राज्यसभा में एक बार फिर सभापति जगदीप धनखड़ और मल्लिकार्जुन खरगे के बीच गरमागरम बहस हो गई। दोनों एक बार फिर से सीधे भिड़ गए। राज्यसभा में दोनों के बीच जमकर नोकझोंक हुई। यह नोकझोंक इतनी तेज थी कि सदन की कार्यवाही आखिरकार सोमवार 16 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई। मल्लिकार्जुन खरगे ने इस दौरान सभापति धनखड़ पर पक्षपात करने का बड़ा आरोप लगाया। वहीं जगदीप धनखड़ ने बार बार खरगे से मुद्दे पर सदन में बात करने की अपील की।
- मल्लिकार्जुन खरगे और जगदीप धनखड़ के बीच बहस
- करीब 5 मिनट तक होती रही दोनों के बीच बहस
- खरगे ने इस दौरान धनखड़ को घेरा और कहा
- ‘आप मेरी इज्जत नहीं करते हैं’
- ‘मेरे लोगों की इंसल्ट आप करते हैं’
- ‘तो फिर मैं कैसे आपकी इज्जत कर सकता हूं?’
सभापति जगदीप धनखड़ ने जहां स्वयं को किसान का बेटा बताया तो वहीं मल्लिकार्जुन खरगे ने इसका जवाब दिया और कहा कि वे भी किसान और मजदूर के बेटे हैं और आप उन्हें दबा नहीं पाएंगे।इराज्यसभा में इन दोनों की आपसी भिड़ंत नई नहीं है। इस बार किसान और मजदूर शब्द भी संसद में कार्यवाही के दौरान खूब गूंजे। धनखड़ और खरगे के बीच पिछले एक साल के दौरान 5 बार तीखी बहस हो चुकी है। एक बार तो खरगे की ओर से पूरे सदन में धनखड़ पर अपना अपमान करने का गंभीर आरोप लगा दिया था।
सदन में होती रही दोनों के बीच गरमागरम बहस
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे और सभापति धनखड़ के बीच राज्यसभा में करीब पांच मिनट तक जोरदार बहस चलती रही। बहस की शुरुआत सबसे पहले अविश्वास प्रस्ताव से हुई। यह बहस कैमरे पर जाकर ठहरी। राज्यसभा के सभापति घनखड़ ने कहा उनके खिलाफ जो अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष की ओर से लाया गया हैं, वो आने वाले 14 दिनों के बाद सदन के पटल पर रखा जाएगा।
इससे पहले धनखड़ और खरगे में कब-कब हुई भिड़ंत
- 9 दिसंबर 2024 को जॉर्ज सोरोस वाले मामले में भिड़े
- मानसून सत्र के दौरान 2 जुलाई 2024 को दोनों में हुई बहस
- मानसून सत्र में ही नीट को लेकर हंगामे और बहस के बीच खरगे बेल में आ गए थे
- मानसून सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते धनखड़ और खरगे एक दूसरे से भिड़े
इस दौरान सदन में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी जब कुछ बोलने के लिए अपनी जगह पर उठे तो धनखड़ ने उन्हें लगभग डपट लगाते हुए कानून पढ़ने की हिदायत दे डाली। धनखड़ ने आक्रोश में आकर कहा प्रमोद तिवारी जी आप यह ध्यान रखिए कि 24 घंटे आपका केवल यही काम है। आप लोग उनके बारे में और क्या-क्या बोलते हैं। वे सब कुछ सुन रहे हैं। वे किसान के बेटे हैं और कमजोरी नहीं दिखायेंगे। उन्हें देश के लिए मर जाना पसंद है मिट जाना पसंद है।
वहीं धनखड़ यही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने किसी को इज्जत देने में कोई कमी नहीं रखी है। उन्होंने बहुत कुछ बर्दाशत किया। आज का किसान अब खेती तक ही सीमित नहीं है। आज का किसान देश में हर जगह काम करता है। सरकारी नौकरी में है तो उद्योग में भी है। आप प्रस्ताव लेकर आए यह आपका अधिकार है। प्रस्ताव पर चर्चा भी आपका अधिकार है।
(प्रकाश कुमार पांडेय)