Caste Survey: मध्यप्रदेश सहित देश के 9 राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होना हैं। ऐसे में कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों के साथ भाजपा के अनुषांगिक संगठन आरएसएस ने भी तैयारी शुरु कर दी है। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ चुनावी राज्यों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर से सर्वे किया जा रहा है। जिसमें मंदिर मस्जिद के साथ जातियों का भी सर्वेक्षण किय जा रहा है। दरअसल संघ से जुड़े सूत्र बताते हैं कि चुनावी राज्यों में ये मुहिम व्यापक स्तर पर शुरू की गई है। इसके तहत आबादी का धार्मिक ही नहीं साक्षरता और आर्थिक प्रतिशत भी निकाला जा रहा है। गांवों में मौजूद जलाशय, मंदिर-मस्जिद, चर्च-गुरुद्वारा और मजारों के अलावा यह भी देखा जा रहा है कि मंदिर और श्मशान सभी जाति के लोगों के लिए खुले या नहीं, कहीं कोई सामाजिक बहिष्कार जैसे मामले तो सामने नहीं आ रहे हैं।
- आरएसएस करा रहा सर्वे
- स्वयं सेवक जुटा रहे जानकारी
- गिने जा रहे हैं गांव तालाब, मंदिर और मस्जिद
- जुटाई जा रही सामाजिक बहिष्कार की जानकारी
- साथ में कराया जा रहा जातियों का सर्वे
बता दें इस साल मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सहित 9 राज्यों में चुनाव होना हैं। इन चुनावी राज्यों में आरएसएस ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। संघ ने चुनावी राज्यों में अपनी शाखाओं और स्वयं सेवकों के जरिए से गांव और बस्तियों में रह रहीं प्रमुख जातियों, हिदू मुस्लिम ईसाई, किसान-व्यापारी, मजदूर और कर्मचारियों का ब्यौरा जुटाने की मुहिम शुरू कर दी है। वहीं संघ से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इन राज्यों में ये मुहिम व्यापक स्तर पर शुरू की गई है। इसके तहत आबादी का धार्मिक, साक्षरता और आर्थिक प्रतिशत भी निकाला जा रहा है। गांवों में मौजूद जलाशय ही नहीं मंदिर ओर मस्जिद, चर्च गुरुद्वारा और मजारों के अलावा यह भी देखा जा रहा है कि मंदिर और श्मशान सभी के लिए खुले या नहीं, कहीं कोई सामाजिक बहिष्कार तो नहीं किया जा रहा है।
जुटाई जा रही गो पालकों की संख्या
आरएसएस सर्वेक्षण के माध्यम से महिला और पुरुष के साथ धर्म सहित जातियों का ब्यौरा भी जुटाया जा रहा है। राजनीतिक तौर पर यह भी देखा जा रहा है कि मतदाताओं पर भाजपा, कांग्रेस, बसपा अथवा आप में से किस पार्टी का कितना असर है। गांव कसबे में जैविक खेती और गोवंश पालकों की संख्या भी निकाली जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि राज्यों में विधानसभा चुनाव और एक साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए संघ का ये सर्वेक्षण बेहद महत्वपूर्ण है। सर्वे में सामाजिक संस्थाओं के अलावा संबंधित गांव और बस्ती के लोगों का राजनीतिक झुकाव भाजपा की तरफ है या कांग्रेस को चाहती है। इसके अलावा किस क्षेत्रीय दल के प्रति झुकाव है। यह भी अनुमानित आंकड़ा जुटाया जा रहा है।
क्यों हो रहा है ये सर्वे?
चुनावी राज्यों में संघ ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित शाखाओं के जरिए स्वयंसेवकों से 48 बिंदुओं पर जानकारी जुटाने की मुहिम शुरू की है। इस सर्वेक्षण के फार्मेंट में बस्ती की तीन प्रमुख जातियों और उनके प्रमुख की जानकारी नंबर सहित भरने को कहा गया है। इसके अलावा तीन सामाजिक व्यक्ति, तीन महिला संस्थाएं और तीन तीन विरोधी संस्थाओं की जानकारी भी एकत्र की जाएगी। इसके अलावा सर्वे वाले क्षेत्रों में रहने वाले संघ के दूसरे अनुषांगिक संगठन से जुड़े लोगों की भी जानकारी एकत्रित की जा रही है। दरअसल 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद 2024 में लोकसभा के चुनाव होना हैं। बीजेपी को फिर केन्द्र की सत्ता में लाने नरेन्द्र मोदी को फिर पीएम बनाने की मंशा को लेकर संघ ने अपने सभी अनुषांगिक संगठनों को सक्रिय कर दिया है। इसी तरह की सक्रियता 2014 के आम चुनाव से पहले भी आरएसएस में देखी गई।