कौन बनेगा कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे या थरुर ?
137 साल के इतिहास में छठी बार चुनाव
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरुर आपने सामने हैं। आज शाम चार बजे तक मतदान होगा। इसके लिए देश भर में करीब 40 केन्द्रों पर 68 बूथ तैयार किये गये हैं। जहां प्रदेश कांग्रेस समितियों के 9 हजार से अधिक प्रतिनिधि गुप्त मतदान के जरिये पार्टी के नये अध्यक्ष काे चुनेंगे। कांग्रेस के लगभग 137 साल के इतिहास में छठी बार चुनाव हो रहे हैं। चुनाव यह तय करने के लिए हो रहे हैं कौन पार्टी के इस अहम पद की कमान संभालेगा। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव से दूरी बना ली है। वे महज वोटर की भूमिका में हैं। ऐसे में 24 वर्ष बाद गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा। पार्टी अध्यक्ष पद के लिए सोमवार को मतदान के एक दिन बाद यानी बुधवार को मतगणना को होगी। चुनावी मैदान में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर हैं। उन्होंने इससे पहले प्रदेश कांग्रेस समिति यानी पीसीसी के 9000 से अधिक डेलीगेट्स यानी निर्वाचित मंडल के सदस्यों को लुभाने के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा किया। बता दें खड़गे को इस पद के लिए पसंदीदा ही नहीं अनाधिकारिक रूप से आधिकारिक उम्मीदवार भी माना जा रहा है और बड़ी संख्या में वरिष्ठ नेता उनके समर्थन में नजर आए। जबकि थरूर ने अपने आप को बदलाव लाने वाले उम्मीदवार के तौर पर पेश किया। थरूर ने अपने प्रचार के दौरान असमान मुकाबला होने के मद्दे को उठाया है जबकि दोनों उम्मीदवारों और पार्टी ने कहा है कि गांधी परिवार निष्पक्ष है और कोई आधिकारिक उम्मीदवार नहीं है।
137 साल में छठी बार चुनाव
कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में छठवीं बार अध्यक्ष पद के लिए आंतरिक रूप से चुनाव हो रहा है। इससे पहले 1939, 1950, 1997, 2000 और 1977 में चुनाव हुए थे।
हार गए थे महात्मा गांधी के उम्मीदवार सीतारमैया
कांग्रेस की ओर से अक्सर दावा किया जाता रहा है कि उसके आंतरिक लोकतंत्र की किसी दूसरी पार्टी से कोई बराबरी नहीं है और वह इकलौती पार्टी है। जिसके पास संगठनात्मक चुनावों के लिए केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण है। कांग्रेस के 1939 के अध्यक्ष पद के चुनाव में महात्मा गांधी के उम्मीदवार पी सीतारमैया, नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हार गए थे। फिर 1950 में आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था और उस समय पुरुषोत्तम दास टंडन और आचार्य कृपलानी के बीच मुकाबला था। आश्चर्यजनक रूप से सरदार वल्लभभाई पटेल के नजदीकी माने जाने वाले टंडनए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पसंद के उम्मीदवार से चुनाव जीत गए थे। इसी तरह 1977 में देवकांत बारुआ के इस्तीफे के चलते कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था। जिसमें के ब्रह्मानंद रेड्डी ने सिद्धार्थ शंकर रे और कर्ण सिंह को परास्त किया था।
जितेंद्र प्रसाद को मिली थी सोनिया के हाथों करारी शिकस्त
1977 के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद का अगला चुनाव 1997 में हुआ। तब सीताराम केसरी, शरद पवार और राजेश पायलट के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों को छोड़कर कांग्रेस की सभी प्रदेश इकाइयों ने केसरी का समर्थन किया था। उन्होंने भारी मतों से जीत हासिल की थी। इसके बाद अध्यक्ष पद का अगला चुनाव 2000 में हुआ था और इस बार सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद थे। जिन्हें सोनिया गांधी से करारी हार मिली थी। अब 24 साल बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा है। हालांकि इस बार गांधी परिवार को कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं है। लिहाजा चुनाव निश्चित तौर पर ऐतिहासिक है क्योंकि नया अध्यक्षए सोनिया गांधी का स्थान लेने वाला है। सोनिया गांधी सबसे लंबे समय तक कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। आजादी के बाद सितारमैया ने 1948 में एआईसीसी प्रमुख का पद संभाला था और अभी तक 17 लोगों ने पार्टी की अगुवाई की है। जिनमें से पांच गांधी परिवार के सदस्य रहे हैं। सितारमैया से पहले 1947 में आचार्य कृपलानी अध्यक्ष रहे।
अब तक कौन कौन रहा कांग्रेस का अध्यक्ष
1950 में टंडन कांग्रेस अध्यक्ष बने। इसके बाद 1951 और 1955 के बीच नेहरू ने पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली। नेहरू के बाद यू एन ढेबर को पार्टी की कमान सौंपी गई। तो 1959 में इंदिरा गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और उनके बाद एन एस रेड्डी ने 1963 तक यह दायित्व संभाला। के. कामराज 1964 – 67 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे जबकि एस निजालिंगप्पा 1968- 69 तक इस पद पर रहे। बाबू जगजीवन राम 1970-71 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे और फिर डॉ.शंकर दयाल शर्मा 1972-74 तक इस पर पर रहे। देवकांत बारुआ 1975-77 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। फिर 1977-78 में के. ब्रह्मानंद रेड्डी कांग्रेस अध्यक्ष रहे। इंदिरा गांधी फिर कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और 1978 – 84 तक पार्टी की कमान उनके हाथ में रही। 1985 से 1991 तक उनके बेटे राजीव गांधी कांग्रेस अध्यक्ष रहे। राजीव गांधी के बाद पी वी नरसिंह राव 1992 – 96 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। तो उनके बाद सीताराम केसरी ने कमान संभाली। केसरी के बाद सोनिया गांधी पार्टी अध्यक्ष बनीं। साल 2017 में राहुल गांधी अध्यक्ष पद नियुक्त किया गया था। इसके बाद उनकी सोनिया गांधी ने 2019 में सोनिया गांधी कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली।