जाने क्या है BLA और कब से चल रहा है बलूचिस्तान विवाद

जाने क्या है BLA और कब से चल रहा है बलूचिस्तान विवाद

BLA ने पाकिस्तान के एक ट्रेन को हाईजैक कर लिया है। ट्रेन पिछले दो दिनों से उन लोगों के कब्जे में है। इस दौरान पाकिस्तान की आर्मी ने ट्रेन के छुडाने की कोशिश की । BLA और पाकिस्तानी आर्मी के बीच मुठभेड़ में BLA के 28 लड़ाके मारे गए हैं तो वहीं पाकिस्तानी आर्मी के तीस जवानों की भी मौत हो गई है। इस बीच कुछ बंधक छुड़ा लिए गए हैं लेकिन अभी भी ट्रेन को पूरी तरह नहीं छुड़ाया जा सका है सैकड़ों लोग अभी भी बंधक हैं। घटना के बाद से सभी के मन में यही सवाल है कि आखिर अचानक BLA की एंट्री और ट्रेन हाईजैक क्यों हुआ। दऱअसल बलूचिस्तान का किस्सा पाकिस्तान के जन्म के साथ ही शुरू हुआ था। आइए समझने की कोशिश करते हैं.

क्या है BLA
BLA का फुल फार्म है बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी पाकिस्तान से बूलिचिस्तान को अलग करना चाहता है। BLA ने हाईजैक के बाद अपने ऑडियो संदेश में भेजा कि वो अपनी मातृभूमि के लिए खून बहा रहे है, न्याय और अस्तितव के लिए की लड़ रहे हैं। दरअसल BLA के लड़ाके बलूचिस्तान को पाकिस्तान की आर्मी कंट्रोल से अळग करना चाहते है।

पाकिस्तान के बनने के समय से ही बलूचिस्तान का मुद्दा
कम ही लोग जानते हैं कि बलूचिस्तान का मुद्दा पाकिस्तान बनने के साथ ही शुरू हुआ था। जब अंग्रेज भारत से गए तो भारत स्वतंत्र हुआ , उसी के साथ देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान बना। पाकिस्तान बनने के साथ साथ पाकिस्तान से लगा एक प्रांत जिसे बलूचिस्तान कहा जाता है वो खुद को एक आजाद देश बनाए जाने की मांग करने लगा। हांलाकि उस वक्त भारत को छोड़ते समय़ अंग्रेजी हुकुमत केवल पाकिस्तान बनाने का समझौता करके गई थी। अगर बलूचिस्तान को अलग आजाद देश बनना था तो उसके लिए फिर से अंग्रेजी हुकुमत के साथ की जरूरत पड़ती जिसे उस समय कांग्रेस नहीं मानती। हांलाकि आजादी के समय भी बूलिचिस्तान ने आजाद देश की मांग को लेकर पाकिस्तानी सरकार के सामने 1948 में विरोध प्रर्दशन किया । उस समय पाकिस्तान ने उनकी मांग मान ली लेकिन बाद में मुकर गया । इसके बाद बलूचों के बडे नेता

खुदादाद खान हुआ करते थे। वे कलात के खां के नाम से मशहूर थे। कलात उस वक्‍त का बलूचिस्‍तान था और इसके राजकुमार थे खुदादाद। अंग्रेजी हुकूमत के समय में भी बलूचिस्तान पर अंग्रेजो का अधिकार नहीं था। 1876 में उनके साथ जो संधि अंग्रेजों ने की थी उसके मुताबिक बलूचिस्‍तान एकआजाद देश था। विरोध के चलते बलूचों के नेता खुदादाद को पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया और बलूचिस्तान के पाकिस्तान मे विलय के समझौते पर साइन करवा लिया।

पंडित नेहरू ने भारत में शामिल करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया
आजादी के समय जब बलूचिस्तान एक आजाद देश रहना चाहता था। लेकिन अंग्रेजी हुकुमत को फिर साथ लाना पड़ता इसलिए उसे आजाद देश तो नहीं बनाया जा सका। हांलाकि आंदोलन के समय बलूचिस्तान के नेताओं ने भारत में अपने देश के विलय की मांग की थी। बलूच नेताओं की इस मांग को पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ठुकरा दिया था। जिसते चलते बूलूचिस्तान के मजबूरन पाकिस्तान के साथ जाना पड़ा।

बूलचियों और पाकिस्तानियों के बीच अच्छे रिश्ते नहीं
समझौते के तहत भले ही बलूचिस्तान पाकिस्तान में शामिल हो गया हो लेकिन हकीकत में पाकिस्तान आर्मी से बलूच के लोग हमेशा परेशान रहे। पाकिस्तान ने शुरू शुरू में बलूचिस्तान पर कई हमले भी करे थे। जिसके चलते बलूचित्सान पाकिस्तान का हिस्सा होते हुए भी सौतेला व्यवहार का शिकार था। आरोप ये भी था कि बलूच के लोगों के साथ पाकिस्तान आर्मी अच्छा बर्ताव नहीं करती।

BLA ने वापस शुरू की आजादी की लड़ाई
अब 2025 में BLA ने वापस अपने देश की आजादी के लिए लड़ाई शुरू कर दी है। बलूचिस्तान इलाके में पाकिस्तान की आर्मी और पुलिस के लोगो को बंधक भी बनाया जा रहा है। बलूचों की माने तो ये लड़ाई वो न्याय और असत्तिव के लिए लड़ रहे हैं. अपनी मातृभूमि के लिए लड़ रहे हैं।

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