क्या कुतुब मीनार पहले था विष्णु मंदिर? जानें इसका रहस्य और कुतुब मीनार से जुड़ी कुछ खास बातें
देश में इस समय मंदिर और मस्जिदों पर विवाद गहराया हुआ है . वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, आगरा के ताजमहल के बाद अब दिल्ली की क़ुतुब मीनार को लेकर भी विवाद छिड़ा है. कई हिंदु संगठनों का दावा है कि कुतुब मीनार एक विष्णु मंदिर है और इसमें मौजूद स्तंभ विष्णु स्तंभ है, जिसे मुस्लिम आक्रामणकारियों ने तोड़ दिया था. हालांकि इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने पुराने समय में कई हिंदु मंदिरों और मठों को तोड़ा था और उस पर मस्जिदों का निर्माण करवाया था. लेकिन कुतुब मीनार के मंदिर होने में कितनी सच्चाई है, इस बारे में भी जानना जरूरी है. तो चलिए ज्यादा देर नहीं करते है और कुतुब मीनार की असली सच्चाई जानते हैं.
क्या है कुतुब मीनार का इतिहास ?
स्कूलों में जो इतिहास पढ़ाया जाता है, उसके अनुसार कुतुब मीनार का निर्माण सन 1193 में दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू करवाया था और इसके निर्माण के बीच उसकी मृत्यु हो गई थी. कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद उसके पुत्र इल्तुतमिश ने मीनार का काम जारी रखा जिसे सन् 1367 में फिरोजशाह तुगलक ने पूरा करवाया. चूंकि इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक के राज में शुरू हुआ था, इसलिए इसका नाम क़ुतुब मीनार रखा गया था.इसकी ऊंचाई 237.86 फ़ीट और व्यास 14.3 मीटर का है.
कहां स्थित है कुतुब मीनार ?
कुतुब मीनार दिल्ली के महरौली इलाके में स्थिति है. यह मुस्लिम सुल्तानों के शुरूआती निर्माणों में से एक है, जिसे बनाने के लिए दर्जनों हिन्दू और जैन मंदिरों के स्तंभों और पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था.
क्या है विवाद ?
कई हिंदु संगठनों का कहना है कि कुतुब मीनार विष्णु मंदिर हुआ करता है. जहां अभी कुतुब मीनार है , वहां एक विष्णु स्तंभ हुआ करता था. संगठनों का कहना है कि कुतुब मीनार के परिसर में उन्हें पूजा करने की परमिशन दी जाएं . साथ ही धार्मिक संगठन यह भी चाहते है कि तोड़े गए मंदिरों को पुन: निर्माण करवाया जाएं.
क्या है कुतुब मीनार की असल सच्चाई ?
यह ऐसी सच्चाई है , जो लोगों से सालों साल तक छिपाई गई है. आपको बता दें कि जहां कुतुब मीनार मौजूद है,उसी परिसर में कुव्वत उल इस्लाम नाम की ढह चुकी मस्जिद है. इस मस्जिद को मुस्लिम आक्रमण कारियों ने बनवाया था . आर्किओलॉजी एक्सपर्ट्स ने जब इस मस्जिद की सही तरह से जाचा तो पाया कि जहां कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण हुआ था ,वहां पहले 27 हिन्दू और जैन मंदिर हुआ करते थे. इस परिसर में हिंदू नक्काशी कला के भी कई सबूत मिले है. कुतुब मीनार के परिसर में हिंदु देवी-देवताओं की प्रतिमाएं और सनातन संस्कृति की छवि देंखी जा सकती हैं. जाने-माने इतिहासकार भी इस बात को मान चुके है कि कुतुब मीनर की जगह पर विष्णु मंदिर और जैन मंदिर हुआ करते थे.