जाने बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को क्यो बनाया मुख्यमंत्री

जाने बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को क्यो बनाया मुख्यमंत्री

महाराष्ट्र में अब एकनाथ शिंदे होगा मुख्यमंत्री , होगी शिवसेना की ही सरकार
महाराष्ट्र में तेजी से बडे घटनाक्रम के बीच अब एकनाथ शिंदे प्रदेश के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिदे होगे। एकनाथ शिदें और देवेन्द्र फडणवीस की साझा प्रेस कांफ्रेस में इस बात का ऐलान किया। लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में इतना बडा ट्वीस्ट क्यो ।

एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के पीछे क्या है बीजेपी की रणनीति 

महाराष्ट्र की महाभारत शुरू होते ही हर किसी के दिमाग में ये बात थी कि अब नई सरकार में बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा और बागी शिवसेना का उपमुख्यमंत्री साथ ही दोनो दलो के बीच मंत्रीपद बांट दिए जैंगे लेकिन ऐसा नही हुआ। बीजेपी शिवसेना का फैसला चौकाने वाला रहा लेकिन सभी सोच रहे है कि आखिर बीजेपी ने ऐसा क्यों किया ।  आइए समझने की कोशिश करते है कि आखिर ऐसा करने के  बीजेपी की क्या रणनीति होगी।
1 दरअसल बीजेपी पूरी शिवसेना पर कब्जा करना चाहती है
2 बीजेपी ने ऐसा करके ये मैसेज देने की कोशिश की वो शिवसेना की सरकार गिराना नही चाहती क्योकि शिवसेना का ऐजेडा भी शुरू से हिदुत्तव का रहा है।
3 एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने से सारे शिवसैनिको में इस बात का मैसेज जाएगा कि सरकार अभी भी शिवसेना की है बस मुख्यमंत्री ही बदला है।
4. चूकि दो तिहाई से ज्यादा शिवसेना के विधायक बागी हुए है इसलिए अब असली और नकली शिवसेना की लडाई होगी।

5 ये लडाई अदालत तक जा सकती है जहां एकनाथ शिदें शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर अपना दावा ठोकेगे और उद्दव के हाथ से शिवसेना भी निकल जाएगी।
6 असली शिवसेना की लडाई में शिवसैनिक भ्रमित हो सकता और चूकि शिवसेना का वोट बैंक हिदुत्तव का है इसलिए वो अगर शिफ्ट भी होगा तो एन सी पी और कांग्रेस में न जाकर बीजेपी के पाले में आएगा।
7 शिवसेना का सीएम बनाकर बीजेपी विपक्ष को करारा जवाब भी देगी कि वो सत्ता की भूखी नहीं।
8 साथ ही शिवसेना में इतनी बडी फूट और असली नकली का झगडा करवा के बीजेपी ने अपना बदला पूरा किया जो 2019 में बडा दल होने के बाद भी उद्दव ने बीजेपी को धोखा देकर एन सी पी और कांग्रेस के साथ सरकार बना ली।
होगी असली नकली शिवसेना की लडाई
एकनाथ शिदे की शपथ के साथ ही शिवसेना के बागी और बीजेपी का देश की आर्थिक राजधानी पर राज होगा। इसके बाद असली और नकली शिवसेना का लडाई अदालत तक जाएगी। चुनाव चिन्ह की लडाई का झगडा होगा । इस झगडे में उद्दव ठाकरे के हाथ से शिवसेना जा सकती है। सत्ता के साथ साथ उद्दव का पार्टी पर भी राजनैतिक अधिकार खत्म हो जाएगा।

2019 में वादे को तोडा था उद्दव ने 

2019 में जब बीजेपी सबसे बडा दल बनी तो वादे के मुताबिक बीजेपी और सिवसेना में गठबंधन होना था। अंदरखाने की खबरे थे कि ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. लेकिन उद्दव ने सभी को नकारते हुए पहले अपने बेटे के मुख्यमत्री पद के लिए बवाल किया फिर बीजेपी से बगावती तेवर दिखाते हुए एन सी पी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। राजनैतिक तौर पर देखे तो एन सी पी और कांग्रेस दोनो ही शिवसेना के धुर विरोधी रहे है इनकी विचारधारा औऱ वोटर सभी अलग अलग है।
एकनाथ शिंदे के सी एम बनने के बाद शिवसेना बीएमसी के चुनावो में भी अपनी जडे मजबूत करेगी। क्योकि अगर एन सी पी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार होती तो शायद शिवसेना एकतरफा बीएमसी में उतनी मजबूत नही हो पाती।

2024 में अहम साबित होगा ये बदलाव 

देश की आर्थिक राजधानी पर बीजेपी और शिवेसना का कब्जा होना कही न कही 2024 के चुनावो में भी अहम भूमिका निभा सकता है। बीजेपी

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