रियासत खत्म…अब भी निभाई जा रही परंपरा…
रियासतें भले ही खत्म हो गई हों लेकिन रियासतकालीन परंपराओं का निर्वाह ग्वालियर में आज भी जारी है। इसका उदाहरण है ग्वालियर में विजयादशमी के मौके पर देखने को मिला। यहां सिंधिया परिवार ने विजयदशमी के अवसर पर परंपरागत तरीके से पूजा की।
रियासतें खत्म ..रियासतकालीन परंपरा बाकी
ग्वालियर में आज भी निभाई जा रही परंपरा
विजयादशमी के मौके पर सिंधिया परिवार ने निभाई परंपरा
सिंधिया परिवार ने की विजयदशमी पर परंपरागत तरीके से पूजा
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर के गोरखी स्थित देवघर में राजशाही पोशाक पहनकर पूजा अर्चना करने पहुंचे। जहां उन्होंने अपनी कुल देवी, देवता दक्षिण केदार, दुर्गा मैय्या, राजशाही शस्त्र के साथ मुहर और प्रतीक चिन्हों की पूजा अर्चना की। पूजा के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया राजपरिवार के प्रतीक ध्वज और शस्त्रों की भी पूजा की। इसके साथ ही राजशाही गद्दी पर बैठकर दरबार लगाया। केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया भी मौजूद थे। वे भी राजशाही पोषक में नजर आए। इसके साथ ही उन्होंने ग्वालियरवासियों के साथ प्रदेशवासियों को दशहरे की शुभकामनाएं दीं।
कुलदेवता मंदिर के पुजारी की माने तो दशहरे के दिन शस्त्र पूजा की परंपरा सिंधिया परिवार में प्राचीन काल से चली आ रही है। प्राचीन काल से परंपरा चली आ रही है। उन्होंने बताया प्राचीन काल में राजा अपने शत्रुओं पर जीत हासिल करने के लिए ही इस दिन शस्त्र पूजा किया करते थे। साथ ही अपने दुश्मनों से जंग लड़ने के लिए शस्त्रों का चयन भी इसी दिन किया करते थे। नौ दिन तक मां दुर्गा की शक्तियों की उपासना के बाद 10वें दिन जीवन के हर क्षेत्र में विजय की कामना की जाती है। बता दें सिंधिया राजघराने की नौवीं पीढ़ी का नेतृत्व अब ज्योतिरादित्य सिंधिया कर रहे हैं।
सिंधिया का लगा शाही दरबार
विशेष पूजा अर्चना के बाद केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने परिवार के सदस्यों के साथ महाआरती की। इस मौके पर पुरानी परंपरा का पालन करते हुए सिंधिया ने राज दरबार का आयोजन भी किया। इसमें सिंधिया रियासत काल के सरदारों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया का स्वागत किया गया।
वहीं शस्त्र पूजा के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर की जिसमें लिखा कि विजयादशमी के पावन पर्व पर उन्होंने ग्वालियर के गोरखी मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की और भगवान का आशीर्वाद लिया। इसके साथ ही देश और प्रदेशवासियों की खुशहाली के लिए उन्होंने प्रार्थना की है।