भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी को लेकर लंबे समय से महिला पहलवान धरना प्रदर्शन कर रहे थे। दिल्ली के जंतर मंतर पर चला यह धरना फिलहाल रोक दिया गया है। ये निर्णय केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से पहलवानों की हुई चर्चा के बाद लिया गया है। इसके पहले लग रहा था कि यह धरना इतनी आसानी से खत्म होने वाला नहीं है,क्योंकि खाप पंचायतें और राजनैतिक संगठनों ने भी धरने का समर्थन किया और लगातार अल्टीमेटम देते रहे,सरकार को भी लगा कि समाधान निकलना चाहिए। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने पूरी सहानुभूति के साथ पहलवानों से चर्चा की और समधान का भरोसा दिलाया। इससे महिला पहलवान भी सहमत हो गए। उन्हे लग रहा था कि इतना लंबा प्रदर्शन पहलवानों के लिए ठीक नहीं है।
खेल मंत्री के सामने रखीं मांगे
केंद्रीय खेल मंत्री अनुरोग ठाकुर से महिला पहलवानों ने करीब 6 घंटे चर्चा की। ठाकुर ने भी पूरा समय दिया और उनकी हर एक बात को गंभीरता से सुना। पहलवानों ने मंत्री ठाकुर के समक्ष मुख्य रूप से पांच मांगे रखीं जिसमें पहली मांग थी कि यौन शोषण के आरोपी और सांसद बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार किया जाए,दूसरी मांग थी कि भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव हों और किसी महिला पहलवान को संघ का अध्यक्ष चुना जाए। इसके अलावा तीसरी मांग आंतरिक समिति बनाने की और चौथी मांग उनके खिलाफ सभी एफआईआर वापस ली जानी चाहिए। आखरी और पांचवी मांग उन्होंने ये भी रखी कि
सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर लगे सभी आरोपों की जांच पूरी करके 15 जून तक चार्जशीट दायर की जाए।
कई मांगों पर सहमति
खेल मंत्री और पहलवानों के बीच हुई चर्चा में कई मांगों पर सहमति बन गई है। अनुराग ठाकुर ने भरोसा दिलाया कि 15 जून तक चार्जसीट दायर कर दी जाएगी। साथ ही महिला पहलवानों ने भी कहा कि हम तब तक कोई धरना प्रदर्शन नहीं करेंगे। बता दें कि देश के शीर्ष पहलवान बीते 138 दिन से बृजभूषण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। 18 जनवरी को पहली बार रेसलर धरने पर बैठे थे और 23 अप्रैल को दूसरी बार धरना शुरू किया। इसके बाद मौसम की मार, पुलिस के साथ झड़प जैसे कई परिस्थितियों का सामना भी किया। इसके अलाव पहलवानों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया इसके बाद भी प्रदर्शन पर डटे रहे।
ये रही समाधान के पीछे की कहानी
दअसरल,बात ये है कि महिला पहलवान भी धरना देते देते थकने लगे थे। इसके अलावा जो जानकारी आ रही है उसके मुताबिक कुछ खाप पंचायतों ने जिस तरह से पहलवानों को भरोसा दिलाया था उस पर भी पूरी तरह से अमल करने में दिक्कतें आ रही थीं। बताया जा रहा है कि बड़े आंदोलन को लेकर सहमति नहीं बन पा रही थी। इसके बाद भी प्रदर्शन कमजोर होने लगा था। इस मांगों पर सहमति बनने के बाद कई खाप पंचायतें नाराज बताई जा रही है। इसी तरह सरकार भी नहीं चाहती थी कि देश के शीर्षस्थ पहलवान इस तरह सड़क पर प्रदर्शन करें। इसलिए कहा जा सकता है कि दोनो तरफ से मुश्किलें बढ़ रही थीं ऐसे में निराकरण ही एक रास्ता बचा था। दोनों तरफ से हुई पहल का परिणाम ये रहा कि अधिकांश मांगों पर सहमति बनी और धरना प्रदर्शन फिलहाल रोक दिया गया।