देश के विभिन्न हिस्सों में पिछले कुछ दिनों लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। राजस्थान के बीकानेर में आज सुबह एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.2 दर्ज की गई। भूकंप के झटके तड़के 2.16 बजे महसूस किए गए और इसका अधिकेंद्र बीकानेर से 516 किमी पश्चिम में था। हालांकि अभी तक किसी तरह के जान माल के नुकसान की सूचना नहीं है। इससे आधे घंटे पहले अरुणाल प्रदेश के चांगलांग में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। हालांकि उसकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 3.5 मापी गई।
पहले भी लगे थे भूकंप के झटके
अभी बीते मंगलवार को भारत के कई राज्यों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.6 रही थी। मंगलवार रात आए भूकंप का असर दिल्ली एनसीआर, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सहित पूरे उत्तर भारत में महसूस किया गया था। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिंदू कुश क्षेत्र था। इस झटके के बाद लोग डर गए और घर से निकल गए।
आखिर बार-बार क्यों आ रहा भूकंप
भूकंप के लगातार झटके यह सोचने को विवश कर रहे हैं कि आखिर बार बार भूकंप क्यों आ रहा है। चूँकि हम बहुत ही स्थिर पृथ्वी पर रहने के आदी हैं। जब पृथ्वी काँपने लगती है तो मन डरे हुए कबूतर की तरह फड़फड़ाता है। फिर कई बार मन में यह सवाल आता है कि आखिर भूकंप क्यों आता है। कुछ जानते हैं और कुछ के पास अधूरी जानकारी है। इस वीडियो में सरल भाषा में समझें कि आखिर भूकंप कैसे आते हैं और उन्हें कैसे मापा जाता है।
कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता
भू वैज्ञानिक बताते हैं कि 0 से 2 रिक्टर स्केल वाला भूकंप का असर कम होता है। कोई झटका नहीं लगा है। सिस्मोग्राफ से ही पता लगाया जा सकता है। 2 से 2.9 रिक्टर स्केल, इस भूकंप से सामान्य झटका लगता है। बहुत कम प्रभाव है। 3 से 3.9 रिक्टर स्केल के इस भूकंप के आने पर पंखे और झूमर हिलने लगते हैं। इस तरह के झटके से चीजें बिखर जाती हैं। ऐसा लगता है जैसे कोई ट्रक आपके पास से गुजरा हो। 4 से 4.9 रिक्टर स्केल का भूकंप एक चेतावनी संकेत है। दीवारें दरक सकती हैं। कच्चे मकान गिर जाते हैं। विंडोज टूट सकती है। दीवारों पर लटकी वस्तुएं गिर सकती हैं। वहीं 5 से 5.9 रिक्टर स्केल के भूकंप को थोड़ा खतरनाक माना जाता है। इससे फर्नीचर अपनी जगह से हिलने लगता है। ज्यादा नुकसान हुआ है। फर्नीचर हिलाने से भी मामूली चोटें आती हैं। जबकि 6 से 6.9 रिक्टर स्केल की तीव्रता वाला भूकंप काफी खतरनाक माना जाता है। इन झटकों से कच्चे भवन अधिक गिरते हैं। ऐसे में जान माल का ज्यादा नुकसान होता है। इमारतों की ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है। इमारतों में दरार आ सकती है। यदि 7 से 7.9 रिक्टर स्केल वाला भूकंप है तो इमारतें गिर सकती हैं। भूमिगत पाइप फट गए। उससे कहीं ज्यादा तबाही इस भूकंप ने मचाई है। गुजरात में ऐसा भूकंप साल 2001 में भुज में आया था। और साल 2015 में नेपाल आया था। इस भूकंप ने तबाही मचाई थी। 8 से 8.9 रिक्टर स्केल के भूकंप से पूरी तबाही होती है। इमारतों के साथ पुल भी गिर जाते हैं। वहीं 9 और रिक्टर स्केल से ऊपर की तीव्रता वाले भूकंप पूरी तबाही मचा सकते हैं। यदि कोई खेत में खड़ा हो तो उसे धरती हिलती हुई दिखाई देती है। अगर आप समुद्र के पास हैं तो सुनामी आती है। रिक्टर पैमाने पर भूकंप किसी भी अन्य पैमाने की तुलना में 10 गुना ज्यादा खतरनाक होता है।