मध्यप्रदेश मेें विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बजने वाली है। इस बार प्रदेश में बीजेपी को कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है। ऐसे में एक एक सीट पर बीजेपी की नजर है। हम भी एक एक सीट का समीकरण आपको बताएंगे। आज बात करते हैं बालाघाट जिले की वारासिवनी विधानसभा सीट की। जहां दोनों ही पार्टियां पूरा जोर लगा रही हैं। पिछली बार यह सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। यहां से कांग्रेस के बागी प्रदीप जायसवाल चुनाव जीते थे। कांग्रेस ने उनके सामने सीएम शिवराज के साले संजय सिंह मसानी को मैदान में उतारा था तो वहीं बीजेपी से योगेन्द्र निर्मल मैदान में उतरे थे। 2013 में डॉ.योगेन्द्र निर्मल बीजेपी के टिकट पर जीते थे, लेकिन 2018 में वे हार गए। इस बार क्या समीकरण बन रहे हैं आइये चलते हैं वारासिवनी।
- कौन मारेगा बाजी,किसकी होगी हार
- किसे मिलेगा जनता का प्यार
- निर्दलीय विधायक हैं प्रदीप जायसवाल
- राज्य खनिज निगम अध्यक्ष भी हैं जायसवाल
- वारासिवनी विधानसभा का माहौल
- किसके पक्ष में है चुनावी हवा
- बालाघाट जिले में है वारासिवनी
- कुल 1 लाख 87 हजार 65 मतदाता हैं
- कितने खुश हैं वारासिवनी के मतदाता
- अपने विधायक से कितने संतुष्ट हैं मतदाता
- 2023 के चुनाव में किन मुद्दों पर होगा चुनाव
- किन मुद्दों पर मतदान करेगी जनता
- क्या है वारासिवनी का सियासी गणित
- क्या है सीट का सियासी गणित
- पंवार,कोहरी,मरार मतदाता हैं सबसे अधिक
- जनसंपर्क करने में जुटे क्षेत्र के नेता
- एडी चोटी का जोर लगा रहे निष्ठावान कार्यकर्ता
कांग्रेस 2018 के चुनाव में चौथे स्थान पर रही थी
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस बीजेपी के नेता शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंपर्क करते देखे जा सकते हैं। नेता पार्टी के लिए निष्ठावान कार्यकर्ता अपनी एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं। बालाघाट जिले में जातिगत समीकरणों के आधार पर प्रत्याशी का चयन किया जाता है। जिले में सबसे ज्यादा जिस समाज पैठ है वह है पंवार, कोहरी, मरार। जो विधायक चुनने में अहम भूमिका निभाते हैं। बालाघाट जिले की वारासिवनी सीट बहुचर्चित विधानसभा सीट है। जहां पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में बड़े ही चौंकाने वाले परिणाम देखने को मिले थे। सबसे बड़ी बात है कि 2018 में कांग्रेस से चुनाव लड़ने की तैयारी कर विधायक रहे प्रदीप जायसवाल को टिकट नहीं दिया गया था। उनके स्थान पर सीएम शिवराज सिंह चौहान के साले साहब संजय सिंह मसानी जो बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए। उन्हें कांग्रेस की तरफ से वारासिवनी में पैरासूट प्रत्याशी बनाया गया था। जिसका खासा विरोध भी हुआ। वहीं बीजेपी की ओर से गौरव पारधी ने टिकट मांगा था लेकिन आश्चर्यजनक टिकट वितरण प्रणाली से नाखुश होकर बागी बने दो प्रत्याशियों ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया। रोचक और नाटकीय ढंग से बीजेपी प्रत्याशी का विरोध हुआ। गौरव पारधी पर दबाव बनाया गया। इस सारे घटनाक्रम में वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र की जनता ने प्रदीप जायसवाल पर अपना भरोसा जताया। बहुत बडे आंकड़े से विजय हासिल कर प्रदीप जायसवाल ने जीत हासिल की।
ये हैं चुनाव परिणाम 2018
प्रदीप जायसवाल निर्दलीय 57783 37.23%
योगेंद्र भाजपा 53921 34.74%
रामकुमार बसपा 21394 13.78%
संजय सिंह मसानी कांग्रेस 11785 7.59%
निर्दलीय होकर भी दिया कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी का साथ
मध्यप्रदेश में 15 माह की कांग्रेस की सरकार को निर्दलीय प्रत्याशी बतौर समर्थन कर खनिज मंत्री बने। वहीं मध्यप्रदेश की उथल-पुथल के बीच 2020 में बीजेपी की सरकार बनी जिसके शिवराज सिंह चौहान बने। जिसमें प्रदीप जायसवाल फिर निर्दलीय प्रत्याशी बतौर समर्थन किया। कैबिनेट विस्तार में खनिज आयोग निगम अध्यक्ष विधायक ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पांच साल में जनता के बीच रहकर विभिन्न साहित्यिक, सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजनों में शामिल होकर अपने क्षेत्र की बात शेयर करते नजर आते रहे हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय नेता
पूर्व जनपद पंचायत अध्यक्ष चिंतामन नगपुरे कहते हैं प्रदीप जायसवाल ने क्षेत्र का विकास किया है। कई काम किये हैं। जिससे जनता भी अब सहयोग कर रही है। पार्टी कोई भी हो हम तो जायसवाल जी के साथ खड़े हैं। तो वहीं बीजेपी के वरिष्ठ सदस्य शैलेन्द्र सेठी ने उन्हें सच्चाई दिखाई और कहा जायसवाल के कार्यकाल में कोई खास उपलब्धि नजर नहीं आती। जो कुछ विकास के काम किये गये वे केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से किये गये हैं। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कहते हैं वारासिविनी विधानसभा क्षेत्र में शिक्षा और चिकित्सा की स्थिति बहुत खराब है। आम जनता परेशान है रेत का अवैध खनन क्षेत्र में रुक नहीं रहा है। वहीं चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ीं डॉक्टर कामिनी का कहना है। क्षेत्र की जनता चाहती है कि शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में ध्यान दिया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा नए लोगों को भी अवसर मिलना चाहिए। क्षेत्र में युवाओं को मौका दिया जाना चाहिए जिससे क्षेत्र का तेजी से विकास हो।
1951 से अब तक वारासिवनी से ये चुने गए विधायक
1951 थानसिंह बिसेन कांग्रेस
1957 थानसिंह टीकाराम कांग्रेस
1962 विपिनलाल शंकरलाल साव आईएनडी
1967 थानसिंह कांग्रेस
1972 थानसिंह कांग्रेस
1977 केडी देशमुख बाथू जेएनपी
1980 केडी देशमुख जेएनपी
1985 केडी देशमुख जेएनपी
1990 केडी देशमुख
1993 ओंकार सिंह जनता दल
1998 प्रदीप अमृतलाल जायसवाल कांग्रेस
2003 प्रदीप अमृत लाल जायसवाल कांग्रेस
2008 प्रदीप अमृतलाल जायसवाल कांग्रेस
2013 डॉ.योगेन्द्र निर्मल बीजेपी
2018 प्रदीप अमृतलाल जायसवाल निर्दलीय