उत्तराखंड स्थित उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में ऑगर मशीन 2.2 मीटर चलने के बाद फिर थम गई। मशीन के आगे फिर कुछ अड़चन आ गई। जिसके चलते मशीन को रोकना पड़ा। बार-बार ऑगर मशीन को बाहर निकालने और अंदर भेजने में लगने वाले समय को देखते हुए अब आगे की ड्रिलिंग मैनुअल करने की तैयारी है। इस तरह आखिरी पाइप अब मैनुअल ही डालने की कोशिश की जा रही है। अब श्रमिकों तक पहुंचने के लिए करीब आठ मीटर की दूरी और रह गई है। पूरी उम्मीद यही है कि जल्द श्रमिकों को बाहर निकालने को लेकर खुशखबरी सामने आने की उम्मीद है।
- ऑगर मशीन के रास्ते में आया स्टील पाइप
- काटकर निकाला बाहर, अब भी 15 मीटर खुदाई बाकी
- टनल में ड्रिलिंग 30 घंटे से बंद
- अगले 5 मीटर तक नहीं आएगी कोई रुकावट
- सभी मजदूर 12 नवंबर से टनल में फंसे हैं
- उम्मीद की नई किरण
- मजदूरों को निकाल लाएंगे ऑगर मशीन ऑपरेटर
बीते बुधवार की शाम साढ़े छह बजे सिलक्यारा सुरंग में ऑगर मशीन ने काम करना बंद कर दिया था। इसके बाद बुधवार देर रात से लेकर गुरुवार और शुक्रवार दोपहर तक अड़चनों को दूर किया गया। तमाम दिक्कतों को दूर करते हुए ऑगर मशीन को 47 घंटे के इंतजार बाद शाम पांच बजे चालू किया गया।
पूरे देश को है मजदूरों के बाहर आने का इंतजार
बता दें उत्तरकाशी टनल में फंसे इन 41 मजदूरों के बाहर आने का इंतजार पूरा देश कर रहा है। हालांकि रेस्क्यू में लगातार दिक्कतें आ रहीं है। जिससे लोगों की सांस अटकी हुई हैं। कभी सरिया तो रेस्क्यू टीम के सामने कभी पत्थर उन तक पहुंचने में बाधा बन रहे हैं। एक दिन पहले ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ तो ऑगर मशीन के सामने रास्ते में स्टील का पाइप आ गया। ऐसे में पाइप मुड़ गया है। अब स्टील के पाइप और टनल में डाले जा रहे पाइप के मुड़े हुए भाग को बाहर निकाल लिया है। ऑगर मशीन को जो नुकसान हुआ था उसे भी ठीक कर लिया गया है। इस बीच मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवेज के एडिशनल सेक्रेट्री महमूद अहमद ने मीडिया को बताया कि करीब 46.8 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है। 15 मीटर की खुदाई अब भी शेष बची है। सुरंग में 6-6 मीटर के दो पाइप डालने के बाद ब्रेक थ्रू मिलने की उम्मीद है। ब्रेक थ्रू नहीं मिला तो तीसरा पाइप भी डाला जा सकता है।
अमेरिकी ऑगर मशीन को ऑपरेट
वहीं गोरखपुर के रहने वाले प्रवीण कुमार यादव अमेरिकी ऑगर मशीन को ऑपरेट कर रहे हैं। वे इस पूरे बचाव अभियान में जुटे हैं। प्रवीण कुमार यादव ने ही करीब 45 मीटर अंदर पाइप में जाकर सरिये के उस भाग और स्टील पाइप को काटा था जो ड्रिलिंग के दौरान दिक्कत कर रहा था। वे करीब 3 घंटे पाइप के अंदर ही रहे। जहां ऑक्सीजन की कमी थी और रिस्क भी अधिक थी, लेकिन 41 मजदूरों को बचाने के लिए रिस्क तो लेना ही पड़ेगा यह विचार कर प्रवीण काम में जुटे रहे। तकरीबन 8 से 10 मीटर पाइप को पुश करना बाकी है। 6 मीटर पाइप और पुश हो जाता है तो मिट्टी को आगे धकेलकर उसे मजदूरों तक पहुंचाया जा सकता है।