भोजशाला विवाद के बारे में तो खूब सुना होगा, लेकिन वाग्देवी की इस प्रतिमा के बारे में जानते हैं आप?

भोजपाठशाला में आज भी वाग्देवी का इंतज़ार

 

वाग्देवी प्रतिमा के बारे में आप सभी ने सुना होगा। हर बसंत पंचमी पर इस बात का जिक्र होता है कि वाग्देवी की प्रतिमा लंदन से कब वापस आएगी लेकिन इसका जवाब किसी के पास नहीं होता। क्या आप जानते है कि वाग्देवी की प्रतिमा का इंतजार आज भी राजा भोज की बनाई पाठशाला में भी किया जा रहा है। वाग्देवी मतलब कि-सरस्वती।  पुराने जमाने के इस सरस्वती सदन में हर बसंत पंचमी को वाग्देवी की पूजा होती है ।पूजा केवल कागज पर बने चित्र पर होती है। क्योंकि वाग्देवी की प्रतिमा 1902 में लंदन जा चुकी है। 1902 में भोपावर का पोलिटिकल ऐजेंट मेजर किनकेड अपने साथ लंदन लेकर गया था। तब से अभी तक भोजशाला वाग्देवी की प्रतिमा का इंतजार कर रही है।

धार के परमार वंश के राजा भोज साहित्य और संस्कृति के उपासक थे। उन्होंने ही धार में 1034 में भव्य पाठशाला का निर्माण करवाया।  उसमें  सरस्वती मतलब की वाग्देवी की एक प्रतिमा स्थापित की इस भवन को सरस्वती सदन  का नाम दिया गया। वाग्देवी के प्रतिमा भोजशाला के पास खुदाई में मिली। इसलिए इस सरस्वती सदन में इनका मंदिर बनाया । भोजशाला भारत के बड़े विश्वविद्यालयों में से एक था। यहां उन दिनों संस्कृत अध्ययन केंद्र भी था। इसके बाद मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इस दरगाह बना दिया।

सरस्वती प्रतिमा को वापस लाने के लिए सुब्रमण्यम स्वामी ने ब्रिटेन की अदालत में 2011 मे केस लगाया था। उनको उम्मीद थी कि वाग्देवी की प्रतिमा भारत वापस आ जाएगी। लेकिन अभी तक प्रतिमा का इंतजार है। आज भी हर बसंत पंचमी पर भोजशाला में सरस्वती पूजन होता है लेकिन भोजशाला को आज भी इंतजार है उस वाग्देवी की प्रतिमा का जिसकी रहा वो सालों से देख रही है।

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