सिंधु जल संधि…जानें भारत के नोटिस से क्यों बढ़ गई पाकिस्तान हुकमरानों की टेंशन…आखिर क्या है सिंधु जल समझौता…

सिंधु जल संधि…जानें भारत के नोटिस से क्यों बढ़ गई पाकिस्तान हुकमरानों की टेंशन…आखिर क्या है सिंधु जल समझौता…

सिंधु जल संधि पर भारत ने समीक्षा की मांग की है। जिसके भारत ने लिए डेढ़ साल में पाकिस्तान को दूसरी बार नोटिस दिया है। आखिर भारत क्यों चाहता है संधि में बदलाव और भारत के नोटिस से क्यों घबराया है पाकिस्तान इसकी तह तक जाना जरुरी है। भारत सरकार द्वारा सिंधु जल संधि के समझौते के नोटिस देने के सरकार ने कारण भी बताए है आइए इन कारणों पर नजर डालते हैं। एक नज़र डालते हैं सिंधु जल समझौता क्या है।

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पाकिस्तान के लिए सिंधु नदी लाइफ लाइन कहीं जाती है या यह भी कह सकते हैं कि यह पाकिस्तान के लिए जीवन दायिनी है। अब भारत ने सिंधु जल समझौते में बदलाव की मांग उठा दी है। भारत ने इस मामले में 30 अगस्त को एक नोटिस पाकिस्तान को दिया था। भारत ने इस बदलाव के पीछे तीन कारण भी गिनाए हैं। क्या हैं वो तीन करण। हम यह भी बताएंगे। ये तीन कारण भारत के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।

भारत की ओर से सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को औपचारिक नोटिस दिया है। भारत ने समीक्षा के लिए यह नोटिस सिंधु जल संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत दिया है। इस अनुच्छेद के तहत यह प्रावधान है कि व्यवस्थाओं को समय-समय पर दोनों सरकारों के बीच बातचीत के जरिए संशोधित किया जा सकता है।

समीक्षा के पीछे हैं कई कारण
जनसंख्या में परिवर्तन होना। इसके चलते पानी के कृषि एवं अन्य चीजों में इस्तेमाल में भी परिवर्तन आया है। भारत हानिकारक गैस उत्सर्जन को खत्म कर क्लीन एनर्जी की ओर बढ़ना चाहता है। इसके लिए यह जरूरी है कि सिंध जल समझौते के अनुसार नदियों के जल पर अधिकारों को एक बार फिर से तय किया जाए। सीमा पार आतंकवाद के चलते इस समझौते पर अच्छे से अमल नहीं हो पा रहा है। इससे भारत अपने अधिकारों का पूरी तरह से उपयोग भी नहीं कर पा रहा। भारत की चिंता किशनगंगा और रैटल हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना को लेकर पाकिस्तान के रवैये पर भी है।

सिंधु जल समझौता
सिंधु जल समझौते में बदलाव हो
भारत ने उठा दी मांग
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भारत का नोटिस,पाक को टेंशन

भारत के नोटिस पर एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा पाकिस्तान सिंधु जल संधि को महत्वपूर्ण मानता है। उम्मीद करता है कि भारत भी इसके प्रावधानों का पालन करेगा। दोनों देशों के बीच सिंधु जल आयुक्तों का एक तंत्र है और संधि से जुड़े सभी मुद्दों पर इसमें चर्चा की जा सकती है। संधि से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए कोई भी कदम समझौते के प्रावधानों के तहत ही उठाया जाना चाहिए।

नेहरु और अयूब खान ने किये थे सिंधु नदी संधि पर हस्ताक्षर
दरअसल सिंधु जल समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 6 नदियों के जल के बंटवारे को लेकर है। जिन्हें सिंधु नदी तंत्र का हिस्सा माना जाता है। इस समझौते पर 19 सितंबर 1960 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के हस्ताक्षर हैं। पाकिस्तान के कराची में हुए इस समझौते में मध्यस्थ की भूमिका वर्ल्ड बैंक ने निभाई थी।

आखिर क्या है सिंधु जल समझौता
तीन पूर्वी नदियों रावी, सतलज और ब्यास के जल पर भारत का होगा अधिकार। तीन पश्चिमी नदियां झेलम, चिनाब और सिंधु का जल पाकिस्तान को दिया। भारत को पश्चिमी नदियों पर परियोजनाओं के निर्माण की भी मंजूरी मिली थी। इस समझौते पर अमल की निगरानी के लिए सिंधु जल आयोग का भी गठन हुआ था। हर साल होती है आयोग की मीटिंग

 

 

 

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