बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को जोड़ने में लगे हुए है। वे लगातार दूसरे राज्यों के दौरे कर रहे हैं। अपनी व्यस्तता के चलते वे बिहार को भी अपेक्षित समय नहीं दे पा रहे हैं। हालात ये है कि उन्ही के राज्य में उनके विरोधी उन्हे घेरने में लगे हैं। राजनीति की गलियों में इस मुद्दे पर चर्चा रही है लोगों का कहना है कि यदि इसी तरह नीतीश बिहार से बाहर जाकर विपक्ष को साधते रहे तो बिहार को साधना मुश्किल हो जाएगा।
नीतीश के लिए पीके बना रहे ब्रेकर
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके आने वाले समय में नीतीश के लिए कई ब्रेकर खड़े कर देंगे। इसकी वजह ये है कि पीके जिस तरह से जन सुराज अभियान चला रहे है वो नीतीश के लिए बड़ा संकटकारी होगी होगा। जहां जहां पीके जा रहे है उन्हे बड़ा समर्थन मिल रहा है कई समाज सेवी,बुध्दिजीवी और कई प्रशासनिक अधिकारियों को उन्हे समर्थन मिल रहा है। लोग उनके विचारों सहमत हो रहे हैं और उनसे जुड़ते जा रहे है। प्रशांत का कुनबा बड़ा हुआ तो सीएम नीतीश कुमार के लिए चुनौतियों का अंबार लग जाएगा।
पीके के साथ जुड़ रहे हैं प्रशासनिक अधिकारी
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का दावा है कि उनके जनसुराज अभियान से कई दिग्गज लोग जुड़ रहे हैं। हाल ही में दो एमएलसी भी जुड़े हैं। जनसुराज अभियान के समर्थन से अफाक अहमद सारण के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीते और एमएलसी बने। एमएलसी सच्चिदानंद राय और भाजपा के पूर्व एमएलसी भी प्रशांत किशोर के साथ हैं। जहां तक अफसरों की बात है तो अब तक सैकड़ों आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने प्रशांत का समर्थन किया है। जबकि रिटायर अधिकारी उनके साथ जुड़कर काम कर रहे है। डॉक्टर और वकीलों के अलावा तमाम समाजसेवियों का भी सहयोग मिल रहा है।
दो मई से शुरु हुआ अभियान
प्रशांत किशोर ने दो मई से अपने जन सुराज अभियान की शुरुआत की है। वे पैदल चल रहे हैं और उनकी सेहत पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है जिसके कारण फिलहाल कुछ दिन के लिए उन्होंने अपनी यात्रा को विराम दिया है। प्रशांत का दावा है कि आने वाले छह माह में उनका कुनबा बहुत बड़ा हो जाएगा। उनका कहना है कि अभियान के तहत गांव गांव जाकर वोट और शिक्षा का महत्व लोगों को बताया जा रहा है। इस दौरान प्रशांत भाजपा,जदयू और राजद पर निशाना भी साधते रहे है।
क्या कह रहे हैं अभियान से जुड़े अधिकारी
जन सुराज अभियान से जुड़ रहे अधिकारियों अपने विचारों के साथ सरकारों पर भी तंज कस रहे है। पूर्व आईपीएस राकेश मिश्रा ने कहना है कि आज देश में दो विचारधाराएं चल रहीं हैं। उनका कहना है कि दोनों विचारधाराएं आज 20-20 का मैच खेल रही हैं। मिश्रा ने कहा कि देश में दो तरह की विचारधाराएं चल रहीं है। एक तो 20 प्रतिशत वो हैं जो उन्नत और सवर्ण कहलाते हैं और बाकी के 80 प्रतिशत को एकत्रित कर अपनी सियासत को मजबूत कर रहे हैं और शासन चलाने की कोशिश करते हैं। जिसका परिणाम आज हमारे सबके सामने हैं। दूसरी विचारधारा वो है जो 20 प्रतिशत अल्पसंख्यक की आबादी को अलग करती है और 80 प्रतिशत हिन्दुओं आबादी को संगठित करते हुए शासन व्यवस्था चलाना चाहती है। बस,यही दो विचारधाराएं हैं जिनके चलते शासन करने की कोशिशें होतीं है।
इसी माह अभियान से जुड़ने वाले आईएएस
पीके के अभियान में 6 सेवानिवृत्त अधिकारियों में पूर्व जिला मजिस्ट्रेट, विभाग के सचिव और कैबिनेट स्तर के अधिकारी शामिल हैं।पूर्व आईएएस अधिकारियों में अजय कुमार द्विवेदी (पश्चिम चंपारण, सेवानिवृत्त विशेष सचिव, कैबिनेट, बिहार सरकार); अरविंद कुमार सिंह (भोजपुर, सेवानिवृत्त सचिव, पूर्व जिलाधिकारी, कैमूर एवं पूर्णिया); ललन यादव (मुंगेर, सेवानिवृत्त आयुक्त, पूर्णिया, डीएम, नवादा, कटिहार); तुलसी हजार (पूर्वी चंपारण; सेवानिवृत्त प्रशासक बेतिया राज, बिहार सरकार); सुरेश शर्मा (गोपालगंज, सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार) एवं गोपाल नारायण सिंह (औरंगाबाद, सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव, ग्रामीण कार्य विभाग, बिहार सरकार) शामलि हैं।
क्या है पीके का लक्ष्य
प्रशांत किशोर की दूरदृष्टि और चुनावी रणनीति से सभी राजनैतिक दल भली भांति परिचित हैं। वे जन सुराज अभियान से गांव गांव जाकर लोगों को जोड़ने का काम कर रहे है। उनका प्रयास अपनी जमीनी पकड़ को मजबूत करना है। फिलहाल उन्होंने अभी ऐसे कोई संकेत नहीं दिए है कि आगे की रणनीति उनकी क्या होगी। खुद अकेले की दम पर बिहार में प्रशांत कुछ नहीं कर पाएंगे। ये बात उन्हे भी पता है। इसके बाद भी यदि उनका कुनबा बड़ा होता है और चुनाव में उन्हे सफलता मिलती है तो किसका साथ देंगे। इस सवाल के जवाब से खुद प्रशांत बच रहे हैं।