सियासी चौपाल पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार का कोई तोड़ नहीं है। पार्टी प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को नया कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। सुप्रिया सुले को हरियाणा और पंजाब की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी का यह निर्णय सीनियर लीडर अजित पवार के लिए झटका माना जा रहा है।जानकारों का कहना था कि अजित खुद पार्टी के अध्यक्ष पद के दावेदार थे। वे फिलहाल महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर किस राह पर एनसीपी जा रही है।
किसके पास क्या जिम्मेदारी
सुप्रिया सुले- कार्यकारी अध्यक्ष को महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, महिला युवा, लोकसभा समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है जबकि प्रफुल्ल पटेल- कार्यकारी अध्यक्ष को मध्य प्रदेश, राजस्थान, गोवा की जिम्मेदारी दी है। इसी तरह सुनील तटकरे राष्ट्रीय महासचिव है ओर उन्हे ओडिशा, पश्चिम बंगाल, किसान, अल्पसंख्यक विभाग के प्रभारी बनाया गया है। नंदा शास्त्री दिल्ली के प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष है और तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल की जिम्मेदारी उनके पास है।
क्या हैं मायने?
लोकसभा और विधानसभा से पहले शरद पवार के हटने से पार्टी को नुकसान होने की संभावना थी। ऐसे में संगठन में दो नए कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव दिया गया था। अब अगर सिर्फ सुप्रिया को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया जाता तो यह स्पष्ट हो जाता है कि वो आने वाले दिनों में पार्टी की उत्तराधिकारी की होंगे। जिस तरह से शिवसेना में बाला साहब ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर साफ संदेश दे दिया था। लेकिन, एनसीपी संगठन ने उनके साथ प्रफुल्ल को भी कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। यह बात साफ दिखाता है कि शरद पवार इस बारे में खुलकर अपनी राय नहीं रखना चाहते हैं। एक तरह से उन्होंने सुप्रिया को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उत्तराधिकारी के रूप में सामने रखा है।
अजित के पास महाराष्ट्र की जिम्मेदारी
अजित पवार की भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, महाराष्ट्र में वो पार्टी की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यही वजह है कि नए पदाधिकारियों को महाराष्ट्र में कोई भूमिका नहीं दी गई है। आने वाले दिनों में अगर राज्य में एनसीपी सत्ता में आती है तो अजित को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इससे पहले माना जा रहा था कि एनसीपी के अंदर दो खेमे हैं। एक खेमा का मानना था कि बीजेपी के साथ सरकार बनानी चाहिए। दूसरी खेमा इस बात से सहमत नहीं था। अब पार्टी ने दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर सभी वर्गों को साधने की एक कोशिश की है।’देश को नए संसद भवन की जरूरत थी,’मोदी सरकार को मिला अजित पवार का समर्थन!