करीब दो माह होने को हैं और मणिपुर की हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। तमाम शांति के प्रयास नाकाम हो रहे हैं। कभी नेताओं के घर जलाए जाते हैं तो कभी सरेआम लूटपाट होती है। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हिंसा रोकने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर का दौरा किया और शांति बहाली के लिए लोगों से बात भी की। इसके बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशी दौरे के बाद हाईलेवल की बैठक की और मणिपुर हिंसा में शांति बहाली के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। इतने प्रयासों के बाद भी हिंसा नहीं थम रही है तो मामला गंभीर और संदिग्ध है।
शांति बहाली से ज्यादा सियासत पर जोर
मणिपुर हिंसा में जो लोग प्रभावित हुए हैं,उनकी स्थिति दयनीय है। ऐसे में सरकार से लेकर सभी विपक्षी दलों का नैतिक दायित्व है कि वो पीड़ितों को हर हाल में मदद पहुंचाने के लिए प्रयास करें। मानवीय संवेदनाएं दिखाने के वजाह मणिपुर हिंसा पर सियासत ज्यादा दिखाई दे रही है। यदि मणिपुर हिंसा नहीं थम रही है तो इसके लिए केवल सरकार जिम्मेदार नहीं है बल्कि वे तमाम दल भी है जो इस हिंसा में अपना सियासी भविष्य देख रहे है।विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार और भाजपा पर निशाना साध रही हैं। इन पार्टियों ने विदेश दौरे से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के वक्त मांगा था। इसके बाद सभी पार्टियों ने मिलकर मणिपुर पर ज्ञापन जारी किया। इसी बीच गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों की बैठक में गृहमंत्री ने सभी की बात सुनी और मणिपुर के हालात जल्द सामान्य होने के भरोसा दिलाया।
दो दिवसीय दौरे पर मणिपुर जाएंगे राहुल
मणिपुर में अब तक करीब 131 लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों घर और दुकाने जला दी गई हैं। सेना और सुरक्षा बल मोर्चा संभाले हुए है। इसके बाद भी हिंसा नहीं थम रही है। तमाम सरकारी प्रयास भी सफल नहीं हो पा रहे हैं। हालातों को जानने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो दिवसीय दौरे पर मणिपुर जा रहे हैं। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट कर बताया कि राहुल गांधी 29 से 30 जून को मणिपुर दौरे पर होंगे। वह इस दौरान इम्फाल और चूराचांदपुर में राहत शिविरों का दौरा करेंगे और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों से मिलेंगे। मणिपुर लगभग दो महीने से जल रहा है और वहां शांति की जरूरत है ताकि समाज संघर्ष से शांति की ओर लौट सके।
कौन दे रहा हिंसा को हवा
दो महिने से मणिपुर जल रहा है और लोग मारे जा रहे हैं। तमाम सरकारी प्रयास सफल नहीं हो पा रहे है। ऐसे में एक ही सवाल उठ रहा है कि कहीं न कहीं से मणिपुर हिंसा को हवा दी जा रही है। शंका ये भी है कुछ लोग अपने सियासी मुनाफा देख रहे हैं ताकि आने वाले चुनावों में मणिपुर को मुदृा बनाया जा सके। हालांकि ये ही सही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह लगातार इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं और शांति बहाली के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसके बाद भी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है।