क्या सही में नीतीश की याददाश्त चली गई है ?

पुलिस लगाना याद रहता तो नहीं जाती जान

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब बूढ़े हो गए हैं। उनकी याददाश्त भी चली गई है। इसी वजह से वे अपने संबधों को भी भूल जाते हैं और बेवफाई उनके खाते में चली जाती है। ऐसा एक बार नहीं हुआ है,कई बार हो चुका है। वे जानबूझकर करते हैं या उनकी याददाश्त कमजोर हो गई है अपने आप में सवाल है। ये सब हम नहीं कह रहे हैं ये भाजपा ने हाल ही में बिहार शरीफ को लेकर मामला उठाया है।

    जिनका नीतीश ने साथ छोड़ा उनके बताए नाम
.      सवा माह बाद भी नहीं हटी धारा 144
    बिहार शरीफ हिंसा पर भाजपा हमलावर
    बिहार शरीफ पहुंचे हैं भाजपा नेता
    कानून व्यवस्था को बताया ध्वस्त

दरअसल हुआ ये है कि बिहार शरीफ में ठीक रामनवमी के दिन यानी 31 मार्च को हिंसक झड़प हुई थी जिसमें कुछ लोग मारे गए थे। तभी से यहां करीब सवा महीने होने के बाद भी धारा 144 लगी हुई है। इसी धारा को हटाने और कानून व्यवस्था बनाने को लेकर भाजपा नीतीश सरकार पर हमलावर है। नेता बिहार शरीफ पहुंच रहे हैं और जनता को राहत देने की मांग कर रहे है।

भाजपा ने नीतीश को जमकर घेरा

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा बिहारशरीफ सर्किट हाउस पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए राज्य की नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि यहां पिछले सवा महीने से धारा 144 लगी हुई है। शायद राज्य के मुख्यमंत्री भूल गए है कि बिहार शरीफ में कानून व्यवस्था की स्थिति क्या है इसलिए उन्होंने अब तक धारा 144 नहीं हटाई है। नेता द्वय ने तंज कसते हुए कहा कि उनकी गलती नहीं है,वे अब बूढ़े और बुजुर्ग होने के कारण मेमोरी लॉस सीएम हैं।
वे अक्सर भूल जाते हैं। 1977 में वे कर्पूरी ठाकुर के नहीं हुए फिर लालू प्रसाद यादव के भी साथ नहीं रहे और जब देवी लाल के साथ हुए तो उनका भी साथ नहीं दिया। ठीक इसी तरह बीपी सिंह और जॉर्ज साहब का भी साथ छोड़ दिया।

पुलिस लगाना याद रहता तो नहीं जाती जान

बिहार शरीफ में जो लोग हिंसा का शिकार हुए हैं उसको लेकर भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यदि बिहार शरीफ में नीतीश को पुलिस बल लगाने की याद रहती तो शायद लोगों का जान नहीं जाती। आज देखिए हम दोनों यहां आए है तो कितना भारी भरकम पुलिस बल तैनात किया है।यदि यह बल उस समय लगाया होता तो शायद ​हिंसा ही नहीं भड़कती।

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