मेक इन इंडिया की तारीफ क्यों कर रहे हैं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ?

अगले सप्ताह एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे चीन और पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष

अगले सप्ताह 4 जुलाई को भारत की मेजबानी में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन का वर्चुअल आयोजन किया जाएगा। जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। उनके अलावा इस महत्वपूर्ण आयोजन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समूह के अन्य भागीदार सदस्य देशों के प्रमुखों और प्रतिनिधियों के साथ शामिल होंगे। इस शिखर सम्मेलन का विषय ‘एक सुरक्षित एससीओ की ओर’ रखा गया है और इसमें भाग लेने के लिए भारत ने सभी सदस्य देशों के प्रमुखों, प्रतिनिधियों और वैश्विक संगठनों को आमंत्रित किया है। यहां बता दें कि भारत के पास इस वर्ष एससीओ की अध्यक्षता की जिम्मेदारी है। जिसके तहत वह इस शिखर सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है।

भारत ने 134 बैठकों की मेजबानी की है

पिछले साल 16 सितंबर 2022 को उज्बेकिस्तान के समरकंद में भारत को संगठन की अध्यक्षता की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिसके बाद से लेकर अब तक भारत ने 14 मंत्रिस्तरीय बैठकों सहित कुल 134 बैठकों की मेजबानी की है। भारत एससीओ में एक सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। विदेश मंत्रालय ने मई के आखिर में भारत द्वारा एससीओ शिखर सम्मेलन के वर्चुअल आयोजन की घोषणा की थी। बताते चलें कि इससे पहले मई महीने में गोवा में एससीओ के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन हुआ था। जिसमें पाक और चीन के विदेश मंत्री प्रत्यक्ष रूप से शामिल हुए थे। इससे पहले संगठन के रक्षा मंत्रियों की नई दिल्ली में हुई बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री शामिल नहीं हुए थे। उनकी तरफ से पाक सरकार के किसी प्रतिनिधि ने इसमें वर्चुअली शिरकत की थी।

ये रहा एससीओ का ढांचा

शंघाई सहयोग संगठन एक 8 सदस्यीय बहुपक्षीय संगठन है। जिसकी स्थापना 15 जून 2001 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं द्वारा शंघाई में की गई थी। इसके बाद वर्ष 2005 में भारत, ईरान और पाकिस्तान को संगठन में पर्यवेक्षक का दर्जा दिया गया था। जुलाई 2015 में एससीओ ने भारत और पाकिस्तान को समूह के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में स्वीकार करने का निर्णय लिया। इसके अगले साल 2016 में दोनों ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद में दायित्वों के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। जिसके बाद उनके समूह के औपचारिक सदस्य बनने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई। 9 जून 2017 को अस्ताना में ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान आधिकारिक रूप से एससीओ के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हो गए थे।

चीन, पाक ने बयान जारी कर की पुष्टि

उधर शुक्रवार को चीन और पाकिस्तान की तरफ से अपने राष्ट्राध्यक्षों की एससीओ शिखर सम्मेलन में वर्चुअल मौजूदगी का ऐलान किया गया। चीन ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसके बारे में जारी किए गए एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ एससीओ के 23वें शिखर सम्मेलन में वर्चुअली शामिल होंगे। इसके लिए संगठन के अध्यक्ष के तौर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आमंत्रित किया है। गौरतलब है कि बीते काफी लंबे समय के बाद यह पहला ऐसा मौका होगा। जब भारत, पाकिस्तान और चीन के राष्ट्राध्यक्ष एक साथ एससीओ जैसे एक वैश्विक मंच पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आपस में जुड़ेंगे। इसी प्रकार से चीन ने भी राष्ट्रपति जिनपिंग की सम्मेलन में वर्चुअल मौजूदगी की पुष्टि की है। उधर इन सबके बीच रूस के राष्ट्रपति की भी एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होने की पूरी संभावना नजर आ रही है।

पुतिन ने की पीएम मोदी की तारीफ

भारत और रूस के रिश्ते दशकों से अच्छे रहे हैं और दोनों देशों के राष्ट्रप्रमुख भी एक-दूसरे की तारीफ करते रहे हैं। लेकिन इस बार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की इस नीति का भारतीय अर्थव्यवस्था पर वाकई गहरा असर पड़ने वाला है। भारत में अच्छा काम हो रहा है और उससे सीखने में रूस को कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि भारत में हमारे दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई साल पहले एक योजना की शुरुआत की थी। जिसका नाम मेक इन इंडिया है। इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर असर देखने को मिला है। इससे सीख लेने में हमें कोई हर्ज नहीं है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति पुतिन का ये बयान एक ऐसे समय में आया है। जब हाल ही में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा था कि भारत और रूस के रिश्ते बहुत अच्छे रहे हैं और इसके महत्व को कम करना एक गलती होगा।

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