क्यों चढ़ाई जाती है काल भैरव को मदिरा.? क्या है इसके पिछे की धार्मीक वजह…

क्यों चढ़ाई जाती है काल भैरव को मदिरा.? क्या है इसके पिछे की धार्मीक वजह...

मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित बाबा काल भैरव का मंदिर अपने चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। यहां शिवजी के पांचवे अवतार कहे जाने वाले काल भैरव की लगभग 6 हजार साल पुरानी पूर्ति स्थापित है। इस मंदिर की ख़ास बात यह है की यहां भगवन काल भैरव को प्रसाद के तौर पर मदिरा अर्पित की जाती है, जो धीरे धीरे गायब हो जाती है। यही वजह है की काल भैरव मंदिर ज्यादा प्रख्यात है।

प्रतिदिन 2 हजार मदिरा की बोतलों का सेवन कराया जाता है
भगवन काल भैरव को हर रोज मंत्रोचारण के बाद लगभग 2,000 मदिरा की बोतलों का सेवन कराया जाता है। श्रद्धालु यहां आकर मंदिर के बाहर से मदिरा खरीदते है और भगवन काल भैरव को चढ़ाते है। यहां मूर्ति के मदिरा पीने का रहस्य कुछ सालों से नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है। बाबा काल भैरव के मदिरा पीने के रहस्य के बारे में आज तक शोधकर्ताओं और पुरातत्व विभाग के जानने की कोशिश की मगर अभी तक कोई कुछ पता नहीं लगा पाया है।

क्यों चढ़ाई जाती है काल भैरव को मदिरा
काल भैरव को तामसिक प्रवृत्ति के देवता माना जाती है, यही कारण है की उन्हें मदिरा का भोग लगाया जाता है। यहां शराब चढ़ाना संकल्प और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। साथ ही ये बुराइयों को समाप्त करने का भी प्रतीक है। कहा जाता है कि काल भैरव को मदिरा का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से शरीर के सारे रोग दूर हो जाते है और सभी पापो से मुक्ति मिलती है। काल भैरव मंदिर के पास आपको कई सारी मदिरा की दूकान मिल जाएंगी जिन्हें प्रशसन की अनुमति से संचालित किया जाता है।

कैसे जन्में काल भैरव
पुराणों के अनुसार, भगवान काल भैरव का जन्म भगवान शिव के रक्त से हुआ था। बाद में भगवान शिव के रक्त के दो भाग हुए, जिसमे एक से बटुक भैरव बने और दूसरे से काल भैरव का जन्म हुआ। इसमें बटुक भैरव को बाल रूप और काल भैरव को युवा रूप कहा जाता है।

उज्जैन के रक्षक है काल भैरव
उज्जैन के लोगो का मानना है की भगवन काल भैरव पुरे क्षेत्र की रक्षा करते है। यहां के क्षेत्र में उनका राज है और वे बाबा महाकाल के सेनापति के रूप में है।.इसी कारण से आज तक उज्जैन पर जितने भी राजाओं ने राज किया है, सभी काल भैरव की पूजा विधि से संलग्न रहे है। आज भी कहा जाता है कि कोई भी राजा या सुप्रीम लीडर उज्जैन में रात में नहीं रूक सकता है, क्योंकि यहां के सिर्फ एक ही राजा है और वो है बाबा महाकाल।

काल भैरव मंदिर का इतिहास
मध्यप्रदेश के शिप्रा नदी के तट पर बसा काल भैरव मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है। दरअसल 9वीं शताब्दी में राजा भद्रसेन ने एक युद्ध में जीत के बाद भगवन काल भैरव से की गई मनोकामना को पूरा करने के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था। बाद में परमार वंश के राजा भोज और मराठा शासक ने मंदिर का पुननिर्माण करवाया था। वर्त्तमान में मंदिर की संरचना मराठा और मालवा शैली की चित्रकारी से सजी है।

 

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