर हमलावर होते जा रहे विपक्षी के आरोपों पर करारा जवाब दिया जा सके। 2024 का लोकसभा चुनाव पार्टी ने देशभर के 543 लोकसभा क्षेत्रों और लगभग 4000 विधानसभा क्षेत्रों में टिफिन बैठकों का आयोजन करने का फैसला किया है। पार्टी के सभी सांसद और विधायकों के अलावा भाजपा के चुनिंदा 250 नेताओं को टिफिन बैठक में शामिल किया जायेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना है।कुल मिलाकर यह बैठक लगभग 10 घंटे से भी ज्यादा समय तक चली है। इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों और संगठन के मुद्दों पर चर्चा हुई है। साथ ही साथ अगले लोकसभा चुनाव के लिए किस तरीके से अभी से ही तैयारी शुरू की जाए, इसको लेकर कि नेताओं के बीच चर्चा हुई है।
तीन राज्यों में कांग्रेस से सीधी टक्कर
मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ को लेकर गहराई से बैठक में चर्चा हुई। इन तीनों राज्यों में इस साल चुनाव होना है और यहां कांग्रेस से सीधी टक्कर है। कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद भाजपा नेतृत्व अब कोई कमी यहां नहीं छोड़ना चाहता है। इसके अलावा मोदी सरकार के 9 साल के कामकाज को लोगों तक कैसे पहुंचाया जाए, इस पर भी जोर देने की बात की गई है और जनसंपर्क अभियान में तेजी लाने पर भी फोकस किया गया है। बैठक में पार्टी के विस्तार के अलावा मिशन साउथ पर भी चर्चा हुई है। दक्षिण भारत में लगातार भाजपा अपने जनाधार को बढ़ाना चाहती है। लेकिन कहीं ना कहीं कर्नाटक चुनाव से बड़ा झटका लगा है। वही, गठबंधन को लेकर भी चर्चा हुई है। हाल के दिनों में उपेंद्र कुशवाहा, एकनाथ शिंदे और चंद्रबाबू नायडू जैसे बड़े नेताओं ने भाजपा नेताओं से मुलाकात की है।