पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में हिंसा पर आमने सामने आए राजनैतिक दल

एक दूसरे पर लगा रहे आरोप,समाधान किसी के पास नहीं

भाजपा ने कहा है कि पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में गड़बड़ी और चुनावी हिंसा के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार और पुलिस प्रशासन का बर्ताव देश की लोकतांत्रिक और चुनावी इतिहास का एक काला अध्याय है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने केंद्रीय कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोंधित करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव पर ममता बनर्जी सरकार का पूर्ण नियंत्रण है, तभी तो नामांकन के अंतिम दिन टीएमसी के 40 हजार से ज्यादा लोगों का नामांकन पर्चा भरा जाते हैं। इसके आलावा पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में हिंसा का तांडव हो रहा है और भाजपा कार्यकर्ताओं पर नृशंस हमले हो रहे हैं। इन सबके बावजूद राज्य निर्वाचन आयोग इन घटनाओं के प्रति उदासीन है, जो सबसे चिंता जनक है।

लोकतंत्र का उदभव दिखाई पड़ रहा है

त्रिवेदी ने ममता बनर्जी से सवाल पूछा कि जो लोग कहते थे कि भारत में लोकतंत्र करीब करीब समाप्त हो गया है, पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में इस प्रकार की हिंसा होने से क्या लोकतंत्र का उदभव दिखाई पड़ रहा है, या तिरोभाव दिख रहा है? पंचायत चुनाव में जिस प्रकार से नामांकन प्रक्रिया की गई है, क्या यह लोकतंत्र का उपहास नहीं है? देश के विपक्षी दलों से सवाल पूछा कि इन सबके बावजूद कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी, सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र खतरे में नजर नहीं आ रह है, ऐसा क्यों? त्रिवेदी ने टीएमसी, कांग्रेस और वामदल सहित देश की समस्त विपक्षी दलों से सवाल पूछा कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र का घायल स्वरूप दिखाई पड़ रहा है। पश्चिम बंगाल में जो मॉं, माटी, मानुष की बात करती थी, आज वहां भारत मॉं के विरुद्ध प्रबल शक्तियां खड़ी है,माटी खून से सनी हुई है और मनुष्यता पूरी तरीके व्यथित एवं कलंकित दिख रही है। फिर भी कांग्रेस, वाम दल, टीएमसी सहित देश के विपक्षी दलों द्वारा पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र को लेकर चुप क्यों हैं?

आज वहां से बम धमाके सुनाई पड़ रहे हैं

डॉ त्रिवेदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की जिस भूमि से रवींद्र संगीत सुनाई पड़ता था, आज वहां से बम धमाके सुनाई पड़ रहे हैं। जो पश्चिम बंगाल भद्र लोग के विमर्श के लिए विख्यात था, आज वहां हिंसा का तांडव हो रहा है। इन सबके बावजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार मूक दर्शक बनी हुई है। यह टीएमसी सरकार पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था लागू करने में पूरी तरह से विफल है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हिंसक और प्राणघातक हमलाएं हो रहे हैं। उनमें से 25 से अधिक घटनाओं की सूची है, जिसमें भाजपा कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हुए है। सबसे अधिक चिंता का विषय यह है कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इन घटनाओं के प्रति उदासीन है। इस कारण से भारतीय जनता पार्टी को न्यायालय जाना पड़ा और नयायालय के हस्ताक्षेप के बाद हिंसक स्थिति पर नियंत्रण करने का प्रयास किया जा रहा है।

टीएमसी के 40 हजार से ज्यादा लोगों के नामांकन

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव की गड़बड़ियों को उजागर करते हुए डॉ त्रिवेदी ने कहा कि नामांकन के अंतिम दिन तृणमूल कांग्रेस के 40 हजार से ज्यादा उम्मीदवारों ने नामांकन पर्चा भरा और स्वीकार किया गया। इसके अलावा वाम दल, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों समेत अन्य उम्मीदवारों ने भी नामांकन पर्चा भरा और स्वीकार किया गया। पश्चिम बंगाल में 341 प्रखंडों में चार घंटे की समयावधि के दौरान टीएमसी के 40 हजार से ज्यादा लोग ने नामांकन पर्चा भरा। सिर्फ टीएमसी उम्मीदवारों के नामांकन का औसत समय निकाला जाए तो एक उम्मीदवार का नामांकन करने की अवधि सिर्फ 2 मिनट है। इस गति से हुए नामांकन दर्शाता है कि ममता बनर्जी की सरकार पूरी चुनावी व्यवस्था पर नियंत्रित की हुई है।भाजपा प्रवक्ता ने ममता बनर्जी की सरकार को अगाह करते हुए नसीहत दी कि पश्चिम बंगाल सरकार को अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। राज्य निर्वाचन आयोग को अपने संवैधानिक दायित्वों का नैतिक एवं संवैधानिक दृष्टि से अपेक्षित निर्वहन करना चाहिए।

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