पश्चिम बंगाल में फिर गूंजा सिंगूर विवाद

पश्चिम बंगाल में फिर गूंजा सिंगूर विवाद

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पश्चिम बंगाल में फिर गूंजा सिंगूर विवाद
हमने नहीं माकपा ने किया सिंगूर से टाटा बाहर- ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल में एक बार फिर सिंगूर विवाद की गूंज सुनाई दे रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि औद्योगिक समूह टाटा को उन्होंने नहीं माकपा ने राज्य से बाहर निकाला था। बता दें टाटा समूह ने 2008 में अपनी नैनो परियोजना के तहत छोटी कार के निर्माण के लिए फैक्ट्री के लिए पश्चिम बंगाल में भूमि हस्तांतरण को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुआ था। जिसके चलते अपनी परियोजना को वापस ले लिया था। एक दिन पहले ममता बनर्जी ने कावाकाली मैदान में विजय सम्मेलन के दौरान इस मुद्दे पर माकपा पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। ममता बनर्जी ने कहा टाटा को सिंगूर से उन्होंने नहीं निकाला। यह माकपा का कामथा। वहीं सिंगूर विवाद पर बनर्जी बनर्जी के दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए माकपा प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम का कहना है मुख्यमंत्री का बयान झूठ का बंडल है। इसके लिए ममता बनर्जी को मिष्ठश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए।
ममता पर कठोर हमला
विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री के बयान के खिलाफ तीखा हमला किया और उनके बयान को पूरी तरह से असत्य बताया। दरअसल आईएएनएस टाटा मोटर.सिंगूर विवाद पर पीछे मुड़कर देखने की कोशिश करता हैंए जो पश्चिम बंगाल में सातवीं बार आई वाम मोर्चा सरकार के आने के तुरंत बाद शुरू हो गया था। साल 2006 में टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और तत्कालीन वाणिज्य राज्य मंत्री निरुपम सेन के साथ एक बैठक की थी। इसके बाद सिंगूर में टाटा मोटर की छोटी कार परियोजना लगाने की घोषणा की थी। इसके बाद परियोजना के लिए आवश्यक एक हजार एकड़ भूमि की खरीद की प्रक्रिया शुरू हुई। इस मामले में 2006 में 27 मई और 4 जुलाई के बीच हुगली जिला प्रशासन द्वारा तीन बाद सर्वदलीय बैठक बुलाई। तृणमूल कांग्रेस ने इन बैठकों का बहिष्कार किया। पुलिस द्वारा 30 नवंबरए 2006 को ममता बनर्जी को सिंगूर जाने से रोकने के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में बड़ा हंगामा हुआ। तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में तोड़फोड़ की। इनमें वर्तमान में कई कैबिनेट मंत्री भी हैं।
विपक्षी में रहते ममता ने किया था विरोध
विपक्ष के नेता के रूप में ममता बनर्जी ने 3 दिसंबर 2006 से कोलकाता के दिल एस्प्लेनेड में सिंगूर परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आमरण अनशन शुरू किया था। मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह उन प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं में से थे। जिन्होंने उनके 25 दिवसीय अनशन के दौरान उनसे मुलाकात की और एकजुटता व्यक्त की। इस बीच पूरे राज्य में आंदोलन जारी रहा।
ममता ने नहीं माना बुद्धदेव भट्टाचार्य का कहना
बुद्धदेव भट्टाचार्य ने ममता बनर्जी को 18 अगस्त और 25 अगस्त 2008 को चर्चा के लिए आमंत्रित भी कियाए लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया। 24 अगस्त 2008 को ममता बनर्जी ने सिंगूर में नैनो साइट से सटे दुगार्पुर एक्सप्रेस हाईवे पर परियोजना के लिए अधिग्रहीत एक हजार एकड़ भूमि में से 400 एकड़ की वापसी की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। 5 और 6 सितंबर 2008 को राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधियों के बीच कोलकाता के गवर्नर हाउस में दो बैठकें भी हुईं थीं। तत्कालीन राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने इसकी मध्यस्थता की। 7 सितंबर 2008 को गोपाल कृष्ण गांधी ने इस मुद्दे पर एक बैठक बुलाई। बैठक में ममता बनर्जीए बुद्धदेव भट्टाचार्य और राज्य के वाणिज्य और उद्योग मंत्री निरुपम सेन ने भाग लिया। लेकिन ममता बनर्जी अपनी मांग पर अडिग थीं।
साणंद नैनो फैक्ट्री का नया ठिकाना
12 सितंबर 2008 को फिर बैठक हुईए लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। आखिर में 3 अक्टूबरए 2008 को दुर्गा पूजा उत्सव से दो दिन पहले रतन टाटा ने कोलकाता में प्राइम होटल में बुलाए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस में परियोजना को स्थगित सिंगूर से बाहर निकलने की घोषणा कर । इसके लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व में जारी तृणमूल कांग्रेस के आंदोलन को जिम्मेदार ठहराया। गुजरात का साणंद नैनो फैक्ट्री का नया ठिकाना बना।

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