भाजपा से निपटने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने में जुटे हुए हैं। वो एक जोड़ते हैं तो दूसरा टूटता है,कि स्थिति से गुजर रहे हैं। हाल ही में हम पार्टी ने उन्हे बड़ा झटका दिया है। इससे पहले जीतनराम मांझी सीएम नीतीश कुमार पर दबवा की राजनीति खेल रहे थे। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को सम्मानजनक हिस्सेदारी नहीं मिली तो बिहार की सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
जीतनराम मांझी के बेटे ने दिया इस्तीफा
बिहार में विपक्षी दलों की बैठक के ठीक पहले पूर्व सीएम जीतनराम मांझी के बेटे और राज्य के एससी, एसटी कल्याण मंत्री डॉ संतोष सुमन ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। नाराजगी की वजह बताते हुए सुमन ने कहा कि जेडीयू के तरफ से लगाता हमारी पार्टी हम को मर्ज करने का प्रेशर दिया जा रहा था। जबकि हमे अपनी पार्टी को किसी दल में मर्ज करना नहीं चाह रहे थे। हमारे पिता जीतनराम मांझी भी इसके लिए तैयार नहीं थे। इसलिए हमने मंत्री पद ठुकरा दिया है।
जेडीयू ने कहा कोई फर्क नहीं पड़ता
डॉ सुमन के इस्तीफे के बाद जेडीयू के पास अब कुछ कहने को बचा नहीं है। पार्टी के नेता लेशी सिंह का कहना है कि किसी के जाने न जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। राज्य की सीएम नीतीश कुमारजी ने जीतन राम मांझी को बहुत सम्मान दिया है। हमारे नेता नीतीश कुमार नें उन्हें अपना मुख्यमंत्री तक का पद दिया। इससे ज्यादा और क्या सम्मान हो सकता है।
गठबंधन में हैं: संतोष कुमार सुमन
इस्तीफे के बाद संतोष कुमार सुमन ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मंत्री पद छोड़ा है लेकिन महागठबंधन का अभी भी हिस्सा हैं। यदि मर्ज करने का दवाब हम पर नहीं होता तो शायद हम मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते। अब फैसला उन्हें करना है कि हमें रखना है या नहीं।
नीतीश के लिए बड़ी चुनौती
राज्य सीएम नीतीश कुमार के लिए अब बहुत बड़ी सियासी चुनौती खड़ी हो गई है। एक तरफ विपक्ष को एकजुट करना है और दूसरी तरफ अपना ही घर यानी बिहार के दल उनका साथ छोड़ रहे हैं। हम के अलावा भी कुछ नेता ऐसे हैं जो जेडीयू को बाय बाय कर सकते हैं। अब बड़ा सवाल यही सुनाई दे रहा है कि आखिर नीतीश कुमार इस तरह के लगने वाले डैमेज को कैसे कंट्रोल करेंगे।