कौन बनेगा दिल्ली का सीएम…? कब खत्म होगा सस्पेंस…बीजेपी में मंथन का दौर, 19 को होगी विधायक दल की बैठक
दिल्ली विधानसभा के चुनाव में मिली जीत के बाद बीजेपी का मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा। इस पर सस्पेंस को खत्म करने के लिए पार्टी में मंथन का दौर शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री के चेहरे के चयन के लिए 19 फरवरी को पार्टी विधायक दल की बैठक होने वाली है। इस बैठक जिसमें औपचारिक रूप से दिल्ली के अगले सीएम के नाम पर मुहर लगेगी। जबकि अगले दिन 20 फरवरी को दिल्ली के मुख्यमंत्री का भव्य शपथ ग्रहण आयोजित किया जाएगा
- कब खत्म होगा सस्पेंस…
- बीजेपी में मंथन का दौर
- 19 को होगी विधायक दल की बैठक
प्रबल दावेदारों में कई नाम
- नई दिल्ली सीट और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को चुनाव में हराये जाने को ही सीएम बनाए जाने का पैमाना बनाया गया तो पूर्व सीएम साहेब सिंह वर्मा के बेटे पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा का नाम सबसे आगे है।
- महिला चेहरे में रेखा गुप्ता और शिखा रॉय में रेस चल रही है।
- वैश्य चेहरे के तौर पर विजेंदर गुप्ता आगे हैं।
- पंजाबी दांव बीजेपी चलती है तो आशीष सूद या राजकुमार भाटिया में से किसी पर यह दां0 चल सकती है।
पार्टी सूत्र बताते हैं कि दरअसल बीजेपी को एक ऐसे चेहरे की तलाश है जिसके जरिए केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि देशभर में संदेश जाए। ऐसा चेहरा हो जो सियासत में लो प्रोफाइल रहते हुए पीएम नरेंद्र मोदी विजन को आगे बढ़ाने में मददगार साबित हो। सीएम चुनने में बीजेपी किन किन फैक्टर का ख्याल कर सकती है इस पर सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है।
महिला फैक्टर करेगा काम!
महिला वर्ग आज देश में बड़ा एक वोटबैंक का रुप ले चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही महिला बिल के जरिए इस वर्ग को साधने के लिए एक बड़ी कोशिश कर चुके हैं। एनडीए शासित करीब बीस राज्यों में किसी में भी कोई महिला मुख्यमंत्री के पद पर नहीं है। ऐसे में बीजेपी दिल्ली में किसी विधायक महिला को आगे कर देश में एक बड़ा संदेश दे सकती है। हालांकि फिलहाल चेहरे पर अंतिम फैसला विधायक दल की बैठक में तय होगा।
व्यापारी वर्ग भी बड़ा फैक्टर है
माना जाता है कि बीजेपी के लिए वैश्य और व्यापारी वर्ग सबसे बड़ा और अटूट कोर वोटर है। दिल्ली में भी इस वर्ग का वर्चस्व है। वहीं बिहार में आने वाले समय में विधानसभा के चुनाव होना है। यह भी वह राज्य है जहां वैश्य वर्ग की आबादी अच्छी खासी है।
ऐसे में अगर इन सभी समीकरणों को बीजेपी ने देखा तो वैश्य वर्ग के चेहरे को दिल्ली में सीएम का मौका मिल सकता है।
दिल्ली में पंजाब का फैक्टर
दिल्ली में पंजाबी और सिक्ख मतदाताओं की संख्या अधिक है। चुनाव में यह वर्ग सबसे मजबूत और महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं पंजाब में बीजेपी अब तक मजबूत नहीं बन सकी है। ऐसे में बीजेपी दिल्ली से लेकर पंजाब तक के सियासी समीकरणों को साधना चाहेगी तो किसी पंजाबी चेहरे को दिल्ली सीएम कमान मिल सकती है। दिल्ली में पंजाबी और सिख समुदाय को मिलाकर मतदाताओंं की गिनती की जाए तो यह संख्या करीब 30 प्रतिशत बताई जाती है। बीजेपी ने इस बार एक सीट को छोड़ सभी पंजाबी मतदाता बहुल वाली विधानसभा सीटें जीतने में सफल रही है। ऐसे में इस वर्ग से संबंध रखने वाले किसी नेता की लॉटरी लग सकती है।
दिल्ली में छाए रहते हैं पूर्वांचल वोटर्स
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अपने संबोधन में पूर्वांचल के वोटर्स के प्रति विशेष आभार जताया था। दिल्ली में बीजेपी को पूर्वांचल बहुल विधानसभा सीटों पर जीत मिली है। चूंकि इसी साल 2025 के अंत में बिहार में चुनाव है ऐसे मेें माना जा रहा है कि इस फैक्टर पर बीजेपी गौर करती है तो किसी पूर्वांचली चेहरे को भी दिल्ली के सीएम की कुर्सीं सौंपने का दांव चल सकती है।
क्या हावी होगा 17 प्रतिशत वाला दलित फैक्टर
दिल्ली में 17 प्रतिशत से अधिक दलित वर्ग की आबादी निवास करती है। वहीं दिल्ली की आरक्षित 12 विधानसभा सीटों में में से बीजेपी को सिर्फ चार सीटों पर ही जीत मिली है। दूसरी ओर जिस तरह से विपक्ष संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी को देशभर में घेरने की कोशिश करता रहा है। उससे माना जाता है कि बीजेपी किसी दलित चेहरे के जरिए भी देश में संदेश देकर विपक्ष का मुंह बंद कर सकती है।
(प्रकाश कुमार पांडेय)