मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस बार विधानसभा चुनाव में असंतोष को संभालना बीजेपी कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए आसान नहीं है। कांग्रेस पार्टी की छत्तीसगढ़ इकाई ने इस बार विधासभा चुनाव में अपने 22 विधायकों के टिकट काट दिया है..इसके साथ ही सभी 90 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। जिन मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए हैं। उसमें के कई बागी हो गए है और वे चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्टी के सामने मुसीबत पैदा हो गई है कि आखिर वो बागियों से कैसे निपटेगी। बीजेपी को डर है बागियों की बगावत सत्ता हासिल करने का सपना कहीं चूर न कर दे। कांग्रेस को भय है यह असंतोष उसे सत्ता से दूर न कर दे।
बागियों की बगावत!
- बगावत में बागी…चुनावी तैयारी!
- टिकट कटे…मन हुए खट्टे!
- चुनाव की तैयारी…पार्टी के खिलाफ बागी!
- बगावत जबर्दस्त…पार्टी होगी पस्त!
- मान-मनौव्वल जारी…मत करो तैयारी!
- बिगड़ेगा खेल…रणनीति होगी फेल!
छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने 90 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है। 90 प्रत्याशियों में से कांग्रेस पार्टी ने 22 मौजूदा विधायकों की टिकट काट दी है। जिन 22 विधायकों की टिकट काटी गई है। उसमें रामानुंजगंज, मनेन्द्रगढ़, सामरी समेत करीब एक दर्जन से ज्यादा विधायक बागी तेवर के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है। कुछ विधायक चुनाव तो नही लड़ेंगे लेकिन पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के पक्ष में मैदान में उतरने के लिए भी तैयार नही है। ऐसी स्थिति में ये बागी कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकते हैं। हांलाकि पार्टी का कहना है कि पार्टी ने सोंच समझकर जीतने योग्य प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है। पार्टी का यह भी कहना है कि जिन विधायकों की टिकट काटी गई है पार्टी उनकी भूमिका भी तय करेगी।
कांग्रेस की लुटिया डुबाने के लिए काफी है-बीजेपी
बात केवल उन विधायकों की ही नही है जिनकी टिकट काट दी गई है। टिकट चाहने वाले ऐसे नेता जिन्हें टिकट नही मिली उनके समर्थक भी नाराज है। रायपुर, धरसीवां समेत पूरे प्रदेश में यह स्थिति है। इस सबके बीच बीजेपी कांग्रेस के उठे बगाबती सुर को लेकर चुटकी ले रही है। बीजेपी का कहना है कि अभी तो ट्रेलर है। कांग्रेस में बगाबत की पूरी पिक्चर अभी बाकी है। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस के बागी कांग्रेस की लुटिया डुबाने के लिए काफी है। हांलाकि बागी केवल कांग्रेस में ही हो ऐसा नही है। बीजेपी में भी जिन्हें टिकट नही मिला ऐसा नेता घर बैठने की तैयारी में है। यानी कुल मिलाकर दोनों ही प्रमुख पार्टियों के लिए असंतुष्ट और बागी परेशानी का सबब पैदा कर रहें है और दोनों ही पार्टियों के लिए बागियों से निपटना एक चुनौती की तरह हैं।