महाराष्ट्र में बदलापुर बच्चियों के उत्पीडन मामले में उज्जवल निकंम सरकार की तरफ से केस लड़ रहे है। आइए हम आपको बताते है कि आखिर उज्जव निकुम कौन है जिनका नाम लगभग हर संवेदनशील केस में सरकारी वकील के तौर पर सामने आता है। उज्जवल निकंम तकरीबन 71 साल के है और इनके नाम हर वो केस आते है जिन्होंने देश को समाज को झकझोर के रख दिया। जिस केस के बारे में सुनकर आम आदमी के रोंगेट खड़े हो जाते है उन सभी मुकदमों में उज्जव निकंम ने पैरवी की है ।
1991 के कल्याण बम ब्लास्ट मामले से उजज्वल निकंम ने रविंदर सिंह को दोषी ठहराने में पैरवी की।
1993 में सीरियल ब्लास्ट मामले में उज्जवल निकंम सरकारी वकील रहे हैं।
चर्चित गुलशन कुमार हत्याकांड में भी उज्जवल निकंम ने केस लड़ा।
2006 में प्रमोद महाजन हत्याकांड में उजज्लव निकंम अभियोजक रहे।
26 नवंबर 2008 के आंतकी हमले के मुकदमे की पैरवी भी सरकार की तरफ से उज्जव निंकम ने की।
उस समय एकमात्र जिंदा पकड़ा गया आतंकी कसाब को निकंम की पैरवी पर फांसी की सजा सुनाई गई। कसाब को नवंबर 2012 में पुणे की यवरदा जेल में फांसी दी गई। अब उज्जल निकंम बदलापुर में दो बच्चियों के उत्पीडन मामले में सरकार की तरफ से पैरवी करेंगे। निकमं ने इस लोकसभा चुनावों में बीजेपी की तरफ से चुनाव भी लड़ा था लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी के हाथों उनको हार मिली। साल 2016 में निकंम को देश के चौथे पड़े सम्मान पद्म श्री भी मिल चुका है।