मणिपुर में हिंसा और महिलाओं के साथ हुए अत्याचार से पूरा देश शर्मसार है। ऐसी घटनाओं पर हर हाल में लगाम लगाने की जरूरत है। ये तभी संभव है जब इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा होगी। इसी के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बार बार विपक्षी दलों से चर्चा करने की कह रहे हैं। जबकि विपक्ष हंगामें पर ज्यादा भरोसा कर रहा है। भाजपा का यहां तक कहना है कि सिर्फ मणिपुर ही नहीं बल्कि राजस्थान,पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर भी चर्चा होना चाहिए।
राजस्थान दो दशकों से महिलाओं के अत्याचार में नंबर 1 है
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक बीते दो दशकों से राजस्थान महिलाओं पर अत्याचार के मामले में नंबर 1 पर है। राज्य की विधानसभा में सरकार ने भी स्वीकार किया है कि राजस्थान दुष्कर्म के मामले में टॉप पर है। इससे भी ज्यादा शर्मसार करने वाला राज्य के विधि मंत्री शांति धारवाल का वो बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि राजस्थान वैसे भी शुरु से ही मर्दो का प्रदेश रहा है। यहां आए दिन महिलाओं के साथ दुष्कर्म,हत्या जैसे मामले प्रकाश में आते रहे हैं। इसके बाद भी ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कोई पुख्ता कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
हाल में घटित घटनाएं चौंकाने वाली हैं
राजस्थान के सेडवा तहसील में हुई एक घटना ने पूरे देश को शर्मसार किया है। जहां जनजातीय समाज की एक महिला का निर्वस्त्र शव पाया गया है। आशंका है कि उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या की गई है। ऐसे मामले सोशल मीडिया और मीडिया में चर्चा का विषय बनते है,लेकिन महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाने का दावा करने वाले नेताओं की जुबान से ऐसी घटनाओं का जिक्र बहुत कम सुनने को मिलता है।
पश्चिम बंगाल भी पीछे नहीं है
महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में पश्चिम बंगाल भी कम नहीं है। यहां एनसीआरबी आंकड़ों के मुताबिक 2021 में 1123 मामले दुष्कर्म के आए हैं। राज्य दुष्कर्म के मामलों में टॉप टेन राज्यों में शामिल है। इसके अलावा महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने और उनके साथ होने वाली मारपीट के सैकड़ों मामले ऐसे हैं जिनका न तो वीडिया वायरल होता है और न ही रिपोर्ट दर्ज की जाती है। इन घटनाओं पर भाजपा का दावा है कि ऐसी लगभग हर रोज घटनाएं हो रहीं है लेकिन राज्य सरकार के कथित संरक्षण के चलते आरोपियों को सजा नहीं मिल पाती है।
गहलोत और ममता बनर्जी से सवाल क्यों नहीं
राजस्थान और पश्चिम बंगाल में जिस तरह से महिलाएं जुर्म,अत्याचार और दुष्कर्म का निरंतर शिकार हो रही है उसे राज्य के मुख्यमंत्रियों से सवाल क्यों नहीं पूछा जा रहा है। ऐसे ही सवालों पर चर्चा के लिए भाजपा के सांसदों ने संसद परिसर में धरना प्रदर्शन किया लेकिन मणिपुर हिंसा के हंगामें में दोनो ही राज्यों का दर्द दब गया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से ऐसे गंभीर मुद्दो पर कोई सवाल क्यों नहीं पूछता है।
मणिपुर हिंसा पर चर्चा से इसलिए भाग रहा है विपक्ष
मणिपुर हिंसा पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष संसद के दोनों सदनों में हंगामा कर रहा है। जिसके सदन की कार्यवाही नहीं चल पा रही है। जबकि सरकार कह रही है कि हम चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन विपक्ष कहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद के अंदर मणिपुर घटना पर बोलें। जबकि सदन के बाहर पीएम अपनी बात रख चुके हैं। इसके बाद भी विपक्ष सिर्फ और सिर्फ हंगामे पर भरोसा कर रहा है। इस मामले में भाजपा नेताओं का कहना है कि विपक्ष चर्चा से इसलिए भाग रहा है कि जब चर्चा होगी तो दूसरे राज्यों के मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है। विपक्ष का डर है कि कहीं राजस्थान और पश्चिम बंगाल में रहे महिलाओं पर अत्याचार का मामला उठा तो उनकी मुसीबतें बढ़ जाएंगी। शायद यही कारण है विपक्ष सदन के अंदर चर्चा करना नहीं चाहता।