केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) ने देश में मौजूद बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) को यह निर्देश दिया है कि वह हर गांव में मौजूद असुरक्षित बच्चों की पहचान कर उनकी एक सूची तैयार कर मंत्रालय को सौंपे। जिससे उन्हें मिशन वात्सल्य योजना के जरिए जरूरी सहायता प्रदान की जा सकेगी। मुश्किल हालातों में रह रहे बच्चों में अनाथ और सड़क पर रहने वाले बच्चे भी शामिल हैं। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि वात्सल्य मिशन के जरिए परेशानी में रहे तमाम बच्चों की शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए उसके संबंधित परिवार या जैविक रिश्तेदारों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। फॉस्टर केयर के मामले में बच्चे की देखभाल, संरक्षण और पुनर्वास की जिम्मेदारी एक गैर-परिचित परिवार की होती है। इस परिस्थिति में बच्चे के जैविक अपरिचित फॉस्टर अभिभावकों को बच्चे की देखभाल के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
सबसे अहम सीडब्ल्यूसी की सिफारिश
बच्चों को वात्सल्य मिशन योजना के जरिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए स्पॉन्सरशिप एंड फॉस्टर केयर अप्रूवल कमेटी (एसएफसीएसी) द्वारा स्वीकृत किए गए नामों को बाल कल्याण समिति की सिफारिश पर ही वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
गोद लिए जा सकेंगे बड़े बच्चे
मंत्रालय द्वारा हाल ही में तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुल करीब 3 हजार बच्चों का एक विश्लेषण किया गया है। इसमें 6 से 18 साल के 164 बच्चों की पहचान की गई है। जो कि गोद लेने के योग्य हैं। मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि उक्त बड़ी उम्र के बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया में शामिल करने के दौरान गोद लेने वाले बच्चे और उसे गोद लेने वाले माता-पिता दोनों की काउंसलिंग अनिवार्य है। यहां बता दें कि 0 से 6 साल तक के बच्चे विशेष एडॉप्शन एजेंसी और उसके बाद बाल कल्याण संस्थानों (सीसीआई) में रहते हैं।