हिंदु धर्म में पेड़ो की पूजा का खास महत्व माना जाता है. समय समय पर पेड़ो की पूजा के त्योंहार और व्रत भी आते है. ज्येष्ठ का महीना चल रहा है , कुछ ही दिनों में वट सावित्री का व्रत आने वाला है. वट सावित्री के दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करेंगी और त्रिदेव से अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मांगेगी. इस साल वट सावित्री का व्रत 19 मई को रखा जाएगा.
इतना सब तो आपने जान लिया , लेकिन क्या आप जानते है कि वट सावित्री के दिन पूजे जाने वाले बरगद के पेड़ का हिंदु धर्म में इतना महत्व क्यों हैं ? अगर नहीं तो चिंता न करिए आज हम आपको बताएंगे कि वट सावित्री पर पूजा जाने वाला बरगद के पेड़ा हमारे धर्म में इतना अहम क्यों है.
क्यों करी जाती है बरगद के पेड़ की पूजा ?
बरगद का पेड़ एक लंबे समय तक जीवित रहने वाला पेड़ होता है. इसकी कई बड़ी बड़ी जड़े और शाखाएं रहती है. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार इस पेड़ की शाखाएं जो नीचे की और लटकी रहती है, उनमें माता सावित्री का वास होता है. आपको बता दें कि बरगद के पेड़ की शाखाओं और जड़ो का फैलना धरती के विस्तार को बताते है. इसलिए संतान प्राप्ति के लिए बरगद के पेड़ की पूजा को अचूक माना जाता है.
शिव जी करते है तपस्या
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ के नीचे भगवान शिव ने समाधि लेकर तपस्या की थी. इसी कारण बरगद के पेड़ का हमारे धर्म में ओर अधिक महत्व बढ़ गया. बरगद के पेड़ से जुड़ी एक और पौराणिक कहानी है, जिसके अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने ऋषि मॉर्केण्डय को बरगद के पेड़ के पत्ते पर ही दर्शन दिए थे . इन्हीं सभी मान्यताओं के कारण बरगद का पेड़ हिंदु धर्म में इतना अहम है.
वट सावित्री व्रत के पीछे की क्या है कथा ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार पति को उबारने के लिए माता सावित्री ने घोर तप किया था. माता के इस तप से प्रसन्न होकर यमराज ने उनके पति के प्राण बरगद के पेड़ के नीचे ही लौटाएं थे और साथ ही में उन्होंने माता सावित्री को 100 पुत्रों का वरदान भी दिया था. उन्होंने साथ ही में य़ह भी वरदान दिया था कि जो सुहागिन बरगद के पेड़ करेगी , उसे अखंड सौभाग्य प्राप्त होगा.