क्यों कहा शिवराज पाटिल ने ‘गीता में भी है जिहाद’
कृष्ण ने पढ़ाया था अर्जुन को जिहाद का पाठ!
कांग्रेस नेता पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने भगवत गीता को लेकर एक विवादित बयान दिया है। बयान अब सुर्खियों में आ गया है। विरोध के साथ पाटिल की जमकर आलोचना हुई। दरअसल किताब के विमोचन के दौरान शिवराज पाटिल ने कह दिया है कि जिहाद सिर्फ कुरान में नहीं है। बल्कि गीता में भी जिहाद है। जीजस में भी जिहाद है। अब शिवराज पाटिल का यह बयान कांग्रेस और उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है। इस एक बयान ने राजनीतिक गलियारों में बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है।
ऐसा क्या कहा शिवराज पाटिल ने
शिवराज पाटिल ने कहा है कि जिहाद सिर्फ कुरान में नहीं बल्कि गीता और जीसस में भी जिहाद है। जब स्वस्छ विचार तमाम कोशिशों के बाद भी कोई समझता नहीं। तब शक्ति का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाभारत में जो गीता का भाग है। उस मे भी जिहाद है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को जिहाद का पाठ पढ़ाया था। इतना ही नहीं शिवराज पाटिल यह भी कह रहे हैं कि ईसाइयों ने भी लिखा है कि वे सिर्फ शांति स्थापित करने के लिए नहीं आए हैं। बल्कि साथ में तलवारें भी लाए हैं। यानि कि अगर सबकुछ समझने के बावजूद भी कोई हथियार लेकर आ रहा है। आप भाग नहीं सकते हैं। बता दें कि शिवराज पाटिल मोहसिना किदवई की किताब का विमोचन करने दिल्ली आए थे। उनके मुताबिक मोहसिना की किताब में भी इन सभी बातों का विस्तार से जिक्र किया गया है।
कांग्रेस साफ करे किसके बयान अधिकारिक हैं
शिवराज पाटिल के विवादित बयान पर अब बीजेपी भड़क उठी है। बीजेपी महासचिव दुष्यंत गौतम ने शिवराज के बयान पर हमला बोलते हुए कांग्रेस को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहाए कांग्रेस के नेता अकसर इस तरह के बयान देते रहे हैं। दुष्यंत गौतम ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा ये तुष्टीकरण की राजनीति करते हैं। जवाहरलाल नेहरू किताब से लेकर अब तक किस तरह तरह के विवादित बयान इनकी तरफ से आए हैं ये सबने देखा है। उन्होंने कहाए शिवराज गीता में जिहाद की बात करते हैं। गीता सार में अर्जुन को श्रीकृष्ण ने सही राह दिखाकर उनकी दुविधा को दूर किया था। गीता सार में किसी तरह से जिहाद की बात नहीं है। दुष्यंत गौतम ने कहा कि कांग्रेस को साफ करना चाहिए कि किस नेता की राय अधिकारिक राय है। क्या राहुल गांधी और सोनिया गांधी की राय भी अधिकारिक है या नहीं उनके नेता विवादास्पद बयान देते हैं और बाद में कह देते हैं कि ये उनकी निजी राय है।